बीजेपी ने कौशांबी-आजमगढ़ से ही क्यों खेला दलित कार्ड, क्या है अमित शाह के दलित सम्मेलन का महादांव
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand1642284

बीजेपी ने कौशांबी-आजमगढ़ से ही क्यों खेला दलित कार्ड, क्या है अमित शाह के दलित सम्मेलन का महादांव

UP Politics : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी आज कौशांबी और आजमगढ़ में होंगे. यहां दलित सम्मेलन में भी बीजेपी के दिग्गज नेता शिरकत करेंगे. 

Dalit Sammelan Kaushambi Amit Shah Yogi Adityanath

UP Politics : उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने एक बार फिर पूर्वांचल से मिशन 2024 के लोकसभा चुनाव का बिगुल फूंक दिया है. पार्टी आज कौशांबी और आजमगढ़ में दलित सम्मेलन के जरिये आम चुनाव से पहले सियासी दांव खेलेगी. इससे पहले भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने गाजीपुर से जनवरी में चुनावी शंखनाद किया था और पिछड़ा वोट बैंक को साधा था. 

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यूपी में लोकसभा चुनाव आते-आते दलितों को अपने पाले में लाने की सपा और बीजेपी में कवायद तेज होती दिखाई देगी.  यूपी में करीब 21 फीसदी दलित वोट हैं. दलित लंबे समय तक मायावती का मजबूत वोट बैंक रहा है और सोशल इंजीनियरिंग के चलते इसी वोट बैंक की बुनियाद पर मायावती चार बार सत्ता की दहलीज तक भी पहुंचीं. लेकिन चुनाव दर चुनाव बसपा के कमजोर प्रदर्शन के साथ मायावती जनता के बीच चमक खोती जा रही हैं. इस कमजोर होते हाथी का हिस्सा अपने पाले में बीजेपी और सपा जुट गई है. 

बीजेपी बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती बड़े पैमाने पर मना रही है. 6 अप्रैल से 14 अप्रैल (भीमराव अंबेडकर के जन्मदिन) तक सामाजिक न्याय सप्ताहदलितों के दिल में जगह बनाने की कोशिश है. पीएम नरेंद्र मोदी का दलितों के पैर धोना भी बड़ा संदेश है.वहीं रायबरेली में कांशीराम की मूर्ति का अनावरण अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी की दलित विरोधी छवि पर सियासी प्रहार किया है. अखिलेश यादव 14 अप्रैल को मध्य प्रदेश जाएंगे और महू में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जन्मस्थली पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि देंगे. राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी भी उनके साथ होंगे. 

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि 2014 से लगातार चार चुनावों में हार की टीस झेल रही समाजवादी पार्टी को शायद यह अंदाजा हो गया है कि सिर्फ मुद्दों और चेहरे के दम पर भाजपा से मुकाबला नहीं किया जा सकता. लिहाजा अखिलेश की कोशिश पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यक को एक पाले में लाकर मुस्लिम यादव दलित समीकरण को साधने की है. 

दलित आबादी 21 फीसदी
उत्तर प्रदेश में दलित आबादी की बात करें तो जाटव करीब 10 फीसदी हैं. खटिक-बाल्मीकि की संख्या करीब 4.5 फीसदी है. पासी 3.5 फीसदी, कोरी 1 फीसदी और धोबी 1 फीसदी और अन्य 1 फीसदी  हैं. जाटव समुदाय लंबे समय तक मायावती और बसपा का कोर वोटबैंक रहा है. 

कौशांबी की बात करें तो जिले की आबादी में 35 फीसदी आबादी दलित है, जबकि 14 फीसदी मुस्लिम हैं. ऐसे में दलितों को अपने पाले में लाकर बीजेपी 2024 में यहां पिछले चुनाव की भरपाई कर सकती है. 

आजमगढ़ और रायबरेली में दलितों की बड़ी आबादी
वहीं आजमगढ़ की भी बात करें तो वहां 22 फीसदी दलितों की है और करीब इतनी ही तादाद में मुसलमान हैं. लेकिन इन जिलों में मजबूत मुस्लिम यादव दलित समीकरण के कारण बीजेपी को अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई है. रायबरेली 30.26 फीसदी एससी और 0.05 फीसदी एसटी समुदाय की संख्या है. मुस्लिम भी 12 फीसदी हैं. 

यूपी में दलित विधायक
बीजेपी- 64
सपा -17
अन्य -4

लोकसभा की आरक्षित सीट किसके पास
बीजेपी 77
कांग्रेस-09
बसपा-02
अन्य-43

दलितों की साक्षरता दर
देश में -66.1
यूपी - 60.59

दलितों की आबादी
देश में -20.13 करोड़
यूपी - 4.13 करोड़

 

 

WATCH: गुड नहीं शोक का दिन होता है गुड फ्राइडे, जानें इस दिन को लेकर नंबर 33 का राज

Trending news