कासगंज का वो क्रांतिकारी जिसने हिला दी थीं अंग्रेजी हुकूमत की चूलें, भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव की मदद के लिए मिली थी उम्रकैद की सजा
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कासगंज का वो क्रांतिकारी जिसने हिला दी थीं अंग्रेजी हुकूमत की चूलें, भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव की मदद के लिए मिली थी उम्रकैद की सजा

Independence day 2022: अमर शहीद महावीर सिंह राठौर का जन्म उत्तर प्रदेश के कासगंज की तहसील पटियाली क्षेत्र के गांव शाहपुर टहला नामक एक छोटे से गांव में हुआ था. जानिए अमर शहीद महावीर सिंह राठौड़ के बारे में जिनके जोश को देख अंग्रेज तिलमिला उठे थे. 

कासगंज का वो क्रांतिकारी जिसने हिला दी थीं अंग्रेजी हुकूमत की चूलें, भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव की मदद के लिए मिली थी उम्रकैद की सजा

गौरव तिवारी/कासगंज: पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और हर घर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है. जिसके जरिए कोशिश की जा रही है कि आजादी के 75 साल और इसके लोगों, संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास के बारे में लोगों को जानकारी मिल सके. इसी क्रम में जानिए अमर शहीद महावीर सिंह राठौड़ के बारे में जिनके जोश को देख अंग्रेज तिलमिला उठे थे. 

यूपी के कासगंज जिले में हुआ था जन्म 
अमर शहीद महावीर सिंह राठौर का जन्म 16 सितंबर 1960 को उत्तर प्रदेश के जनपद कासगंज की तहसील पटियाली क्षेत्र के गांव शाहपुर टहला नामक एक छोटे से गांव में हुआ था. आजादी की जंग में क्रांतिकारी महावीर सिंह राठौर उन दिनों गदर आंदोलन और हिंदुस्तान सोशल रिपब्लिकन आर्मी के एक सिपाही के रूप में जाने जाते थे.

बचपन में ही अंग्रेजों के खिलाफ बुलंद की थी आवाज
बताया जाता है कि 1922 में एक दिन अंग्रेज अधिकारियों ने अपनी राज भक्ति प्रतिशत करने के उद्देश्य से कासगंज में अमन सभा का आयोजन किया था. जिसमें जिला स्तर के सभी अधिकारी थे और स्कूल के छोटे बच्चे भी शामिल थे. जिनमें एक महावीर सिंह भी थे. लोग बारी-बारी उठकर अंग्रेज हुकूमत की तारीख लंबे लंबे भाषण देकर कर रहे थे. अभी बच्चों के बीच में से किसी ने जोर से नारा लगाया महात्मा गांधी की जय बाकी लड़कों ने भी समवेत स्वर में ऊंचे कंठ से इसका समर्थन किया. गांधी की जय जयकार के नारे से गूंज उठे, जिससे अधिकारी तिलमिला उठे थे. 

जांच के फलस्वरुप महावीर सिंह को विद्रोही वाला नेता घोषित कर सजा दी गई. कुछ साल बाद बड़े होकर महावीर सिंह, भगत सिंह राजगुरु व सुखदेव जैसे क्रांतिकारियों के संपर्क में आ गए थे. 

शहीद भगत सिंह के साथ 40 दिनों तक रहे थे भूख हड़ताल पर
वर्ष 1929 में दिल्ली असेंबली में बम फेंकने बाद अंग्रेज अफसर सांडर्स की हत्या के बाद भगत सिंह राजगुरु सुखदेव के साथ महावीर सिंह को भी हिरासत में ले लिया गया, मुकदमे की सुनवाई के लिए उन्हें लाहौर भेज दिया गया. मुकदमा समाप्त हो जाने पर सांडर्स की हत्या में भगत सिंह की सहायता करने के अभियोग में महावीर सिंह को उनके साथ अन्य साथियों के साथ आजीवन कारावास का दंड दिया गया. भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव व अन्य क्रांतिकारियों के साथ-साथ महावीर सिंह राठौर भी 40 दिनों तक जेल के अंदर ही भूख हड़ताल पर रहे. 

काला पानी की सजा काटने के लिए भेजा था अंडमान निकोबार
सजा के बाद कुछ दिनों तक पंजाब की जेलों में रखकर बाकी लोगों को भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और किशोरी लाल के अतिरिक्त मद्रास प्रांत की विभिन्न जिलों में भेज दिया गया. महावीर सिंह और गया प्रसाद को गैलरी सेंट्रल जेल ले जाया गया. जहां से जनवरी 1933 में उन्हें उनके कुछ साथियों के साथ अन्य मानकों पर स्थित पोर्ट ब्लेयर की सेल्यूलर जेल में काला पानी की सजा काटने के लिए भेज दिया गया.

भूख हड़ताल के बाद हुई थी मौत
जेल के अंदर क्रांतिकारियों के साथ मिलकर महावीर सिंह राठौर ने भूख हड़ताल की थी. फिर उसके कुछ दिनों बाद महावीर सिंह राठौर की मौत हो गई थी. फिर अंग्रेजों ने उनके शव को बांधकर समुद्र में फेंक दिया था. 

 

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