Akhilesh Yadav By Election: चचा शिवपाल की नाराजगी के बाद से अखिलेश यादव के सामने आजमगढ़ में बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है. अखिलेश ने आजमगढ़ उपचुनाव में भाई धर्मेंद्र यादव को खड़ा किया है और उनके प्रतिद्वंद्वी दिनेश लाल निरहुआ हैं, जो बीजेपी से खड़े हैं. पढ़ें खबर...
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Azamgarh By Election: आजमगढ़ उपचुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) यादव वोट बैंक को अपनी तरफ खींचने में लगी है तो वहीं बहुजन समाज पार्टी (BSP) मुस्लिम वोट बैंक को अपनी ओर लेने की कोशिश कर रही है. ऐसे में सपा मुखिया की प्रतिष्ठा दांव पर है. आजमगढ़ की सीट सपा का मजबूत गढ़ रही है, लेकिन अब इसे अपने पास बनाए रखना इतना आसान नहीं दिख रहा.
सपा का गढ़ रहा है आजमगढ़
सबसे पहले तो अखिलेश यादव के सामने चैलेंज है मुसलिम-यादव (MY Factor) वोट बैंक को सेंधमारी को रोकने का. इसके बाद उन्हें यह भी साबित करना होगा कि धर्मेंद्र यादव (Dharmendra Yadav) को बदायूं से आजमगढ़ लाना एक सही फैसला था. हालांकि, बता दें कि इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी लहर होने के बावजूद सभी 10 सीटें अपने नाम दर्ज कर ली थीं. यहां एम-वाई फैक्टर हमेशा अखिलेश के पक्ष में रहा है. पिता मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) हों या बेटे अखिलेश यादव... जनता ने दोनों पर भरोसा जताया और उन्हें जिताया है. अब चचेरे भाई धर्मेंद्र की बारी है जनता का विश्वास जीतने की.
निरहुआ अखिलेश को भी दे चुके हैं टक्कर
धर्मेंद्र यादव के प्रतिद्वंद्वी के रूप में बीजेपी से दिनेश लाल निरहुआ उन्हें कड़ी टक्कर देने के लिए खड़े हैं. आजमगढ़ में यादवों की तादाद बहुत है. दोनों ही यादव प्रत्याशी आजमगढ़ के यादव समुदाय के वोट के लिए लड़ने वाले हैं. पिछली बार भी निरहुआ ने अखिलेश यादव को जमकर टक्कर दी थी.
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क्या कहते हैं विशेषज्ञ
गौरतलब है कि मुस्लिम समुदाय को अपनी तरफ लेने के लिए बसपा के नेता गुड्डू जमाली काफी मेहनत कर रहे हैं. आजमगढ़ उपचुनाव को लेकर वह काफी एक्टिव दिख रहे हैं. ऐसे में नहले पर दहला मारते हुए समाजवादी पार्टी ने महाराष्ट्र से अबु आजमी को प्रचार के लिए बुलाया है. अबु आजमी भी नूपूर शर्मा पर खासा हमलावर हैं और गिरफ्तारी की मांग कर चुनावी माहौल को गर्म कर रहे हैं. अगर इस मुद्दे को लेकर पोलराइजेशन हुआ तो फायदे में बीजेपी और सपा दोनों ही रहेंगी.
शिवपाल की नाराजगी किसे पहुंचाएगी नुकसान?
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में जब आजमगढ़ से मुलायम सिंह यादव खड़े हुए थो, तो उनके सामने बीजेपी (अब सपा) के रमाकांत यादव मैदान में उतरे थे. वहीं, बसपा से ही गुड्डू जमाली थे. जब मुलायम को लगा कि चुनाव प्रचार कमजोर हो रहा है तो उन्होंने शिवपाल यादव को आजमगढ़ में कैंप करने के लिए कहा. शिवपाल की बदौलत सपा की स्थिति संभली और मुलायम सिंह को भारी संख्या में वोट मिले. ऐसे में अब शिवपाल का नाराज होना अखिलेश यादव को परेशानी में डाल सकता है.
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