UP Politics: 19 जून 2024 यानी आज राहुल गांधी 54 साल के हो गए. उनका यह जन्मदिन सियासत के मायनों में बेहद खास है. राजनीतिक रूप से उनके लिए यह साल सफल साबित हुआ है. जीत के बावजूद उनके सामने चुनौतियों का पहाड़ है.
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UP Politics: 19 जून 2024 यानी आज राहुल गांधी 54 साल के हो गए. उनका यह जन्मदिन सियासत के मायनों में बेहद खास है. राजनीतिक रूप से उनके लिए यह साल सफल साबित हुआ है. उन्होंने न केवल केरल की वायनाड और यूपी की रायबरेली सीट से जीत हासिल की, बल्कि कांग्रेस भी यूपी में खोई जमीन हासिल करने की ओर बढ़ी है. लोकसभा चुनाव में पार्टी ने सूबे में शानदार प्रदर्शन किया है, जीत के बावजूद उनके सामने चुनौतियों का पहाड़ है.
यूपी से पार्टी को सींचेंगे राहुल
राहुल गांधी के वायनाड सीट को छोड़कर रायबरेली सीट को चुनने के पीछे कई सियासी संभावनाएं देखी जा रही हैं. कांग्रेस सूबे में खोई सियासी जमीन को दोबारा हासिल करना चाहती है, इसके लिए राहुल गांधी खुद यूपी में रहकर पार्टी को नए सिरे से संवारेंगे. जाति जनगणना और संविधान रक्षा के मुद्दे के जरिए जातीय समीकरण को धार देंगे. राहुल गांधी के रायबरेली से सांसद बने रहने पर पार्टी में जोश भरा है और कार्यकर्ता उत्साहित हैं. पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग के कई नेता लगातार कांग्रेस का हाथ थाम रहे हैं.
यूपी में कांग्रेस को मिली संजीवनी
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने अप्रत्याशित जीत हासिल की. 2019 लोकसभा चुनाव में केवल रायबरेली सीट जीत पाई जबकि 2024 के नतीजे इससे उलट आए. पार्टी ने न केवल 2019 में हारी परंपरागत अमेठी सीट पर कब्जा जमाया बल्कि कुल 6 सीटों पर जीत हासिल की. यही नहीं सूबे की 11 सीटें ऐसी रहीं, जहां पार्टी के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे. यह इसलिए भी खास है क्योंकि सपा से गठबंधन में चुनाव लड़ी कांग्रेस ने अपने कोटे की 17 सीटों पर ही प्रत्याशी उतारे थे. 2019 के मुकाबले 2024 में कांग्रेस का 40 फ़ीसदी वोट बढ़ा है.
2004 में पहली बार बने सांसद
राहुल गांधी पहली बार 2004 में सांसद बने थे. यूपी की अमेठी लोकसभा ने उनको संसद पहुंचाया. यहां से वह 2014 तक सांसद बनते रहे. 2019 में यहां से उनकी जीत का सिलसिला टूटा, लेकिन 2024 में पार्टी ने फिर इस सीट को बीजेपी से छीन लिया. कांग्रेस को मजबूत करने के लिए राहुल गांधी की भूमिका बेहद अहम है, कांग्रेस सांसद की भारत जोड़ो यात्रा को भी इस चुनाव में अहम फैक्टर माना जाता है.
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का यूपी में प्रदर्शन
2009 में 21 सीटें
2014 - 2 सीटें (अमेठी, रायबरेली)
2019 - 1 सीट (रायबरेली)
2024 - 6 सीट
क्या चुनौतियां?
कांग्रेस ने भले इस लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया हो लेकिन उत्तर भारत में अभी भी उसके सामने कड़ा इम्तेहान बाकी है. यूपी और बिहार में कुल 120 लोकसभा सीटें हैं. बिहार में जहां पार्टी राजद पर निर्भर है तो यूपी में सपा का साथ चाहिए. एक समय दोनों राज्यों में कांग्रेस मजबूत स्थिति में रही है. लेकिन करीब तीन दशक बीत चुके हैं, तब से कांग्रेस दोनों राज्यों में सत्ता से दूर है. दोनों राज्यों में विधानसभा चुनाव में दो साल से कम का समय है, ऐसे में देखना होगा कि राहुल गांधी हिंदी बेल्ट में कांग्रेस को कितना मजबूत करते हैं.
गठबंधन में कम हिस्सेदारी?
कांग्रेस सपा के साथ गठबंधन में सिर्फ 17 लोकसभा सीटों पर लड़ी थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में अखिलेश शायद ही उन्हें ज्यादा सीटें देने की स्थिति में होंगे. कांग्रेस यूपी में महागठबंधन बनाकर बसपा को भी इसमें शामिल करने के अभी भी खिलाफ नहीं है, लेकिन इसके लिए उसका राजनीतिक वजूद और सिकुड़ सकता है.
कम सक्रियता
राहुल गांधी की पार्टी को भले ही लोकसभा चुनाव में छह सीटें मिली हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में उनकी सक्रियता कम ही दिखती है. भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान उन्होंने यूपी में सबसे कम दिन बिताए थे. इससे पहले प्रियंका गांधी को 2022 के चुनाव में पार्टी ने सक्रिय किया था, लेकिन ऐन वक्त पर प्रियंका ने यूपी में पार्टी का चेहरा बनने से इनकार कर दिया.
मजबूत चेहरा
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती यहीं चेहरा खड़ा करने की है, जो सीएम योगी आदित्यनाथ, मायावती, अखिलेश यादव के सामने थोड़ा बहुत मुकाबले में हो. राहुल गांधी या प्रियंका गांधी खुद को यूपी तक सीमित करते नहीं दिखना चाहते. अजय सिंह लल्लू, बृजलाल खाबरी और अजय राय के सहारे पार्टी कितना आगे बढ़ पाएगी यह देखने वाली बात होगी. पार्टी कम सीटों पर लगातार लड़ती है तो अन्य इलाकों में उसे अपना बचा खुचा वोटबैंक भी संभाले रखना मुश्किल होगा.
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