शराब भले ही सरकारों के लिए राजस्व का बड़ा जरिया हो, लेकिन यह कई सारी सामाजिक बुराईयां भी लेकर आती है. यही वजह है कि ऋषिकेश के संतों ने पहली बार शराब के ठेके के विरोध चक्काजाम आंदोलन किया है.
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गणेश रायल/ऋषिकेश: अपने आश्रम, मठ-मंदिर और कुटिया में भजन कीर्तन कर साधना करने वाले संतों को आखिरकार सड़क उतरना पड़ा है. वजह है शराब का ठेका. जी हां, नीलकंठ मार्ग पर स्थित गरुड़ चट्टी रत्तापानी में खुले अंग्रेजी शराब ठेके के विरूद्ध ठेके के बाहर संतों ने धरना देकर अपना विरोध जताया है. इस दौरान उन्होंने सड़क पर सांकेतिक रूप से चक्का जाम भी किया. संत यही नहीं रुके, ठेके पर उन्होंने ताला जड़ दिया. संतो ने कहा कि जिलाधिकारी पौड़ी के ठेके को शिफ्ट करने के आदेशों को भी शराब माफिया ठेंगा दिखा रहे हैं. जबकि पास ही भगवान गरुड़ का मंदिर सहित नीलकंठ महादेव पर जल चढ़ाने जाने वाले तीर्थ यात्रियों की भावनाओं को ठेस पहुंच रही है.
धरना प्रदर्शन में अखिल भारतीय संत समिति के महामंडलेश्वर स्वामी दया रामदास, महंत रवि प्रपन्नाचार्य, जगन्नाथ आश्रम के महंत लोकेश दास मौजूद रहे. संतो ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि एक ओर भाजपा की सरकार राम भक्त कहलाने का दावा करती है, वहीं दूसरी और पूरे उत्तराखंड में जगह जगह शराब के ठेके खोलकर देवभूमि को नशे में झोंकने का काम रही है. इससे देव भूमि की गरिमा को ठेस पहुंच रही है.
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इसके विरोध में संत और स्थानीय लोग कई बार सरकार को ज्ञापनों के माध्यम से चेतावनी भी दे चुके हैं. गंगा किनारे आश्रमों कुटियाओं ,मठ मंदिरों में भजन कीर्तन और तप करने वाले संतो की साधना बाधित हो रही है. संतो ने चेतावनी दी कि जब तक गरुड़ चट्टी में खुला ठेका बंद नहीं होगा, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा. अगर इसके बावजूद भी सरकार नहीं चेती तो संत अन्न जल के साथ अपने प्राण भी त्याग देंगे.
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