Uttarakhand News: उत्तराखंड सरकार ने शिक्षकों को लेकर बड़ा फैसला लिया है. सरकार अब शिक्षा विभाग के अनफिट टीचर्स को वीआरएस देने की योजना बना रही है.
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देहरादून/कुलदीप नेगी: उत्तराखंड शिक्षा विभाग (Uttarakhand Education Department) से बड़ी खबर है. शिक्षा विभाग अब गंभीर बीमारी से जूझ रहे शिक्षकों को वीआरएस ( Voluntary Retirement Scheme) देने की योजना पर काम कर रहा है. शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत (Education Minister Dhan Singh Rawat) ने इस संबंध में सभी जिलों से रिपोर्ट मांगी है. उन्होंने 15 दिन के भीतर इस संबंध में रिपोर्ट सौंपने को कहा है.
सरकार ने क्यों लिया यह फैसला?
दरअसल, प्रदेश भर से हर साल हजारों शिक्षक गंभीर बीमारी के आधार पर तबादलों के लिए आवेदन करते हैं. लेकिन विभाग के सामने इतने शिक्षकों का तबादला कर पाना संभव नहीं है. टीचर्स की बीमारी के चलते छात्र-छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित होता है. लिहाजा शिक्षा विभाग ने तय किया है कि डॉक्टर की रिपोर्ट के आधार पर गंभीर बीमारी से जूझ रहे सभी शिक्षकों को वीआरएस दिया जाएगा. ताकि नए प्रशिक्षित युवाओं को मौका मिल सके.
शिक्षा संगठनों ने किया फैसले का स्वागत
वहीं, इस फैसले को लेकर मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि हमारे विभाग में कई टीचर हैं, जो कैंसर और पैरालिसिस जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है. डॉक्टरों ने उन्हें अनफिट घोषित कर दिया है. सभी जिलों को सर्कुलर जारी कर दिया गया है. डॉक्टरों की सलाह के अनुसार निर्णय लिया जाएगा. मंत्री ने बताया कि शिक्षा संगठनों ने इस फैसले का स्वागत किया है.
क्या होता है वीआरएस?
वीआरएस का फुल फॉर्म Voluntary Retirement Scheme है. जिसे हिंदी में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना कहा जाता है. इसके तहत कर्मचारी रिटायरमेंट की तारीख से पहले ही रिटायर हो सकता है. यह योजना सरकारी या प्राइवेट दोनों सेक्टर की कंपनियों में लागू होती है. कुछ कंपनियां इसे कर्मचारियों की संख्या कम करने के लिए भी इस्तेमाल करती हैं. इसका उपयोग केवल पुराने स्टाफ पर ही किया जाता है. क्योंकि कर्मचारी अपनी इच्छा से सेवानिवृत्त हो सकता है, इसलिए इस योजना को ‘गोल्डन हैंड शेक’ भी कहा जाता है. इस योजना की शुरुआत सबसे पहले भारत सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल ने की थी.