Mahadevi Verma Birth Anniversary: आधुनिक युग की मीरा कही जाने वाली महादेवी वर्मा की 115वीं जयंती आज, जानें उनकी श्रेष्ठ रचनाएं
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Mahadevi Verma Birth Anniversary: आधुनिक युग की मीरा कही जाने वाली महादेवी वर्मा की 115वीं जयंती आज, जानें उनकी श्रेष्ठ रचनाएं

Mahadevi Verma Birth Anniversary: परिवार में सात पीढ़ियों के बाद बेटी ने जन्म लिया था. बेटी को देखने पर पिता बांके बिहारी के मुंह से निकला कि यह कोई साधारण बच्ची नहीं बल्कि देवी स्वरुपा है. इसके बाद से ही बच्ची का नाम महादेवी रख दिया गया था. यह बच्ची आगे चलकर महीयसी महादेवी वर्मा के नाम से विख्यात हुईं. 

Mahadevi Verma Birth Anniversary: आधुनिक युग की मीरा कही जाने वाली महादेवी वर्मा की 115वीं जयंती आज, जानें उनकी श्रेष्ठ रचनाएं

Mahadevi Verma Birth Anniversary: हिंदी साहित्य की प्रख्यात कवयित्री महादेवी वर्मा की आज 115वीं जयंती है. उनके कहे गए एक-एक शब्द करुणा और त्याग जैसे भावों को हम सभी से रूबरू कराते हैं. महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तम्भों में से एक महत्वपुर्ण स्ंतभ मानी जाती हैं. उनके काव्य में भावनाओं की गहनता के चलते उन्हें आधुनिक युग की मीरा कहा जाता है. 

7 पीढ़ी के बाद बेटी ने लिया जन्म
परिवार में सात पीढ़ियों के बाद बेटी ने जन्म लिया था. बेटी को देखने पर पिता बांके बिहारी के मुंह से निकला कि यह कोई साधारण बच्ची नहीं बल्कि देवी स्वरुपा है. इसके बाद से ही बच्ची का नाम महादेवी रख दिया गया था. यह बच्ची आगे चलकर महीयसी महादेवी वर्मा के नाम से विख्यात हुईं. जिन्होंने साहित्य के जरिए समाज में नई चेतना और ऊर्जा जगाई. 

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महादेवी वर्मा की लिखी श्रेष्ठ रचना

जो तुम आ जाते एक बार

कितनी करूणा कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग
गाता प्राणों का तार तार
अनुराग भरा उन्माद राग

आंसू लेते वे पथ पखार
जो तुम आ जाते एक बार

हंस उठते पल में आर्द्र नयन
धुल जाता होठों से विषाद
छा जाता जीवन में बसंत
लुट जाता चिर संचित विराग

आंखें देतीं सर्वस्व वार
जो तुम आ जाते एक बार

14 साल की उम्र में हुई थी शादी
कवयित्री महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च, 1907 को फर्रूखाबाद में हुआ था. महादेवी वर्मा की शादी केवल 14 साल की उम्र में ही हो गई थी. उनकी शादी बरेली के डॉक्टर स्वरूपनारायण वर्मा से हुई थी. कुछ समय बाद ससुराल का वातावरण रास न आने के कारण वो आगे की पढ़ाई के लिए इलाहाबाद आ गईं. उनके विषय में कहा जाता है कि वो बौद्ध भिक्षुणी बनना चाहती थीं, लेकिन महात्मा गांधी से मिलने के बाद उन्होंने समाज-सेवा की ओर अपना मुख मोड़ लिया. 

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महादेवी वर्मा के प्रमुख काव्य
महादेवी वर्मा ने गद्य, काव्य, शिक्षा और चित्रकला सभी क्षेत्रों में नए आयाम स्थापित किए. महादेवी के काव्य संग्रहों में 'रश्मि', 'नीरजा', 'सांध्य गीत', 'यामा', 'नीहार', 'दीपशिखा', और 'सप्तपर्णा' आज भी सबसे ज्यादा पढ़े जाते हैं. गद्यकार के रूप में भी उनकी काफी ज्यादा पहचान बनीं. गद्य में रूप उन्होंने 'स्मृति की रेखाएं', 'अतीत के चलचित्र', 'पथ के साथी' और 'मेरा परिवार' हिदी साहित्य जगत की अनमोल धरोहर हैं. 

इस अवार्ड से हुईं सम्मानित
महादेवी वर्मा कई बड़े अवार्ड से सम्मानित किया गया है. उन्हें पद्म भूषण, ज्ञानपीठ और पद्म विभूषण से जैसे बड़े सम्मान मिले हैं. महादेवी वर्मा बालिकाओं की उच्च शिक्षा के लिए हमेशा आगे रहती थी. वह चाहती थीं कि बालिका जब शिक्षित बनेंगी तभी वह रूढ़ि और कुरीतियों का विरोध कर सकेंगी. ऐसा होने से ही  प्रगतिशील समाज का निर्माण होगा. 

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