सख्त और ईमानदार प्रशासक के साथ मिथक तोड़ने वाले CM हैं योगी, अब पितृपक्ष में कैबिनेट विस्तार
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सख्त और ईमानदार प्रशासक के साथ मिथक तोड़ने वाले CM हैं योगी, अब पितृपक्ष में कैबिनेट विस्तार

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में सोचने पर दिमाग में एक सख्त और ईमानदार प्रशासक की छवि आती है. इसके अलावा वह वर्षों से चले आ रहे दकियानूसी मान्यताओं और मिथकों तोड़कर एक समाजसुधारक की भूमिका भी निभा रहे हैं. 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. (File Photo)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में सोचने पर दिमाग में एक सख्त और ईमानदार प्रशासक की छवि आती है. इसके अलावा वह वर्षों से चले आ रहे दकियानूसी मान्यताओं और मिथकों तोड़कर एक समाजसुधारक की भूमिका भी निभा रहे हैं. सनातन मान्यता के अनुसार पितृ पक्ष में कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता. आमतौर पर बीजेपी भी पितृ पक्ष में शुभ कार्य टालती रही है. 

वर्ष 2017 में मोदी सरकार का कैबिनेट विस्तार होना था. चूंकि 6 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहा था, इसलिए 3 सितंबर को ही कैबिनेट विस्तार कर दिया गया. हाल ही में गुजरात के नए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भी 16 सितंबर को कैबिनेट विस्तार कर लिया, क्योंकि 20 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहा था. लेकिन योगी आदित्यनाथ पितृ पक्ष में अपने कैबिनेट का विस्तार करने जा रहे हैं और एक बार फिर खुद को मिथक तोड़ने वाला मुख्यमंत्री साबित किया है. 

योगी मुख्यमंत्री रहते अनगिनत बार कर चुके हैं नोएडा दौरा
मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने और दिसंबर 2017 में उन्होंने नोएडा (गौतम बुद्ध नगर) जाकर एक मिथक तोड़ा था. उत्तर प्रदेश की सियासत में यह मान्यता आम हो चली थी कि जो भी मुख्यमंत्री नोएडा जाता है, अगले चुनाव में उसकी कुर्सी चली जाती है. मायावती ने 2011 में इस मिथक को तोड़ने की कोशिश की थी और नोएडा का दौरा किया था. लेकिन 2012 में उनकी सत्ता चली गई थी. इसलिए अखिलेश यादव मुख्यमंत्री रहते कभी नोएडा नहीं आए. 

लेकिन योगी आदित्यनाथ दिसंबर 2017 में नोएडा पहुंचे. उन्होंने दावा किया था कि यह एक मिथक है और इसे वह तोड़कर रहेंगे. इसके बाद से अनेकों बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गौतम बुद्ध नगर के दौरे पर आ चुके हैं. अकेले कोरोना काल में ही उन्होंने बहुत बार नोएडा आकर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का जायजा लिया. आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा जीतती है तो यह अंधविश्वास हमेशा के लिए टूट जाएगा. अगर परिणाम विपरीत रहते हैं तो इसको और बल मिल जाएगा. खैर मुख्यमंत्री योगी ने जीत और हार से परे अंधविश्वास को तोड़ने की ठानी.

आगरा सर्किट हाउस में 16 साल बाद कोई मुख्यमंत्री रुका
आगरा सर्किट हाउस को लेकर भी इसी तरह की मान्यता यूपी के राजनीतिक गलियारों में रही है. आगरा सर्किट हाउस को लेकर कहा जाता है कि जो यहां रुकता है उसकी कुर्सी चली जाती है. योगी आदित्यनाथ ने इस मिथक को भी तोड़ा. जनवरी 2018 में जब इजरायल के तत्कालीन प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू आगरा के दौरे पर आए थे तब योगी आदित्यनाथ यहां के सर्किट हाउस में रुके थे. 16 साल में यह पहला मौका था जब कोई मुख्यमंत्री आगरा सर्किट हाउस में रुका. योगी से पहले पहले राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री रहते यहां रुके थे.

चंद्रग्रहण में किया अन्न ग्रहण, पंगत में बैठकर लिया प्रसाद
जनवरी 2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वाराणसी दौरे गए थे. इस दौरान योगी ने सदियों से चले आ रहे एक मिथक को तोड़ा. उन्होंने चंद्रग्रहण लगे होने के बावजूद अन्न ग्रहण किया. उस दिन शाम 5.17 बजे से रात 8.42 बजे तक चंद्रग्रहण का सूतक लगा था. सनातन परंपरा में यह मान्यता है कि सूतक के दौरान अन्न ग्रहण नहीं किया जाता. लेकिन योगी आदित्यनाथ ने अन्न ग्रहण कर इस मिथक को तोड़ दिया था. उन्होंने रविदास मंदिर में पंगत में बैठकर प्रसाद ग्रहण किया था.

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