राकेश प्रताप सिंह अपने क्षेत्र की जर्जर सड़कों का पुनर्निर्माण न होने से नाराज हैं और राजधानी लखनऊ स्थित जीपीओ पर धरना दे रहे हैं.
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अमेठी: कुछ दिनों पहले यूपी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक राकेश प्रताप सिंह का आमरण अनशन शुक्रवार को तीसरे दिन भी जारी रहा. राकेश प्रताप सिंह अपने क्षेत्र की जर्जर सड़कों का पुनर्निर्माण न होने से नाराज हैं और राजधानी लखनऊ स्थित जीपीओ पर धरना दे रहे हैं. आमरण अनशन स्थल पर ZEE मीडिया से बातचीत में पूर्व सपा विधायक ने दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी के 150 नाराज विधायक उनके संपर्क में हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अखिलेश यादव चाहेंगे तो वह भाजपा विधायकों की उनसे मुलाकात भी करवाएंगे.
उन्होंने कहा कि जब तक सड़कों को ठीक करने की मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक वह आमरण अनशन पर रहेंगे. यदि उनकी मांग पूरी नहीं होती तो वह आमरण अनशन स्थल से अपने पैरों पर नहीं जाएंगे. अमेठी की गौरीगंज सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक रहे राकेश प्रताप सिंह ने रविवार को विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था. उन्होंने अपना त्यागपत्र विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित को सौंपा था. वह लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए थे. पूर्व विधायक ने 2 अक्टूबर को प्रशासन को ज्ञापन देकर 31 अक्टूबर तक उनके क्षेत्र की दो सड़कों का पुनर्निर्माण कराने का अल्टीमेटम दिया था.
अपने क्षेत्र की सड़कें न बनने पर दिया विधायकी से इस्तीफा
उन्होंने कहा था कि कार्य शुरू नहीं हुआ तो वह विधायकी से इस्तीफा दे देंगे. पूर्व सपा विधायक ने कहा कि वह भाजपा सरकार की कार्यशैली के खिलाफ धरना दे रहे हैं. उनकी लड़ाई जारी रहेगी. विधानसभा अध्यक्ष को सौंपे गए अपने इस्तीफे में उन्होंने लिखा था कि गौरीगंज विधानसभा क्षेत्र में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाए गए दो मार्ग पूरी तरह ध्वस्त हो गए थे. एक कादू नाला से थौरी मार्ग है, दूसरा मुसाफिरखाना से पारा मार्ग. विधानसभा की प्राक्कलन समिति के सदस्य के रूप में वह लगातार तीन वर्षों से इस विषय को उठा रहे हैं. समिति की उप समिति ने पीएमजीएसवाई के मुख्य कार्यपालक अधिकारी के साथ किये गए स्थलीय निरीक्षण में सड़क निर्माण कार्य को मानक के अनुरूप नहीं पाया.
राकेश प्रताप सिंह ने अपने इस्तीफे में आगे लिखा था कि उनकी ओर से इस विषय को विधानसभा में उठाये जाने पर भाजपा सरकार की ओर से बीती 25 फरवरी को सदन में आश्वासन दिया गया था कि इन मार्गों का पुनर्निर्माण तीन माह में कर लिया जाएगा. लेकिन निर्माण कार्य अभी तक शुरू नहीं हो सका है. बीती 2 अक्टूबर को उन्होंने अमेठी के जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर कहा था कि यदि इन मार्गों का पुनर्निर्माण कार्य 31 अक्टूबर तक प्रारंभ नहीं किया जाता है तो वह विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे देंगे. उन्होने कहा कि जनसमस्याओं के निस्तारण में खुद को सक्षम न पाते हुए उनका विधानसभा सदस्य बने रहने का कोई औचित्य नहीं है.
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