जाड़ गंगा के ऊपरी पहाड़ी पर बनी गरतांग गली गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग में स्थित है. एक मात्र यही रास्ता था जिससे जाड़ भोटिया जनजाति और तिब्बत के लोग आवागमन करते थे. तिब्बत के लोग यहीं से व्यापार करने आते थे.
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हेमकांत नौटियाल/उत्तरकाशी: उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री नेशनल पार्क और भारत-चीन सीमा के करीब स्थित गरतांग गली के दरवाजे इस साल पर्यटकों के लिए खोल दिए गए हैं. अब पर्यटक गरतांग गली का दीदार कर सकेंगे. यह जिला मुख्यालय से करीब 85 किलोमीटर दूर है. गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग लंका पुल से पैदल करीब 2.50 किलोमीटर नीलांग घाटी की ओर स्थित गरतांग गली ब्यूटीफुल टूरिस्ट प्लेस के रूप में डेवलप हो रही है.
सुरक्षा कारणों के चलते किया गया बंद
18 अगस्त 2021 में जिला प्रशासन ने 59 साल बाद ऐतिहासिक गरतांग गली को टूरिस्ट के लिए खोला था. भारत-तिब्बत के बीच व्यापारिक रिश्तों की गवाह रही गरतांग गली (रास्ते) को 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद सुरक्षा कारणों के चलते बंद कर दिया गया था. यह रास्ता करीब 150 साल पुराना है. कहा जाता है कि कामगारों ने चट्टान काटकर उस पर लोहे की रॉड गाड़कर व लकड़ी के फट्टे बिछाकर यह रास्ता बनाया गया था.
दोबारा तैयार किया गया सीढ़ीदार रास्ता
समय के साथ इस रास्ते का रख-रखाव न होने के कारण यह जीर्ण-शीर्ण हो गया था. इसके बाद लोक निर्माण विभाग ने करीब 65 लाख की लागत से 130 मीटर लंबी इस गली का पुनः निर्माण करवाया. देवदार की लकड़ी से दोबारा सीढ़ीदार रास्ता तैयार किया गया है.
जाड़ गंगा के ऊपरी पहाड़ी पर बनी है
एक मात्र यही रास्ता था जिससे जाड़ भोटिया जनजाति और तिब्बत के लोग आवागमन करते थे. तिब्बत के लोग यहीं से व्यापार करने आते थे. जाड़ गंगा के ऊपरी पहाड़ी पर बनी गरतांग गली गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग में स्थित है. यह क्षेत्र इनर लाइन में है. यहां पर बिना अनुमति के प्रवेश वर्जित है. छः माह तक इस क्षेत्र में अत्यधिक बर्फबारी होने के चलते आवागमन के लिए इसे बंद कर दिया जाता है.
अब कारोबारियों की उम्मीद बढ़ी
हालांकि, कोरोना महामारी के कारण पिछले साल गरतांग गली में पर्यटक काफी कम संख्या में पहुंचे थे. वहीं, इस साल गंगोत्री नेशनल पार्क और स्थानीय व्यवसायियों को उम्मीद है कि यहां भारी तादाद में देश-विदेश से पर्यटक पहुंचेंगे और गरतांग गली का दीदार करेंगे.
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