Kanwar Yatra 2024: सावन भर कांवड़ वाले रूट पर बंद रहेंगी मांस की दुकानें, नेमप्लेट विवाद के बीच नया फरमान
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand2346707

Kanwar Yatra 2024: सावन भर कांवड़ वाले रूट पर बंद रहेंगी मांस की दुकानें, नेमप्लेट विवाद के बीच नया फरमान

Varanasi News: पूरे उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों के लिए अपनी दुकानों पर नेमप्लेट लगाने के फरमान की बीच, वाराणसी प्रशासन ने भी एक फरमान जारी किया है. वाराणसी नगर निगम ने पूरे सावन कांवड़ यात्रा रूट पर मीट की दुकानों को बंद रखने का निर्देश जारी किया है.

Kanwar Yatra 2024: सावन भर कांवड़ वाले रूट पर बंद रहेंगी मांस की दुकानें, नेमप्लेट विवाद के बीच नया फरमान

Varanasi News: कांवड़ यात्रा 2024 इस बार कुछ ज्यादा ही चर्चा का विषय बनी हुई है. उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा से पहले मुस्लिमों के लिए अपनी दुकानों पर नेमप्लेट लगाने के फरमान को लेकर विरोध अभी थमा भी नहीं है कि वाराणसी नगर निगम प्रशासन ने जिले में कांवड़ यात्रा रूट पर पड़ने वाली सभी दुकानों को सावन भर बंद रखने का आदेश जारी किया है. नगर निगम की टीम ने रविवार से ही इस आदेश पर काम करना शुरू कर दिया है. रविवार को नगर निगम की टीम ने नवाबगंज, नई सड़क, रेवड़ी तालाब क्षेत्र में 10 दुकानें बंद करा दीं. इस दौरान निगम की टीम ने दुकानदारों से अपील की कि वो सावन के पूरे महीने अपनी दुकानें ना लगाएं और अगर कोई दुकानदार ऐसा करता है तो उसके खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाएगी.

ये भी पढ़ें: काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन और आरती के नाम पर ठगे गए सैकड़ों श्रद्धालु, सावन के पहले भोले बाबा के नाम पर धोखाधड़ी

कांवड़ यात्रा मार्ग से दुकानें हटाने का निर्देश

बता दें कि वाराणसी नगर निगम कार्यकारिणी की बीते 19 जुलाई को बैठक हुई थी जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग में पड़ने वाली मीट की दुकानों को हटाने का निर्देश पारित किया गया था. निगम ने कांवड़ यात्रा मार्ग में पड़ने वाली 90 से ज्यादा मीट की दुकानों को चिन्हित किया है. ये दुकानें मंडुवाडीह, नवाबगंज, भोजूबीर, चौकाघाट, रेवड़ी तालाब, हुकुलगंज, नई सड़क, सहित अन्य मार्गों पर स्थित हैं. 

धाम के 2 किमी दायरे में मांस की दुकानों पर लग सकता है प्रतिबंध
बताया जा रहा कि नगर निगम विश्वनाथ धाम की 2 किलोमीटर की परिधि में भी मीट की दुकानों पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है. बस इसके लिए धर्मार्थ कार्य मंत्रालय की स्वीकृति व सहमति का इंतजार किया जा रहा है. 

ये भी पढ़ें: प्रतापगढ़ में जन्मे और बनारस में पढ़े उमाशंकर उपाध्याय कैसे बने शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद,‌ चुनाव भी लड़े

Trending news