38 साल बाद सियाचिन से शहीद का शव मिलने से जगी उम्मीदें, लापता शहीदों के परिवार ने की मांग
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38 साल बाद सियाचिन से शहीद का शव मिलने से जगी उम्मीदें, लापता शहीदों के परिवार ने की मांग

Sicahen Glacier Operation Meghdoot: इस बात पर शायद यकीन करना थोड़ा मुश्किल हो, लेकिन 1984 के ऑपरेशन मेघदूत के शहीद का शव 2022 में बरामद किया गया. शहीद चंद्रशेखर हार्बोल का पार्थिव शरीर मिलने के बाद अब बाकी लापता जवानों के परिवार वाले यह आस लगाए बैठे हैं कि शायद उनके बेटे, पति, भाई का शव भी मिल जाए और वह आखिरी बार उन्हें देख पाएं... 

38 साल बाद सियाचिन से शहीद का शव मिलने से जगी उम्मीदें, लापता शहीदों के परिवार ने की मांग

Siachen Glacier Operation Meghdoot: सियाचिन ग्लेशियर, दुनिया का जंग का सबसे ऊंचा मैदान है. साल 1984, यानी 38 साल पहले इस पर कब्जा पाने के लिए भारत ने 'ऑपरेशन मेघदूत' चलाया था. इस ऑपरेशन के तहत इंडियन आर्मी के 20 जवान पेट्रोलिंग के लिए निकले थे. लेकिन, उसी समय रास्ते में भयानक हिमस्खलन आया और सभी 20 जवान उसकी चपेट में आ गए. उस समय 15 जवानों के शव तो बरामद कर लिए गए, लेकिन 5 जवानों का कुछ पता नहीं चल सका था. अब 38 साल बाद लापता शहीद चंद्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर मिला है. शहीद चंद्रशेखर हल्द्वानी के रहने वाले थे. 

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लापता शहीदों के परिवार को भी जगीं उम्मीदें
यकीन करना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन यह सच है कि शहीद चंद्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर 38 साल बाद सियाचिन से बरामद हुआ है. शहीद चंद्रशेखर का शव मिलने के बाद अब बाकी लापता जवानों के परिजनों की उम्मीदें बढ़ गई हैं. हल्द्वानी निवासी लांस नायक दया किशन जोशी और सिपाही हयात सिंह के परिजनों का इंतजार और लंबा हो गया है. उन्होंने सरकार से गुहार लगाई है कि बचे सभी शहीदों का शव खोजा जाए और उनके परिवारों को सौंपा जाए. 

एक साल तक जब नहीं हुई बात, तब शहादत का पता लगा
विमला जोशी के पति दया किशन जोशी 19 कुमाऊं रेजीमेंट के जवान थे. 29 मई 1984 को सियाचिन में ऑपरेशन मेघदूत में वह भी शहीद चंद्रशेखर हर्बोला वाली यूनिट में शामिल थे. दया किशन को मार्च 1985 में घर आना था, लेकिन वह नहीं आये. जवान दया किशन का जब उनके परिजनों से एक साल तक कोई संपर्क नहीं हुआ, तो उनकी खोजबीन की गई. पता चला कि ऑपरेशन मेघदूत के दौरान कई जवान एवलांच में दब गए थे, जिनमें से एक वह भी थे. सेना के अधिकारियों ने बताया कि 19 शहीद जवानों में से करीब 14 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं, लेकिन 5 लोगों का पता नहीं चल सका.

सरकार पर वादे पूरे न करने के आरोप
विमला मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी मिली हैं और उन्होंने मुख्यमंत्री से अपने पति का पार्थिव शरीर ढूंढने की गुहार लगाई है. साथ ही, विमला देवी ने सरकार पर अनदेखी करने का आरोप भी लगाया है. उन्होंने कहा कि पति की शहादत का समाचार मिलने के बाद जो वादे सरकार ने उनसे किए थे, वह अभी तक पूरे नहीं किए गए हैं. 

शहीद जवान का बेटा भारतीय सैनिक
विमला जोशी के दो बेटे हैं. इतना बड़ा हादसा हो जाने के बाद भी विमला जोशी ने हौसला नहीं खोया. दोनों बच्चों की परवरिश की और यह जानकर आपको बेहद गर्व महसूस होगा कि बड़ा बेटा भारतीय सेना का ही हिस्सा है. 

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छुट्टी पर आए थे घर, लेकिन जल्दी जाना पड़ा ड्यूटी पर
हल्द्वानी के लालडांट भट्ट कॉलोनी निवासी बच्ची देवी का हाल भी यही है. बच्ची देवी के पति सिपाही हयात सिंह 19 कुमाऊं रेजीमेंट के जवान थे और ऑपरेशन मेघदूत के समय वह भी शहीद चंद्रशेखर हर्बोला के साथ थे. मार्च 1984 में उनके पति 2 महीनों की छुट्टी लेकर आए थे. हयात सिंह को होली के बाद अपनी ड्यूटी पर जाना था, लेकिन उससे पहले सेना के अधिकारियों का टेलीग्राम आ गया. इसके बाद वे अपने बटालियन के लिए रवाना हो गए. 

घरवालों से मिलने के 3 महीने बाद मिली शहादत की खबर
जवान हयात सिंह 11 अप्रैल 1984 को ऑपरेशन मेघदूत के लिए रवाना हुए थे. 3 महीने बाद सेना के अधिकारियों का टेलीग्राम आया कि बर्फीले तूफान में दबने से सिपाही हयात सिंह शहीद हो गये हैं. तब से लेकर आज तक विमला और बच्ची देवी अपने पति के पार्थिव शरीर के आने का इंतज़ार कर रही हैं.

शवों की तलाश कर परिजनों को सौंपने की गुहार
1984 में ऑपरेशन मेघदूत के दौरान सियाचिन में एवलान्च की चपेट में आने से शहीद हुए जवान दया किशन और जवान हयात सिंह के परिजनों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से शहीदों के पार्थिव शरीर तलाश करने की गुहार लगाई है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि वे केंद्र सरकार की इस पूरे मामले पर बातचीत करेंगे.

38 साल से है परिवार वालों को इंतजार
भारत सरकार और भारतीय सेना पर विमला जोशी और बच्ची देवी दोनों को विश्वास है. 38 साल बाद जिस तरह से चंद्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर ढूंढ निकाला गया, उसी तरह सरकार उनके पति के पार्थिव शरीर को भी जरूर ढूंढ निकालेगी. इससे उनके 38 साल के इंतजार की घड़ी पर विराम लग सके.

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