Gyanvapi Survey: ज्ञानवापी से जुड़े 24 मुकदमे अभी कोर्ट में अभी विचाराधीन हैं. ज्ञानवापी के लिए 33 साल से लड़ाई जारी है. तीन बार अधिवक्ता आयुक्त ने सर्वे भी किया. इस मामले में पहली बार एएसआई की सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल हुई. 24 मुकदमे जिला और सत्र न्यायालय में ज्ञानवापी से जुड़े विचाराधीन हैं. मगर, गुरुवार को अब तक के इतिहास में पहली बार एएसआई ने ज्ञानवापी में सर्वे करके रिपोर्ट दी है.
- उस वक्त विशेष अधिवक्ता आयुक्त राजेजश्वर प्रसाद सिंह ने भी हिंदू मंदिरों के भग्नावशेष मिलने का दावा किया था. इसके बाद राखी सिंह सिंह बनाम सरकार के वाद में सिविल जज सीनियर डिवीजन के आदेश पर पहले छह और सात मई 2022 को अधिवक्ता आयुक्त ने सर्वे किया.
- इसके बाद तत्कालीन अधिवक्ता आयुक्त अजय मिश्र के साथ विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह ने 16 मई साल 2022 को सर्वे किया था. तीनों ही advocate आयुक्त की रिपोर्ट हिंदू मंदिर के ढांचे को समर्थन करने वाली थी.
- ASI की सर्वे रिपोर्ट ने 28 साल में हुए 3 कोर्ट कमीशन की रिपोर्ट को भी पुष्ट कर दिया है. वाराणसी की जिला और सत्र कोर्ट की अलग-अलग अदालतों में ज्ञानवापी से जुड़े 24 मुकदमों की सुनवाई हो रही है.
- सबसे पहले साल 1991 में दाखिल प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग लॉर्ड विश्वेश्वनाथ बनाम अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी और अन्य के नाम से है.
- अभी हाल में दिसंबर 2023 में कानपुर की आकांक्षा समेत अन्य 4 अन्य ने एक और मामला दाखिल किया है.
- साल 2021 में ज्ञानवापी को लेकर साध्वी पूर्णाबा देवी, सत्यम त्रिपाठी, मां श्रृंगार गौरी, नंदी महराज, मां गंगा और लार्ड श्री आदि विश्वेश्वर के 6 अन्य केस भी दाखिल किए. इसी साल राखी सिंह समेत 5 महिलाओं ने श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन का मुकदमा किया.
- साल 2022 में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, विश्व हिन्दू महासभा, आदि विश्वेश्वर विराजमान, मुख्तार अहमद, अविमुक्तेश्वरानंद, प्रभु नारायण, विवेक सोनी, लार्ड ज्योतिर्लिंग, सुधा और मसजिद कमेटी ने 10 मुकदमे किए.
- साल 2023 में लार्ड आदि विश्वेश्वर, शैलेंद्र पाठक, देवेंद्र पाठक, मुख्तार, आई आदि विश्वेश्वर और श्री नंदीजी महजराज विराजमान की तरफ से 6 मुकदमे दाखिल किए गए.
इससे पहले भी जिला व सत्र न्यायालय की अदालत से एएसआई सर्वे (ASI Survey) के आदेश हुए थे, मगर सुप्रीम कोर्ट के स्थगन (Supreme Court adjournment) आदेश के चलते प्रक्रिया शुरू ही नहीं हो पाई थी. हालांकि श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन की मांग वाली याचिका में अधिवक्ता आयुक्त की सर्वे रिपोर्ट को आधार पर मानकर जिला जज की कोर्ट ने एएसआई सर्वे कराया.