जानकारी के मुताबिक आनंदनगर-बढ़नी-गोंडा रेलवे लाइन पर मार्च तक इसका काम पूरा कर लिया जाएगा. पूर्वोत्तर रेलवे के लगभग 77 प्रतिशत रेलमार्गों पर विद्युतीकरण का काम पूरा कर लिया गया है.
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश को दिसंबर 2022 तक इलेक्ट्रिक इंजन से चलने वाली ट्रेनों को सौगात मिलेगी. इनका संचालन पूर्वोत्तर रेलवे ( NorthEastern Railway) के 90 प्रतिशत रेल लाइनों पर किया जाएगा. इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. मुख्य रेलमार्गों पर विद्युतीकरण (Electrification) का काम शुरू किया जा चुका है. इसके अलावा साइड लाइनों लूप लाइनों पर इसका काम तेजी से किया जा रहा है. रेलवे बोर्ड ने साल 2023 तक इसके निमार्ण कार्य पूरा करने का टारगेट रखा है.
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75 प्रतिशत रूट पर पूरा हो चुका विद्युतीकरण
जानकारी के मुताबिक आनंदनगर-बढ़नी-गोंडा रेलवे लाइन पर मार्च तक इसका काम पूरा कर लिया जाएगा. पूर्वोत्तर रेलवे के लगभग 77 प्रतिशत रेलमार्गों पर विद्युतीकरण का काम पूरा कर लिया गया है. साल 2020-21 और 2021-22 तक यानी 2 साल में 15 रेलमार्गों पर विद्युतीकरण कर इलेक्ट्रिक इंजन से ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया गया था.
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इन रेलमार्गों पर हुआ विद्युतीकरण
बीते दो साल में बरेली सिटी-पीलीभीत, गोरखपुर-आनन्दनगर-नौतनवा, मऊ-आजमगढ़, औंड़िहार-डोभी, कछवा रोड-माधोसिंह-ज्ञानपुर रोड, सलेमपुर-बरहज बाजार, गोण्डा-सुभागपुर, दुरौंधा-मसरख, सीतापुर-परसेण्डी, मन्धना-ब्रह्मावर्त, पीलीभीत-टनकपुर, आजमगढ़-शाहगंज, सीतापुर-लखीमपुर-बांकेगंज, गोण्डा-बहराईच, औंड़िहार-नन्दगंज-गाजीपुर सिटी, शाहजहापुर-पीलीभीत, भटनी-औंड़िहार और फेफना-इंदारा रेलमार्गों पर विद्युतीकरण हुआ है.
यह होते हैं विद्युतीकरण के फायदे
विद्युतीकरण होने से ट्रेन की रेक से एक पावरकार की उपयोगिता खत्म हो जाती है. प्रदूशष पर कंट्रोल बना रहता है. ईंजन के रख-रखाव में लगने वाले खर्च में कमी आती है, क्योंकि बिजली ईंजनों की रख-रखाव लागत 16.45 रुपये प्रति हजार जीटीकेएम है जबकि डीजल ईंजनों के रख-रखाव की लागत प्रति हजार जीटेकेएम 32.84 रुपये है.
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