यूपी शिक्षक भर्ती पर सियासत शुरू, मायावती बोलीं-आरक्षित वर्ग के अभ्यार्थियों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए
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यूपी शिक्षक भर्ती पर सियासत शुरू, मायावती बोलीं-आरक्षित वर्ग के अभ्यार्थियों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए

UP Politics: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश पर सोमवार को रोक लगा दी, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य में 69,000 सहायक शिक्षकों की नई चयन लिस्ट तैयार करने को कहा गया था. इस पर मायावती ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की है.

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UP News: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है जिसमें सरकार को इस भर्ती की मेरिट लिस्ट रद्द करने और तीन महीने में दोबारा तैयार करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा कि यू.पी. शिक्षक भर्ती मामले में आरक्षित वर्ग के अभ्यार्थियों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए. उन्हें अपना संवैधानिक हक जरूर मिलना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर अब सियासत शुरू हो गई है. बसपा की मुखिया मायावती ने भी इस मामले में प्रतिक्रिया दी है.

मायावती ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा- यू.पी. शिक्षक भर्ती मामले में आरक्षित वर्ग के अभ्यार्थियों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। उन्हें अपना संवैधानिक हक जरूर मिलना चाहिए। साथ ही, सरकार इस मामले में अपना ईमानदार रूख़ अपनाए, ताकि इनके साथ कोई भी नाईन्साफी ना हो।

 इस मामले पर बीजेपी के गठबंधन एनडीए की सहयोगी अपना दल की नेता और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल का रिएक्शन भी सामने आया था. उन्होंने लिखा -69000 शिक्षक भर्ती मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय ने माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले पर अस्थाई रोक लगाते हुए सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है तथा अगली सुनवाई में दोनों पक्षों से मामले के संबंध में अपनी अपनी दलील पेश करने के लिए कहा है.

 

 हाईकोर्ट के फैसले पर रोक

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने जून 2020 और जनवरी 2022 में जारी शिक्षकों की चयन सूचियों को रद्द करने संबंधी इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर भी रोक लगा दी, जिनमें 6,800 अभ्यर्थी शामिल थे. हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने रवि कुमार सक्सेना और 51 अन्य द्वारा दायर याचिका पर राज्य सरकार और उप्र बेसिक शिक्षा बोर्ड के सचिव सहित अन्य को नोटिस भी जारी किया.

 इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का अध्ययन करेंगे

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यूपी सरकार ने ये माना कि उनसे एक गलती हुई है. आरक्षण पहले क्षैतिज और फिर वर्टिकल आधार पर होना चाहिए था, लेकिन वो उल्टा हो गया. हालांकि खंडपीठ की ओर से कहा गया कि लिस्ट में ऐसा कुछ दिखाई नहीं देता. लिहाजा पहले वो इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का अध्ययन करेंगे और फिर आगे इस पर कोई निर्णय लेंगे.

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