UP Vidhansabha Chunav 2022: क्या BJP लगा पाएगी जीत की हैट्रिक, जानिए कौन बनेगा सिकंदराबाद का 'सिकंदर'
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UP Vidhansabha Chunav 2022: क्या BJP लगा पाएगी जीत की हैट्रिक, जानिए कौन बनेगा सिकंदराबाद का 'सिकंदर'

2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सिकंदराबाद विधान सभा सीट पर बीजेपी की बिमला सोलंकी ने जीत हासिल की थी. 

फाइल फोटो

सिकंदराबाद/बुलंदशहरः उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. उत्तर प्रदेश में सरकार बनाना सभी राजनीतिक दलों का सपना होता है. ऐसे में सत्ताधारी बीजेपी के अलावा विपक्षी समाजवादी पार्टी, बसपा और कांग्रेस ने चुनाव को लेकर कमर कस ली है. इस बीच हम बात करेंगे बुलंदशहर जिले की सिकंदराबाद विधानसभा सीट की. फिलहाल इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है. उत्तर प्रदेश चुनाव के लिहाज से हम आपको सिकंदराबाद से रूबरू कराएंगे. 

2017 में बीजेपी को मिली थी जीत 
2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सिकंदराबाद विधान सभा सीट पर बीजेपी की बिमला सोलंकी ने जीत हासिल की थी. उन्होंने बीएसपी प्रत्याशी मोहम्मद इमरान को चुनाव हाराया था. जबकि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी राहुल यादव जोकि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के दामाद है उन्हें भी यहां हार का सामना करना पड़ा था. 2017 में बीजेपी की बिमला सोलंकी को 104,956 वोट मिले थे. जबकि बसपा प्रत्याशी मोहम्मद इमरान को 76,333 को वोट मिले थे. राहुल यादव को 48,910 वोट मिले थे. बीजेपी की जीत का अंतर यहां 45,799 रहा था. 

सिकंदराबाद विधानसभा सीट पर अहम होते हैं जातिगत समीकरण 
बात अगर सिकंदराबाद विधानसभा सीट के जातिगत समीकरणों की जाए तो बुलंदशहर जिले की सीट होने की वजह से जातीय समीकरण यहां काफी हावी रहते हैं. सिकंदराबाद सीट पर गुर्जर, सैनी, ठाकुर और मुस्लिम मतदाता प्रभावी भूमिका रहते हैं. ऐसे में इस सीट पर इन्ही वर्गों से आने वाले प्रत्याशियों पर पार्टियां दांव लगाती है. वहीं सिंकदराबाद विधान सभा सीट बुलंदशहर जिले में आती है. दिल्ली के नजदीक होने के कारण इस पर दिल्ली की राजनीति की छाप भी पड़ती है. पिछले चुनावों में यहां बीजेपी-बसपा और सपा के बीच मुख्य चुनावी मुकाबला देखने को मिला था. पिछले चार चुनावों में यहां दो बार बसपा और दो बार बीजेपी को जीत मिली है. 

सिकंदराबाद विधानसभा सीट का सियासी समीकरण 
सिकंदराबाद विधानसभा सीट पर बीजेपी और बीएसपी में ही चुनावी मुकाबला होता है. पिछले चार चुनावों में दोनों ही पार्टियों के बीच मुकाबला देखने को मिला था. सिकंदारबा सीट पर बीजेपी और बीएसपी की झंडाबरदारी दिखती है. पिछले चार चुनावों में यहां दो बार बीएसपी ने जीत दर्ज की है तो दो बार बीजेपी जीती है. 2012 में सपा की लहर के बाद भी बीजेपी ने जीत का परचम लहराया था. पश्चिमी उत्तर प्रदेश की विधानसभा सीटों की बात हो और आरएलडी चर्चा में न आए ये हो नहीं सकता. आरएलडी प्रत्याशी भी यहां अच्छी टक्कर देता है.  2017 के विधानसभा चुनावों के अनुसार सिकंदाराबाद विधानसभा सीट पर 3 लाख 38 हजार 407 मतदाता थे. जिनमें से 1 लाख 86 हजार 66 पुरुष मतदाता और 1 लाख 52 हजार 321 महिला मतदाता शामिल थे. 

सिकंदराबाद विधानसभा सीट के चुनावों के परिणाम 

  • 1977 में जनता पार्टी के राजेंद्र सिंह सोलंकी ने जीते 
  • 1980 में कांग्रेस के यशपाल सिंह चुनाव जीते 
  • 1985 में कांग्रेस के राजेंद्र सिंह सोलंकी ने जीत हासिल की 
  • 1989 में ज्वाला दल के नरेंद्र सिंह ने जीत हासिल की 
  • 1991 में इस सीट पर ज्वाला दल के नरेंद्र सिंह भाटी जीते 
  • 1993 में पहली बार बीजेपी के वीरेंद्र पाल सिंह ने जीत दर्ज की 
  • 1996 में समाजवादी पार्टी के नरेंद्र सिंह भाटी ने जीत दर्ज की 
  • 2002 में इस सीट पर बसपा के वेदराम भाटी ने जीत दर्ज की 
  • 2007 बसपा के वेदराम भाटी ने फिर जीत दर्ज की 
  • 2012 बीजेपी की बिमला सिंह सोलंकी जीती 
  • 2017 में बिमला सिंह सोलंकी ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की 

सिकंदराबाद में बीजेपी के जीत की वजह
सिकंदराबाद विधानसभा सीट पर बीजेपी ने पिछले चुनाव में बड़ी जीत हासिल की थी. मोदी लहर पर सवार बीजेपी को पिछले चुनाव में यहां जबरदस्त फायदा मिला था. पार्टी ने राम मंदिर निर्माण का नारा बुलंद किया था. जिसके चलते बीजेपी ने यहां बड़ी जीत हासिल की थी. सत्ता विरोधी रुझान व प्रदेशभर में चली मोदी लहर के कारण बीजेपी की बिमला सिंह सोलंकी लगातार दूसरा चुनाव जीतने में कामयाब रही . 

2017 में कैसा था उत्तर प्रदेश का जनादेश 
2017 में हुए विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में चौकाने वाले परिणाम सामने आए. बीजेपी ने राज्य की 403 सीटों में से 312 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी. समाजवादी पार्टी को 54 सीटें और बहुजन समाज पार्टी को 19 सीटों पर जीत मिली थी. जबकि बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल को 12 और कांग्रेस को महज 7 सीटें ही मिली थी.

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