यूपी के इस शहर की बात निरालीः कड़ी मेहनत से तैयार होते है मूंज के आकर्षक उत्पाद, अमेठी को इसी से मिली नई पहचान
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यूपी के इस शहर की बात निरालीः कड़ी मेहनत से तैयार होते है मूंज के आकर्षक उत्पाद, अमेठी को इसी से मिली नई पहचान

Moonj Product: हम यूपी के अलग-अलग जिलों और शहरों की खासियतों से आपको रूबरू कराते हैं. इसी क्रम में आज हम बात करेंगे अमेठी की. अमेठी अपने मूंज उत्पादों के लिए मशहूर है. आज जानेंगे इस हस्तशिल्प कारोबार से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें...  

यूपी के इस शहर की बात निरालीः कड़ी मेहनत से तैयार होते है मूंज के आकर्षक उत्पाद, अमेठी को इसी से मिली नई पहचान

अमेठीः उत्तर प्रदेश के हर जिले की अपनी एक खासियत है. अपनी इस खासियत की वजह से ये जिले देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी धाक रखते हैं. इसके अलावा इनकी अपना ऐतिहासिक महत्व भी है. अगर आप भी यूपी के शहरों की खासियत और इन ऐतिहासिक जानकारियों के जानने का शौक रखते हैं, तो यह आर्टिकल आपको अच्छा लगेगा. 

हम यूपी के अलग-अलग जिलों और शहरों की खासियतों से आपको रूबरू कराते हैं. इसी क्रम में आज हम बात करेंगे अमेठी की. अमेठी अपने मूंज उत्पादों के लिए मशहूर है. आज जानेंगे इस हस्तशिल्प कारोबार से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें...  

कड़ी मेहनत से तैयार होते हैं मूंज उत्पाद
मूंज, नदी या सड़क के किनारे उगने वाली घास है, जिसे सरपत भी कहा जाता है. यह घास जिले में बहुतायत में पाई जाती है. तरह-तरह के आकर्षक उत्पादों को बनाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. इसके लिए सबसे पहले इसके ऊपरी भाग को निकालकर सुखाया जाता है. इस ऊपरी परत को ही मूंज कहा जाता है. मूंज को अच्छी तरह से सुखाया जाता है और इसके गुच्छे से बनाए जाते हैं, इन गुच्छों को बल्ला कहते हैं. 

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ऐसे चढ़ाया जाता है मूंज पर रंग
इसके बाद पानी में सूखा रंग डालकर उसे खूब पकाया जाता है. इसमें इन सूखे गुच्छों यानी कि बल्लों को रंग दिया जाता है और इस रंगीन पानी में अच्छी तरह से पकाया जाता है. जिससे कि इन पर खूब चटक रंग चढ़ जाता है. एक और विशेष प्रकार की घास जिसे कास कहा जाता है,  इस पर सादे और रंगे हुए मूंज को लपेट कर अगल-अलग सामान बनाया जाता है. इस काम में काफी मेहनत लगती है.  

बहुत ही आकर्षक होते हैं मूंज उत्पाद
बाजार में मिलने वाले मूंज के बने तरह-तरह के उत्पाद दिखाई देते हैं. मूंज की कुर्सियां, मेज, स्टूल, पावदान, डलिया, डाइनिंग टेबल मैट, वॉल हैंगिग, पिकनिक बैग, पेन स्टैंड, सजावटी सामान, रोटी रखने का बर्तन, गमले जैसे कई तरह के उत्पाद बनाए जाते हैं. इन्हीं लोग काफी पसंद करते हैं और मार्केट में इनकी बहुत डिमांड भी है. यह एक दुर्लभ और विशिष्ट कला है, जिसे अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिल रही है. इन उत्पादों को बनाने के लिए आज भी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. 

अमेठी परिचय
अमेठी उत्तर प्रदेश का एक बड़ा कस्बा है. इसे रायपुर-अमेठी के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि रायपुर, अमेठी के राजा से जुड़ा है, जो राम नगर के निवासी थे. उनके पूर्वज फुलवारी में रहते थे, जहां पर आज भी पुराना किला है. यह गांधी परिवार की कर्मभूमि के नाम से भी जाना जाता है. पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाला नेहरू, उनके पोते राजीव और संजय गांधी ने इस जिले का प्रतिनिधित्व किया है. 2014 में राहुल गांधी ने भी यहीं से आम चुनाव लड़ा और सांसद चुने गए. 

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देश ही नहीं विदेशों में भी है मांग
यूपी सरकार की एक जनपद एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना में मूंज शिल्प के शामिल हो जाने से इस कला से जुड़े परिवारों में नई उम्मीद जग गई है. खास तौर पर महिलाओं के लिए अपने पैरों पर खड़े होने का यह एक मजबूत जरिया बन गया है. गांवों में महिलाएं घर बैठे मूंज के खूबसूरत उत्पाद बना रही हैं. अभी तक इन उत्पादों को स्थानीय बाजारों में बेचा जाता था, लेकिन अब बड़े बाजारों में बेचने की सहूलियत मिल गई है. अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए भी कारीगर अपने उत्पाद बेच रहे हैं. उन उत्पादों की डिमांड विदेशों में भी हो रही है. इससे अमेठी को एक नई पहचान मिल रही है.  

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