देश के कई राज्यों में किसानों की फसलों का नुकसान करने के बाद अब टिड्डियों का दल उत्तराखंड का रुख करने वाला है. इसे लेकर राज्य में एडवाइजरी जारी की गई है. कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने टिड्डी दल के हमले को लेकर जरूरी दिशानिर्देश दिया है. ये दिशानिर्देश किसानों के लिए जिला स्तर पर भी जारी किए जाएंगे.
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देहरादून: देश के कई राज्यों में खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद करने के बाद अब टिड्डियों का दल उत्तराखंड का रुख करने वाला है. इसे लेकर राज्य में एडवाइजरी जारी की गई है. कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने टिड्डी दल के हमले को लेकर जरूरी दिशानिर्देश दिया है. ये दिशानिर्देश किसानों के लिए जिला स्तर पर भी जारी किए जाएंगे. कृषि मंत्री ने किसानों को सलाह दी है कि वे हमले को लेकर सतर्कता बरतें और दवाइयों का छिड़काव करें. डब्बे और थाली बजाने के साथ-साथ धुआं करने जैसे पारंपरिक तरीकों पर अमल करने की भी सलाह दी गई है.
झांसी-बबीना में 40 लाख टिड्डियों को मारा गया
राजस्थान से आया हुआ टिड्डियों का दल झांसी और बबीना में पहले ही तबाही मचा चुका है और यहां के किसानों की सब्जी की फसल बर्रबाद कर चुका है. रात को रुकने के लिए जब इन टड्डियों का दल सुकवां-धुकवां बांध के पास जंगल में जमीन पर उतरा, तो इन पर दवा का छिड़काव किया गया. सोमवार-मंगलवार को किए गए कैमिकल के छिड़काव से 40 लाख टिड्डियों को मारने में कामयाबी हासिल की गई है.
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कई देशों में तबाही मचा चुका है टिड्डियों का दल
टिड्डियों के एक बड़े दल ने अप्रैल में पाकिस्तान से भारत में प्रवेश किया और ये तब से ये फसलों को चट कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि पिछले 26 सालों में भारत पर ये टिड्डी दल का सबसे खतरनाक हमला है.
ये टिड्डी दल अफ्रीका के सींग से फैलकर यमन तक गया, फिर ईरान और पाकिस्तान. पाकिस्तान में कई हेक्टेयर में फैले कपास के खेतों पर हमला करने के बाद इन्होंने भारत को निशाना बनाया. इनका एक अकेला दल एक वर्ग किलोमीटर तक के क्षेत्र में फैला हो सकता है.
लाखों की संख्या में चलते हैं टिड्डी दल
टिड्डी कीट समूह में चलते हैं और ये एक दिन के अंदर 100 से 150 किलोमीटर का सफर तय कर लेती हैं. टिड्डी दल सामूहिक तौर पर लाखों की संख्या में झुंड बनाकर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. खास तौर पर इनका निशाना हरे पत्ते होते हैं. आम तौर पर ये दिन ढलने के वक्त आते हैं और जमीन पर बैठ जाते हैं. इनके रुकने की जगह पेड़, झाड़ियां और फसलें होती हैं. अगली सुबह वे अपना आगे का सफर शुरू करती हैं. विशेषज्ञ कहते हैं इसी वक्त इन पर दवा का छिड़काव करना चाहिए.
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