नोएडा अथॉरिटी की सीईओ रितु माहेश्वरी को गैर जमानती वारंट से राहत, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुक्रवार तक के लिए टली
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नोएडा अथॉरिटी की सीईओ रितु माहेश्वरी को गैर जमानती वारंट से राहत, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुक्रवार तक के लिए टली

सुप्रीम कोर्ट ने रितु माहेश्वरी को मिली अंतरिम राहत पर रोक लगाने से इनकार किया है....  जस्टिस नज़ीर की पीठ ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई नहीं करेगी, मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर शुक्रवार को उचित बेंच सुनवाई करे....

 

 

नोएडा अथॉरिटी की सीईओ रितु माहेश्वरी को गैर जमानती वारंट से राहत, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुक्रवार तक के लिए टली

गौतमबुद्धनगर: नोएडा अथॉरिटी की सीईओ CEO और आईएस अधिकारी रितु माहेश्वरी (Ritu Maheshwari) की याचिका पर  सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई शुक्रवार तक के लिए टल गई है. रितु माहेश्वरी को सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम राहत शुक्रवार तक जारी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट में माहेश्वरी की याचिका पर उचित बेंच सुनवाई करेगी. 

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उचित बेंच सुनवाई करेगी
हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने कहा कि मामले में सुनवाई के बिना ही हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी गई है.  सुप्रीम कोर्ट ने रितु माहेश्वरी को मिली अंतरिम राहत पर रोक लगाने से इनकार किया है.  जस्टिस नज़ीर की पीठ ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई नहीं करेगी, मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर शुक्रवार को उचित बेंच सुनवाई करे. अब मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर शुक्रवार को उचित बेंच सुनवाई करेगी. 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जारी किया था नोटिस
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रितु माहेश्वरी के खिलाफ अवमानना मामले में पेश नहीं होने पर गैर ज़मानती वारंट जारी किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आप हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं करते तो आपको इसका नतीजा झेलना होगा. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि 13 मई को पुलिस ऋतु माहेश्वरी को कोर्ट में पेश करे.

जानें क्या है पूरा मामला?
नोएडा के सेक्टर-82 में अथॉरिटी ने 30 नवंबर 1989 और 16 जून 1990 को ‘अर्जेंसी क्लोज‘ के तहत भूमि अधिग्रहण किया था.  जिसे जमीन की मालकिन मनोरमा कुच्छल ने चुनौती दी थी. साल  1990 में दायर मनोरमा की याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 19 दिसंबर 2016 को अपना फैसला सुनाया था. हाईकोर्ट ने ‘अर्जेंसी क्लॉज’ के तहत किए गए भूमि अधिग्रहण को निरस्त कर दिया. और मनोरमा कुच्छल को नए भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत सर्किल रेट से लगभग दोगुनी दरों पर मुआवजा देने का आदेश दिया. इसके अलावा प्रत्येक याचिका पर 5-5 लाख रुपये का खर्च आंकते हुए भरपाई करने का आदेश नोएडा विकास अथॉरिटी को सुनाया था.

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