वाराणसी में बोले शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद- ज्ञानवापी को अपने पूर्व स्वरूप में होना चाहिए
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वाराणसी में बोले शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद- ज्ञानवापी को अपने पूर्व स्वरूप में होना चाहिए

शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद महाराज ने कहा कि भारतीय मुसलमानों के पूर्वज सानतन धर्म से आते थे, जो मुसलमान हिंदुओ को काफिर कहता है वह अपने पूर्वजों को ही काफिर कहता है.

वाराणसी में बोले शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद- ज्ञानवापी को अपने पूर्व स्वरूप में होना चाहिए

वाराणसी: ज्ञानवापी मामले को लेकर आदिगुरु शंकराचार्य निश्चलानंद महाराज का बड़ा बयान सामने आया है. शंकराचार्य निश्चलानंद महाराज ने कहा कि पूर्व में ज्ञानवापी का जो स्वरूप था, उसे एक बार फिर उसी स्वरूप में होना चाहिए. मुस्लिम समुदाय से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि उनके पूर्वजों ने मानवाधिकार का हनन करके जो कदम उठाए उसे वह आदर्श न माने.मुसलमानों को मानवता का परिचय देकर सभी के साथ मिलकर चलाना चाहिए.

'हिंदुओं को काफिर कहने वाले अपने पूर्वजों को काफिर कहते हैं'
श्री गोवर्धनपूरी मठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद महाराज ने कहा कि भारतीय मुसलमानों के पूर्वज सानतन धर्म से आते थे, जो मुसलमान हिंदुओ को काफिर कहता है वह अपने पूर्वजों को ही काफिर कहता है. उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी का जो पूर्व स्वरूप था उसे एक बार फिर इस स्वरूप में लाना चाहिए, जो मैं कह रहा हूं वह एक अभियान है. हम सब अब स्वतंत्र भारत में हैं हमारा अधिकार है कि हम अपने पूर्व के मानवाधिकार को स्थापित करे. मानवाधिकार की सीमा में कोई भी विश्व की शक्ति हमें इससे वंचित नहीं कर सकती है.

'हम भविष्यवाणी ही नहीं, बल्कि भविष्य का निर्माण भी करते हैं'
उन्होंने कहा कि हम भविष्यवाणी ही नहीं करते हैं, बल्कि भविष्य का निर्माण भी करते हैं. श्रीराम सेतु से लेकर अयोध्या का रामलला मंदिर तक इसके उदाहरण हैं. मोदी और योगी जो चाहें श्रेय लें, हमें श्रेय नहीं लेना है, लेकिन हमें मानवाधिकारों का ध्यान रखते हुए अपने मान बिंदुओं को प्रतिष्ठित करने के लिए लगातार प्रयास करते रहना चाहिए.स्वामी निश्चलानंद ने बताया कि वह काशी प्रवास के दौरान हिंदुओं के हित को ध्यान में रखते हुए बैठक करेंगे. हिंदू राष्ट्र संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया है.

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