साल 2015 में चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने वोटर कार्ड को आधार से जोड़ने के लिए सिफारिश की थी. इसका मुख्य कारण था कि मतदाता सूची में ज्यादा से ज्यादा पारदर्शिता हो और फर्जी वोटर्स हटाए जा सकें.
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Aadhaar-Voter Card Link: आगामी चुनाव के मद्देनदर पहचान प्रमाणपत्र (Voter ID) में सुधार से जुड़े एक अहम बिल को कैबिनेट बैठक (Union Cabinet) में मंजूरी मिल गई है. उत्तर प्रदेश में कुछ ही महीने में विधानसभा चुनाव आने वाले हैं. ऐसे में यूपी की जनता के लिए यह अहम खबर हो सकती है. नए प्रवाधान के अनुसार आने वाले समय में वोटर कार्ड (Voter Card) को आधार नंबर (Aadhaar Card) से जोड़ा जा सकता है. दावा है कि इससे चुनाव में फर्जी वोटिंग को रोकने में मदद मिलेगी. लिहाजा, बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल (central cabinet) ने चुनाव सुधारों को लेकर यह अहम फैसला लिया है.
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चुनाव आयोग ने की थी सिफारिश
दरअसल, साल 2015 में चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने वोटर कार्ड को आधार से जोड़ने के लिए सिफारिश की थी. इसका मुख्य कारण था कि मतदाता सूची में ज्यादा से ज्यादा पारदर्शिता हो और फर्जी वोटर्स हटाए जा सकें. इस योजना पर काम भी शुरू कर दिया गया था, लेकिन कुछ ही महीने बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) पहुंचा और कोर्ट ने इस योजना पर रोक लगा दी. बुधवार को मोदी कैबिनेट (Modi Cabinet) में इस बिल को मंजूरी दे दी गई है. इस बिल के संसद में पास होते ही वोटर कार्ड को आधार कार्ड से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.
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फर्जीवाड़े को रोकने में मिलेगी मदद
अक्सर ऐसा देखा गया है कि एक व्यक्ति का नाम एक शहर के वोटर लिस्ट में होता है, लेकिन वो लंबे समय से दूसरे शहर में रह रहा होता है तो वह व्यक्ति उस शहर में वोटर आईडी कार्ड बनवा लेता है. ऐसे में एक इंसान के कई जगह वोटर लिस्ट में नाम हो जाते हैं, लेकिन अब आधार के जुड़ने से एक वोटर का नाम केवल एक ही जगह के वोटर लिस्ट में शामिल हो पाएगा. हालांकि आधार को वोटर से जोड़ना अनिवार्य नहीं है. यानी की आप चाहे तो ही वोटर आईडी को आधार से लिंक करें.
इतनी बार मिलता है कार्ड बनवाने का मौका
बता दें, प्रस्तावित बिल देश के युवाओं को हर साल चार अलग तारीखों पर खुद को वोटर के तौर पर रजिस्टर करने की अनुमति देगा. यानी वोटर आराम से साल में चार तारीखों पर अपना वोटर आईडी कार्ड बनवा सकता है. भारत निर्वाचन आयोग ने वोटर्स के लिए रजिस्टर्ड कराने की कटऑफ डेट की वकालत करता रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि 1 जनवरी को कटऑफ डेट के कारण कई लोग मतदाता सूची में अपना नाम शामिल नहीं करवा पाते हैं. इसलिए अब से साल में 4 बार रजिस्ट्रेशन की इजाजत दी गई है.
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