लखनऊ: समाजवादी पार्टी के विधायक पुष्पराज जैन उर्फ पंपी जैन के कानपुर और कन्नौज के ठिकानों पर आयकर विभाग जांच लगभग पूरी हो गई है. समाजवादी इत्र लॉन्च करने वाले पंपी जैन के कानपुर और कन्नौज के आवास और अन्य जगहों से पुलिस को हटा लिया गया है. छापेमारी की कार्रवाई पूरी होने के बाद अब आईटी की टीम अब कार्रवाई के दौरान मिले दस्तावेजों की जांच शुरू कर दी है. वहीं कन्नौज के इत्र कारोबारी के यहां छापेमारी में आयकर विभाग की टीम को बड़ी कर चोरी के सबूत मिले हैं. छापे की कार्रवाई भले ही समाप्त हो गई हो, लेकिन बरामद दस्तावेज की जांच चलती रहेगी.


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यूपी-उत्तराखंड आज की हलचल: पूरे दिन सुर्खियों में रहेंगी ये खबरें जिनका होगा आप पर असर, फटाफट डालें एक नजर


करोड़ों रुपये की नकदी और ज्वेलरी भी बरामद
आयकर विभाग ने परफ्यूम निर्माण और रियल एस्टेट के कारोबार में लगे दो समूहों जिनमें कन्नौज से समाजवादी पार्टी पमपी जैन और मोहम्मद याकूब मोहम्मद अयूब की फर्म शामिल हैं, उन पर 31.12.2021 को तलाशी व जब्ती अभियान चलाया था. तलाशी अभियान के दौरान उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु और गुजरात राज्यों में 40 ठिकानों पर एक साथ रेड की गई थी. शुरुआत में मुंबई और यूपी में स्थित समाजवादी पार्टी के एमएलसी पुष्पराज जैन उर्फ पंपी जैन के समूह के मामले में तलाशी के दौरान पता चला कि समूह इत्र की बिक्री, स्टॉक और खातों में हेराफेरी करके, लाभ को खर्चो में बदलकर टैक्स की चोरी में शामिल है.


करोड़ों रुपये के कर की चोरी
फर्म के बिक्री कार्यालय और मुख्य कार्यालय में पाए गए साक्ष्य से पता चला है कि समूह अपनी खुदरा बिक्री का 35% से 40% हिस्सा 'कच्चा' बिलों यानी कैश में करता है और इन नकद प्राप्तियों को नियमित पुस्तकों में दर्ज नहीं किया जाता है. खाते में करोड़ों रुपये चल रहे हैं. फर्जी पार्टियों से लगभग रु. 5 करोड़ का भी पता चला है. आपत्तिजनक साक्ष्य के विश्लेषण से संकेत मिलता है कि इस तरह से उत्पन्न बेहिसाब आय को मुंबई में विभिन्न रियल एस्टेट परियोजनाओं में निवेश किया जाता है. भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) दोनों में संपत्तियों को इसी कर चोरी की आय से खरीदा गया है. यह भी पता चला है कि समूह ने करोड़ों रुपये के कर की चोरी की है. स्टॉक-इन-ट्रेड को पूंजी में बदलने पर 10 करोड़ रुपये की आय की घोषणा नहीं की गई है. समूह ने करोड़ो रुपये की आय की घोषणा भी नहीं की है.


समूह के प्रमोटरों ने कुछ शेल कंपनियों को भी शामिल किया
ऐसे साक्ष्य भी मिले हैं और जब्त किए गए हैं जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि समूह के प्रमोटरों ने कुछ शेल कंपनियों को भी शामिल किया है. हालांकि, ऐसी शैल कंपनियों को उनके संबंधित आयकर रिटर्न में सूचित नहीं किया गया है. तलाशी के दौरान मिले सबूतों से पता चलता है कि शेल कंपनियां भारतीय प्रमोटरों द्वारा चलाई और प्रबंधित की जाती हैं. ऐसी दो शेल कंपनियों के जरिये संयुक्त अरब अमीरात में एक-एक विला के मालिक होने का पता चला है. यानी ये कंपनियां उन पतों पर रजिस्टर की गई थीं. यह भी पता चला है कि संयुक्त अरब अमीरात से समूह की शैल कंपनियों में से एक ने कथित तौर पर समूह की एक भारतीय इकाई में 16 करोड रुपये से ज्यादा की अत्यधिक प्रीमियम पर अवैध शेयर पूंजी पेश की है.


कुछ शेल संस्थाओं से अवैध पूंजी के रूप में प्राप्त किया
इस समूह इकाई ने 19 करोड़ रुपये शेयर के रूप में कोलकाता स्थित कुछ शेल संस्थाओं से अवैध पूंजी के रूप में प्राप्त किये हैं. इन शेल संस्थाओं के शेयरधारक निदेशकों में से एक ने शपथ पर स्वीकार किया कि वह एक डमी निदेशक था और उसने समूह के प्रमोटरों के कहने पर समूह की कंपनी की शेयर पूंजी में निवेश किया था.


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