Telangana election results 2023: तेलंगाना की सभी 119 सीट पर एक ही चरण में मतदान हुए और अब आज यानी 3 दिसंबर को काउंटिंग हो रही है जिसमें बीआरएस से सत्ता दूर जाती दिख रही है.
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vidhan sabha chunav results: तेलंगाना राज्य के गठन के बाद से ही बीआरएस दो बार से अपनी सरकार बनाती रही है लेकिन ऐसा लगता है कि यह पार्टी हैट्रिक बनाने से चूक गई. आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद आंध्र और तेलंगाना दोनों राज्यों में सत्ता गंवाने वाली कांग्रेस ने यहां बड़ा उलटफेर किया है. कर्नाटक के बाद एक और दक्षिण भारत राज्य में सत्ता कांग्रेस को सांत्वना दे सकती है, क्योंकि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में वो हार की ओर है. दरअसल, रुझानों में तेलंगाना में स्पष्ट बहुमत कांग्रेस को मिलता दिखाई दे रहा है.
आखिर तेलंगाना में कांग्रेस ने अपने हाथ में सत्ता लेने के लिए किस तरह की उलटफेर की और बीआरएस अपनी गद्दी बचाने में कहां चूक गई आइए उन कारणों पर एक नजर डालते हैं. उन बड़ी वजहों को जानते हैं जिससे राज्य में कांग्रेस के लिए रास्ता खुल गया और बीआरएस पीछे रह गई.
एंटी इंकंबेंसी
10 साल से सत्ता पर बरकरार बीआरएस के खिलाफ लगातार सत्ता विरोधी लहर चल रही थी. बेरोजगारी और राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा कराई गईं भर्ती परीक्षाओं के प्रश्नपत्र बार बार लीक हो रहे थे और इसकी वजह से आधा दर्जन परीक्षाएं रद्द कर दी गईं. इससे युवाओं में खासा रोष और अशांति थी. हाल ऐसा हो गया था कि ग्रामीण क्षेत्रों के लाखों छात्र निराशा हो चुके थे. हालांकि केटीआर ने भी स्वीकार किया था कि बेरोजगार युवाओं में नाराजगी है.
सरकारी कर्मचारियों में निराशा
बीआरएस सरकार के खिलाफ किसानों और गरीबों जैसे अन्य कई वर्गों में भी रोष है. सरकारी कर्मचारियों में निराशा हैं कि संशोधित वेतनमान के लागू करने तक उन्हें केवल 5% अंतरिम राहत मिली. उन्हें न तो महंगाई भत्ता, चिकित्सा प्रतिपूर्ति और न तो किसी भी तरह का सामान्य भविष्य निधि ही भुगतान किया गया.
किसान वर्ग
बीआरएस की हार के कारणों में किसान वर्ग भी शामिल है. दरअसल, सरकार किसानों का पूरा कर्ज माफ करने में विफल रही है.
परिवावाद
तेलंगाना विधानसभा चुनाव में लगातार एक मुद्दा बहस का विषय बना रहा. यहां पर परिवारवाद का दबदबा देखा गया और बीआरएस में तो परिवारवाद पूरी तरह से हावी रहा. मुख्यमंत्री केसीआर खुद गजवेल और कामारेड्डी दो सीटों से चुनावी मैदान में उतरे. केसीआर के बेटे और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव चुनावी मैदान में सिरसिला सीट से उतरे हैं और केसीआर के भतीजे, सिद्दिपेट विधानसभा सीट से फिर से चुनावी मैदान में राज्य के वित्त व स्वास्थ्य मंत्री टी हरीश राव को उतारा गया.
दिल्ली का शराब घोटाला मामला
दिल्ली शराब घोटाला मामले में फंसी मुख्यमंत्री केसीआर की बेटी के. कविता के प्रकरण को कांग्रेस पार्टी की ओर से खूब भूनाया गया और खूब फायदा उठाया गया. तेलंगाना में तब पूरी तरह से अनुमान लगा लिया गया था कि कविता की गिरफ्तारी हो जाएगी पर जब नहीं हुई तो कांग्रेस ने भाजपा और बीआरएस मिले होने और साथ चुनाव लड़ने की बात फैलाई.
मुस्लिम वोटर्स
2014 में तेलंगाना राज्य बना और तब मुस्लिम वोटर्स केसीआर के साथ हो लिए. मुसलमानों के लिए आरक्षण हो या मौलानाओं को वेतन तय करने संबंधी योजनाएं ही क्यों न हों, लगातार इस वर्ग को नकद सहायता दी जाती रही. इसका असल दो विधानसभा और लोकसभा चुनाव में दिखा जब मुस्लिम वोटर एक मुस्त बीआरएस के पक्ष थे लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाता बंटे दिखे. बड़ी संख्या में मुस्लिम वोटों का कांग्रेस की छिटकने के दुष्प्रभाव से बीआरएस नहीं बच पाई.
रेवंत रेड्डी
तेलंगाना के कांग्रेस की जीत की एक वजह रेवंत रेड्डी को भी माना जा रहा है. तेलंगाना कांग्रेस अध्यक्ष पद पर रहते हुए कांग्रेस को रेवंत रेड्डी ने राज्य में काफी मजबूत किया. कांग्रेस नेता राहुल गांधी व प्रियंका गांधी के वे करीबी भी माने जाते हैं और राहुल गांधी ने जब भारत जोड़ो यात्रा निकाली थी तब भी तेलंगाना में रेवंत रेड्डी ने कमान संभाल रखी थी.
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