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नितिन श्रीवास्तव/बाराबंकी: लोधेश्वर महादेव मंदिर न केवल बाराबंकी बल्कि देशभर प्रसिद्ध है. बाराबंकी के इस मंदिर का अलग ही धार्मिक महत्व है. माना जाता है कि यह लोधेश्वर शिवलिंग करीब 5 हजार साल पुराना है. बाराबंकी का यह प्रसिद्ध मंदिर घाघरा नदी के किनारे स्थित है. यह इतना लोकप्रिय और प्राचीन है कि इसे भारत के शीर्ष 52 शिविलिंगों में माना जाता है. देश के 12 ज्योतिर्लिंगों के साथ लोधेश्वर महादेव मंदिर में सावन के दिनों में देश के कई राज्यों से लाखों श्रद्धालु शिवलिंग पर जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं.
पहला सावन आज
सावन का पवित्र महीना आज से शुरू हो गया है. बाराबंकी जिले के रामनगर तहसील क्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध तीर्थ स्थल लोधेश्वर धाम महादेवा मंदिर में सुबह से ही शिव भक्तों की आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है. यहां चारों ओर हर-हर, बम-बम और ॐ नम: शिवाय के जयकारे गूंज रहे हैं. इस बार दो माह के सावन के अद्भुत संयोग के चलते शिवभक्तों में विशेष उत्साह है. यानी इस बार दो माह तक महादेवा का माहौल शिवमय रहेगा. सावन में विशेष महत्व के चलते देश के कई राज्यों से लाखों श्रद्धालु इस महाभारत कालीन शिवलिंग पर जलाभिषेक के लिए पहुंच रहे हैं. मान्यता है कि महाभारत काल में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहां शिवलिंग को स्थापित किया था, जिसका नाम लोधेश्वर महादेवा पड़ा.
गूंज रहे महादेव के जयकारे
सावन में श्री लोधेश्वर महादेवा में भक्तों का जमावड़ा लगता है. शिवभक्तों की आस्था के केंद्र पौराणिक श्री लोधेश्वर महादेवा में श्रद्धालु इस बार दो माह तक विशेष फल देने वाली पूजा-अर्चना कर सकेंगे. दरअसल हर साल सावन की शुरूआत आषाढ़ की पूर्णिमा तिथि के अगले दिन से होती है, लेकिन इस बार सावन की शुरुआत चार जुलाई से होगी और 31 अगस्त को समाप्त होगी. सावन और पुरुषोत्तम मास के विलय होने से इस बार उपासना के लिए शिवभक्तों को पूजा-अर्चना के लिये 59 दिन मिल रहे हैं. आज से शुरू हुए सावन मास का पहला सोमवार 10 जुलाई को है, जबकि इस बार सावन में आठ सोमवार पड़ेंगे.
श्री लोधेश्वर महादेवा मंदिर के पुजारी ने बताया कि देश के कई राज्यों से श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर यहां आतें है। पांडवों द्वारा स्थापित शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं. सावन मास के दिनों में यहां पर दर्शन का खास महोत्सव होता है. सावन में यहां आने से सभी मनोकामना पूरी होती हैं. उन्होंने बताया कि इस बार दो माह का सावन अद्भुत संयोग लेकर आया है. इस बार आधे सावन के बाद अधिक मास और उसके बाद फिर आधा सावन का योग मिल रहा है. ऐसे में भगवान शिव की आराधना, जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने का फल श्रद्धालुओं को ज्यादा मिलेगा.
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