फर्रुखाबाद पीतल और लकड़ी की बनी डाइयों से प्रिंटिंग के लिए जाना जाता है. ये ब्लॉक कंबलों के कवर, साड़ी, शॉल, सूट, स्कार्फ, स्टोल्स आदि पर प्रिंटिंग के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. यहां तैयार किए गए प्रोडक्ट्स की डिमांड देश-विदेश में है.
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नई दिल्लीः अगर आप उत्तर प्रदेश के अलग-अलग शहरों से जुड़ी वहां की खासियत और ऐतिहासिक जानकारियों को जानने के शौकीन हैं, तो आज की यह जानकारी आपको जरूर अच्छी लगेगी. यूपी में आज भी ऐसे अनगिनत किस्से दफन हैं, जिनके बारे में शायद आप जानते भी नहीं होंगे.
ये किस्से उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक धरोहर हैं. यूपी के सभी जिलों की खास बात यह है कि हर जिले की एक अलग विशेषता है, जो सभी को एक-दूसरे से अलग पहचान देती है. इसी क्रम में हम आपको फर्रुखाबाद की मशहूर चीज के बारे में बताने जा रहे हैं.
ब्लॉक प्रिंटिंग के लिए है विख्यात
फर्रुखाबाद पीतल और लकड़ी की बनी डाइयों से प्रिंटिंग के लिए जाना जाता है. ये ब्लॉक कंबलों के कवर, साड़ी, शॉल, सूट, स्कार्फ, स्टोल्स आदि पर प्रिंटिंग के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. यहां की प्रिंटिंग ब्लॉक कारीगरी की पूरी दुनिया कायल है. यहां तैयार किए गए प्रोडक्ट्स की डिमांड देश ही नहीं, बल्कि अमेरिका, ब्राजील और बहुत से एशियाई व यूरोपीय देशों में भी है.
फर्रुखाबाद ब्लॉक प्रिंटिंग
फर्रुखाबाद ब्लॉक प्रिंटिंग इतिहास सन् 1714 में इसके निर्माण से शुरू होता है. कहा जाता है कि प्रिंटिंग की जड़ें प्राचीन कन्नौज में समाहित थी. नवाब मुहम्मद खान बंगश ने योजनाबध्द तरीके से इस कार्य के हुनरमंदों को हरियाणा से फर्रुखाबाद लाकर जिस जगह पर बसाया था, उसे मोहल्ला सधवाड़ा कहा जाता है. पर्शियन 'ट्री ऑफ लाइफ' हरी पत्तियों के साथ फर्रुखाबाद प्रिंट की पहचान थी.
विदेशों में भी है मांग
पूरी दुनिया में फर्रुखाबाद की पहचान कपड़े की छपाई से होती थी. यहां के सिल्की स्कार्फ, सिल्क की साड़ियां, चादर आदि दुनिया के कोने-कोने में एक्सपोर्ट किए जाते हैं. फर्रुखाबादी प्रिंट के पैटर्न का क्लासिक कलैक्शन डॉ रामकृष्ण म्यूजियम फर्रुखाबाद में मौजूद हैं. फर्रुखाबाद ब्लॉक प्रिटिंग देसी कारीगरों की शिल्प कौशल की गवाही देता है. फर्रुखाबाद को ब्लॉक प्रिंटिंग कला का पर्याय कहना गलत नहीं होगा. माना जाता है कि फर्रुखाबाद में 80 के दशक तक ब्लॉक प्रिंटिंग का स्वर्णिम काल था. यहां डिजाइन की गई साड़ियों की हर प्रदेश में डिमांड रहती थी.
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जरी वर्क भी है मशहूर
शादियों का मौसम शुरू होते ही लड़कियों और महिलाओं के बीच यहां के जरी के लहंगे चुन्नी की ही बात होती है. बॉलीवुड में भी यहां के लहंगे चुनरी की डिमांड रहती है. कहा जाता है कि मुगल काल में जरदोजी का काम गांव-गांव फैल चुका था, जो लोगों के लिए घर बैठे आमदनी का माध्यम बना. फर्रुखाबाद में जरदोजी का इतिहास 200 साल से भी ज्यादा पुराना है.
फर्रुखाबाद परिचय
यूपी का फर्रुखाबाद एक ऐतिहासिक शहर है. यह अपनी गंगा-जमुनी तहजीब के लिए जाना जाता है. फर्रुखाबाद जिला प्रशासनिक रूप से कानपुर मंडल का एक हिस्सा है. यह जिला दो टाउनशिप फर्रुखाबाद और फतेहगढ़ से मिलकर बना है. दोनों शहर 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं. जिले का मुख्यालय फतेहगढ़ में स्थित है.
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