महंत की मौत पर वेदांती बोले- ''यह आत्महत्या नहीं, सुनियोजित हत्या है'', शिष्य बलवीर पर जताया संदेह
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महंत की मौत पर वेदांती बोले- ''यह आत्महत्या नहीं, सुनियोजित हत्या है'', शिष्य बलवीर पर जताया संदेह

रामविलास वेदांती ने सुसाइड नोट को फर्जी ​बताया और कहा, ''उसमें कई लोगों की हैंडराइटिंग है. लिखावट अलग-अलग है. अलग-अलग स्याही का इस्तेमाल हुआ है. जो उत्तराधिकारी है, उसी की साजिश है, जिसका नाम सुसाइड नोट में बतौर उत्तराधिकारी है, यह उसी का षडयंत्र है.''

पूर्व भाजपा सांसद राम विलास वेदांती. (File Photo)

प्रयागराज: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध परिस्थितियों हुई मौत का मामला उलझता जा रहा है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में महंत नरेंद्र गिरी द्वारा फांसी लगाकर आत्महत्या करने की बात समाने आई है लेकिन उनके भक्तों, करीबियों और अन्य साधु-संतों को इस थ्योरी पर भरोसा नहीं हो रहा है. वे मानने के लिए तैयार नहीं हैं कि महंत नरेंद्र गिरी खुद अपनी जिदंगी खत्म कर सकते हैं. 

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कई नामचीन संतों का कहना है कि यह आत्महत्या नहीं बल्कि सुनियोजित हत्या है. सब इस घटना की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रहे हैं. पूर्व भाजपा सांसद राम विलास वेदांती का कहना हे कि महंत नरेंद्र गिरी की मौत गद्दी हासिल करने के लिए बहुत बड़े षडयंत्र का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि नरेंद्र गिरी बहादुर व्यक्ति और संत थे, वह इस तरह आत्महत्या नहीं कर सकते.

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रामविलास वेदांती ने सुसाइड नोट को फर्जी ​बताया और कहा, ''उसमें कई लोगों की हैंडराइटिंग है. लिखावट अलग-अलग है. अलग-अलग स्याही का इस्तेमाल हुआ है. जो उत्तराधिकारी है, उसी की साजिश है, जिसका नाम सुसाइड नोट में बतौर उत्तराधिकारी है, यह उसी का षडयंत्र है.'' आपको बता दें कि सुसाइड नोट में बतौर उत्तराधिकारी बलवीर गिरी का नाम लिखा है. मैं चाहता हूं कि इस मामले में सीबीआई जांच हो. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग है कि जांच सीबीआई को सौंपी जाए.'' वेदांती ने नरेंद्र गिरी को अपना सच्चा मित्र और राम जन्मभूमि आंदोलन के दिनों का सहयोगी बताया.

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श्री निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी ने भी सुसाइड नोट पर प्रश्नचिन्ह खड़ा किया है. इनका कहना है कि सुसाइड नोट किसी पढ़े लिखे व्यक्ति ने लिखा है. नरेंद्र गिरी ऐसा नहीं लिखते थे. हर पेज की लिखावट और हस्ताक्षर भी अलग-अलग है. ऐसे में शक बढ़ता है इसलिए घटनाक्रम पूरी तरह से संदेहास्पद है. उत्तराखंड से निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर महेशानंद गिरी भी पहुंचे. उन्होंने भी इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की. नरेंद्र गिरी के मिश्र कृष्णकांत पांडेय ने कहा कि कर्मचारियों से दुखी रहते थे. उन पर बहुत जिम्मेदारी थी. वह आत्महत्या करेंगे इस पर विश्वास नहीं हो रहा.

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