OP Rajbhar ने की यूपी भाजपा उपाध्यक्ष से मुलाकात, क्या Owaisi के बाद अब अखिलेश को भी देंगे झटका
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OP Rajbhar ने की यूपी भाजपा उपाध्यक्ष से मुलाकात, क्या Owaisi के बाद अब अखिलेश को भी देंगे झटका

यूपी में 2017 के विधानसभा चुनाव में ओपी राजभर की पार्टी सुभासपा और बीजेपी के बीच गठबंधन हुआ था. सुभासपा ने चार सीटें भी जीती थीं. भाजपा की सरकार बनने पर ओपी राजभर योगी कैबिनेट में मंत्री भी बने. लेकिन बाद में उनका भाजपा नेताओं से मनमुटाव हो गया. राजभर ने मंत्री पद छोड़ दिया और भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. 

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर. (File Photo)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 की तारीखों का एलान होने के साथ ही राज्य का सियासी पारा चढ़ गया है. इस बीच सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर एक बार फिर सुर्खियों में हैं. इसकी वजह उत्तर प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह से रविवार को ओपी राजभर की एक बंद कमरे में हुई मुलाकात है. अब अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं कि क्या ओम प्रकाश राजभर चुनाव ऐ ठीक पहले सपा और अखिलेश यादव को झटका देकर भाजपा के खेमे में आ जाएंगे?

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हालांकि, ओपी राजभर इससे पहले भी कई बार दयाशंकर सिंह से मुलाकात कर चुके हैं. उनसे जब पत्रकारों ने इस मुलाकात के बारे में पूछा तो ओपी राजभर ने स्वीकार किया कि भाजपा नेता दयाशंकर सिंह से उनकी शिष्टाचार मुलाकात हुई है. ओपी राजभर ने शुरुआत में जनसंकल्प भागीदारी मोर्चा बनाया था. इसमें असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM समेत 10 छोटे दल शामिल थे. ओवैसी और राजभर की एक से ज्यादा बार मुलाकात भी हुई, दोनों ने साथ में जनसभा भी की थी.

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लेकिन राजभर ने ओवैसी को झटका देते हुए समाजवादी पार्टी के साथ करार कर लिया. अब उनकी बीजेपी नेता के साथ बैठक के बाद अटकलें शुरू हो गई हैं. भाजपा के सहयोगी दल निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ संजय निषाद ने भी कुछ समय पहले लखनऊ में दावा किया था कि सुभाषपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर उनके बड़े भाई हैं. वह फिर बीजेपी के साथ आएंगे. इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं. संजय निषाद ने कहा था ओपी राजभर के सलाहकार उन्हें ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे हैं.

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यूपी में 2017 के विधानसभा चुनाव में ओपी राजभर की पार्टी सुभासपा और बीजेपी के बीच गठबंधन हुआ था. सुभासपा ने चार सीटें भी जीती थीं. भाजपा की सरकार बनने पर ओपी राजभर योगी कैबिनेट में मंत्री भी बने. लेकिन बाद में उनका भाजपा नेताओं से मनमुटाव हो गया. राजभर ने मंत्री पद छोड़ दिया और भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. उनकी पहचान अब कट्टर भाजपा विरोधी के रूप में बन चुकी है. अपने बेतुके बयानों के लिए भी ओपी राजभर चर्चा में रहते हैं. सूत्रों की मानें तो सपा के साथ गठबंधन को लेकर सुभासपा के भीतर नाराजगी है. एआईएमआईएम के साथ गठबंधन को लेकर भी ओपी राजभर को अपनी ही पार्टी में विरोध झेलना पड़ा था. उनकी पार्टी का एक वर्ग भाजपा के साथ गठबंधन के पक्ष में है. 

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