लखनऊ: उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर दिनांक 25.09.2021 को कुल देय गन्ना मूल्य का 33.014 करोड़ रुपये के सापेक्ष रुपये 28.015 करोड़ का भुगतान कराया जा चुका है जो कुल देय का 85 फीसदी है. बढ़े हुए गन्ना मूल्य से गन्ना किसानों को साल 2021-22 में लगभग 4,000.00 करोड़ की अतिरिक्त धनराशि गन्ना मूल्य के रूप में चीनी मिलों से प्राप्त होगा. साल 2016-17 में राज्य में शीघ्र पकने वाली प्रजाति का क्षेत्रफल 52.83 फीसदी, सामान्य पकने वाली प्रजातियों का क्षेत्रफल 37.44 फीसद और अनुपयुक्त प्रजातियों का क्षेत्रफल 9.73 फीसदी था.


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वर्तमान सरकार द्वारा गन्ना किसानों के हित में लिए गए फैसलों से साल 2021-22 हेतू शीघ्र पकने वाली प्रजातियों का क्षेत्रफल 97.92 फीसदी. सामान्य प्रजातियों का क्षेत्रफल 2.01 फीसदी और अनुपयुक्त प्रजातियों का मात्र 0.07 फीसदी हो गया.


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वर्तमान सरकार द्वारा पेराई सत्र 2020-21 में रू.28,015 करोड़, पेराई सत्र 2019-20 में रू.35,898.85 करोड़, 2018-19 में रू.33,048.06 करोड़, 2017-18 के रू.35,443.38 करोड़ का भुगतान कराने के साथ-साथ गत पेराई सत्रों का रू.10,661.38 करोड़ सहित अब तक कुल रू.1,44,000 करोड़ का गन्ना मूल्य भुगतान कराया जा चुका है.


बीजेपी सरकार के कार्यकाल में चार सालों में कुल 4289.09 लाख टन गन्ने की पेराई की गई. जबकि इससे पहले के चार सालों में मह 2918.53  लाख टन गन्ने की पेराई हुई. इस प्रकार  वर्तमान सरकार के कार्यकाल में चीनी मिलों द्वारा पहले के चार सालों के मुकाबले 1370.56 लाख टन ज्यादा गन्ने की पेराई की गई. 


वर्तमान सरकार के चार सालों में औसत गन्ना पेराई 1072.27 लाख टन प्रति वर्ष रही, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है. इससे पहले के चार सालों में 729.63 लाख टन प्रति वर्ष थी जिसके कारण किसान अपने गन्ने का उचित समाधान नहीं कर पाते थे.


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गन्ना मूल्य का रिकॉर्ड भुगतान
साल 2007 से 2012 तक-52.131 करोड़ रुपये
साल 2012 से 2017-95,215 करोड़ रुपेय
साल 2017 से 2021-1, 44.000 करोड़ (25.09.2021)


उपरोक्त गन्ना मूल्य पेमेंट लगभग 45.22 लाख गन्ना किसानों को किया गया. वर्ष 2018-19 के कुल देय गन्ना मूल्य का 100 फीसदी भुगतान किया जा चुका है. 


पूर्व सरकारों का रिकॉर्ड
बीएसपी शासन काल के पांच सालों (2007-12) में कुल भुगतान 52.131 करोड़ रुपये. समाजवादी पार्टी के शासनकाल के पांच सालों (2012-17) में कुल पेमेंट 95.215 करोड़ रुपये. वर्तमान सरकार के चार सालों (2017-21) में रिकॉर्ड भुगतान 1,44,000 करोड़ रुपये.


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