चौबेपुर थाना पुलिस ने उमाकांत को हिरासत में लेकर कानपुर शूटआउट के बारे में पूछताछ शुरू की. उसने कई अहम जानकारियां पुलिस को दी हैं. उमाकांत ने पुलिस को बताया कि विकास दुबे गैंग द्वारा बिकरू गांव में 2 जुलाई की रात 8 पुलिसकर्मियों की हत्या में वह भी शामिल था.
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कानपुर: कानपुर शूटआउट केस में गैंगस्टर विकास दुबे के गुर्गे उमाकांत शुक्ला ने शनिवार को चौबेपुर थाने में सरेंडर कर दिया. पुलिस ने उस पर 50000 का इनाम घोषित कर रखा था. उमाकांत शनिवार सुबह गले में एक तख्ती टांगे अपनी पत्नी और बेटी के साथ थाने पहुंचा. तख्ती पर लिखा था, ''मेरा नाम उमाकांत शुक्ला उर्फ गुड्डन पुत्र मूलचंद शुक्ला, निवासी बिकरू, थाना चौबेपुर है. मैं बिकरू कांड में विकास दुबे के साथ शामिल था. मुझे पकड़ने के लिए रोज पुलिस तलाश कर रही है, जिससे मैं बहुत डरा हुआ हूं. मुझे बहुत आत्मग्लानि है. मैं खुद पुलिस के सामने हाजिर हो रहा हूं. मेरी जान की रक्षा की जाए, मुझ पर रहम किया जाए.''
चौबेपुर थाना पुलिस ने उमाकांत को हिरासत में लेकर कानपुर शूटआउट के बारे में पूछताछ शुरू की. उसने कई अहम जानकारियां पुलिस को दी हैं. उमाकांत ने पुलिस को बताया कि विकास दुबे गैंग द्वारा बिकरू गांव में 2 जुलाई की रात 8 पुलिसकर्मियों की हत्या में वह भी शामिल था. उसने अपने बयान में कहा, ''विकास दुबे बहुत ही राक्षसी प्रवृत्ति का आदमी था. अमर, प्रभात, जिलेदार, रामसिंह और अतुल दुबे समेत कई लोग इस हत्याकांड में शामिल थे. दर्जनों गांवों में विकास का आतंक था. उसकी रजामंदी के बिना कोई प्रधान नहीं बन सकता था.''
पुलिस की पूछताछ में उमाकांत शुक्ला ने बताया कि विकास दुबे ने अपने खिलाफ आवाज उठाने पर मुन्ना सक्सेना की हत्या कर दी थी. विकास के आतंक के चलते उसके खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाता था. उमाकांत ने पुलिस के सामने अपने कबूलनामें में बताया, ''पुलिसवालों की हत्या करने के बाद विकास और उसके गुर्गे उनके हथियार भी लूट कर ले गए थे. मैं पुलिस के डर से भाग गया था.'' आपको बता दें कि बिकरू कांड में विकास दुबे गैंग की फायरिंग में 8 पुलिसवाले शहीद हुए थे, जबकि 6 अन्य घायल हो गए थे. इस केस में अब तक गैंगस्टर विकास दुबे और उसके 7 गुर्गे पुलिस एनकाउंटर में मारे जा चुके हैं.
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