जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस अजित कुमार की खंडपीठ ने स्नेहलता सिंह और राजकुमार सिंह की जनहित याचिका पर दिया फैसला.
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इलाहाबाद : यूपी में बदहाल चिकित्सा व्यवस्था पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कई अहम निर्देश दिए. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि प्रदेश में यह सुनिश्चित किया जाए कि जाम में फंसने के कारण किसी मरीज की जान न जाए. यह फैसला जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस अजित कुमार की खंडपीठ ने स्नेहलता सिंह और राजकुमार सिंह की जनहित याचिका पर दिया.
माना जाए अपराध के समान
हाईकोर्ट ने निर्णय में कहा है कि जाम में फंसने के कारण किसी भी मरीज को पहुंचने वाले नुकसान को अपराध की तरह माना जाए. ऐसी स्थिति में ठीक वैसी ही कार्रवाई की जाए जैसी अपराध की स्थिति में की जाती है. इसके लिए सड़क, सड़क पटरी और सर्विस लेन को खाली रखा जाए. सरकार आम लोगों को सुचारू ट्रैफिक के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाए. चौराहों व ट्रैफिक सिग्नलों पर सुनिश्चित किया जाए कि लाल बत्ती होने पर भी एंबुलेंस और दमकल की गाडि़यां बिना किसी बाधा के निकल सकें.
अस्पताल में मरीज और तीमारदार को मिले मुफ्त भोजन
हाईकोर्ट ने फैसले में कहा है कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में प्रत्येक मरीज और तीमारदार के लिए मुफ्त भोजन की व्यवस्था की जाए. कोर्ट ने सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश भी दिया है कि चिकित्सा के लिए अवमुक्त धनराशि किसी भी हालत में उपयोग किए बिना न रह जाए. डेडीकेटेड कॉरीडोर बनाने के लिए भी सरकार तत्काल कार्रवाई करे ताकि लोगों को बिना किसी बाधा के तेज चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा सके.
मेडिकल कॉलेजों में समारोह पर रोक
प्रदेश के कई मेडिकल कॉलेजों और सरकारी अस्पतालों में निजी समारोह आयोजित करने के मामलों के सामने आने पर हाईकोर्ट ने मेडिकल कॉलेज और सरकारी अस्पताल में सार्वजनिक समारोह पर रोक लगा दी. हाईकोर्ट ने कहा कि अस्पताल परिसर में तेज आवाज का कोई भी उपकरण या यंत्र न बजाया जाए. साथ ही रात दस बजे के बाद अस्पताल के आसपास शोर न होने पाए.
पार्किंग स्थान न होने पर न हो वाहन पंजीकरण
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि रिहायशी और व्यावसायिक क्षेत्र में पार्किंग व्यवस्था न होने पर जो लोग अपने वाहन खड़े करते हैं, ऐसे लोगों की जिम्मेदारी तय कर उसपर भारी जुर्माना लगाया जाए. तत्काल ऐसे नियम बनाए जाएं कि पार्किंग का स्थान न होने पर वाहन का पंजीकरण न किया जाए.