Ramveer Upadhyay: नहीं रहे हाथरस की राजनीति का बड़ा नाम रामवीर उपाध्याय, यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री का लंबी बीमारी के बाद निधन
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Ramveer Upadhyay: नहीं रहे हाथरस की राजनीति का बड़ा नाम रामवीर उपाध्याय, यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री का लंबी बीमारी के बाद निधन

Ramveer Upadhyay passed away: पूर्व ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय का शुक्रवार की देर रात आगरा में निधन हो गया.... वह करीब एक साल से गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे.....उनके निधन की खबर से समर्थकों में और सियासी गलियारों में मातम छा गया...

 

File photo

मनीष गुप्ता/आगरा: मायावती सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे रामवीर उपाध्याय (Ramveer Upadhyay) का शुक्रवार देर रात निधन हो गया. कई दिनों से उनका स्वास्थ्य खराब चल रहा था. वह आगरा (Agra) के रेनबो अस्पताल में भर्ती थे. पूर्व मंत्री के निधन की खबर सुनकर उनके समर्थकों में शोक की लहर दौड़ गई है. देर रात हुए निधन के बाद जैसे ही समर्थकों को जानकारी मिली, समर्थकों का निवास पर पहुंचना शुरू हो गया था.

पैतृक गांव बामौली में अंतिम संस्कार
बताया जा रहा है कि रामवीर उपाध्याय का अंतिम संस्कार शनिवार को हाथरस (Hathras) में उनके पैतृक गांव बामौली में होगा.  दोपहर 12 बजे हाथरस लेबर कॉलोनी पार्क में अंतिम दर्शन हेतु रखा जायेगा. अंतिम दर्शन के बाद शाम 4 बजे उनके पैतृक गांव बामौली में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. 

बसपा के कद्दावर नेता थे रामवीर उपाध्याय
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में रामवीर उपाध्याय को ब्राह्मणों का बड़ा नेता माना जाता था. रामवीर उपाध्याय पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता थे. वे 65 साल के थे. वह लंबे समय तक बसपा में रहे. विधान सभा चुनाव से पहले ही उन्होंने बसपा छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की थी. इस बार उन्होंने सादाबाद विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. रामवीर उपाध्याय बसपा सरकार (BSP Government) में ऊर्जा मंत्री रहे थे. 

पांच साल तक विधायक रहने के बाद रामवीर ने सादाबाद विधानसभा को अपनी राजनीति के लिये चुना. 2017 में वह फिर सादाबाद से बसपा के उम्मीदवार बने और सपा प्रत्याशी देवेन्द्र अग्रवाल को हराया. वर्ष 2009 में उन्होंने पत्नी सीमा उपाध्याय को आगरा की फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा था. उनकी पत्नी ने  राजबब्बर (Rajbabbar) को हरा कर चुनाव जीता था. BSP से पहले रामवीर ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत बीजेपी से ही की थी. यह इत्तेफाक ही है कि उनका निधन भी बीजेपी में रहते हुए ही हुआ.

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