इन 5 POINTS में जानें, क्या है 'Ease of Doing Business' रैंकिंग और क्यों है महत्वपूर्ण
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इन 5 POINTS में जानें, क्या है 'Ease of Doing Business' रैंकिंग और क्यों है महत्वपूर्ण

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग सभी देशों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. साथ ही देश के विकास के लिए यह भी जरूरी है कि वहां विदेशी निवेश अधिक से अधिक मात्रा में हो. हालांकि इस विदेशी निवेश को हासिल करने के लिए किसी भी देश को कई मानकों पर अच्छा परफॉर्म करना होता है. 

सांकेतिक तस्वीर.

Ease of Business इंडेक्स विश्व बैंक द्वारा जारी किया जाता है जिसका मतलब होता है कि किसी भी देश में बिजनेस शुरू करने में और उसको चलाने में कितनी आसानी है. इस इंडेक्स को विभिन्न देशों में कारोबारी नियमों और प्रशासनिक अनुमति के सरलीकरण को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है. यानी जिस देश में कारोबार या उद्यम शुरू करने के लिए ​नियम कानून जितने आसान होते हैं, उसे रैंकिंग में स्थान भी उच्च मिलता है.  

1. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग सभी देशों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. साथ ही देश के विकास के लिए यह भी जरूरी है कि वहां विदेशी निवेश अधिक से अधिक मात्रा में हो. हालांकि इस विदेशी निवेश को हासिल करने के लिए किसी भी देश को कई मानकों पर अच्छा परफॉर्म करना होता है. इन मानकों के आधार पर ही विश्व बैंक ईज ऑफ डूइंग बिजनस इंडेक्स में देशों की रेटिंग तय करता है.

2. किसी देश में बिजनेस करने या कंपनी लगाने के लिए नियम कानून जितने सरल होते हैं, ईज ऑफ डूइंग बिजनस में उसकी रैंक भी उतनी ही अच्छी होती है. इसमें तय किया जाता है कि कौन सा देश कारोबार की सुगमता के लिहाज से पहले स्थान पर हैं, और कौन निचले पायदान पर है.

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3. जिन 10 पैमानों के आधार पर देशों की रैंक तय की जाती है इनमें- बिजली कनेक्शन लेने में लगने वाला वक्त, कॉन्ट्रैक्ट लागू करना, बिजनेस शुरू करना, प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन, दिवालियापन के मामले सुलझाना, कंस्ट्रक्शन सर्टिफिकेट, लोन लेने में लगने वाला वक्त, माइनॉरिटी इन्वेस्टर्स के हितों की रक्षा, टैक्स पेमेंट और ट्रेडिंग अक्रॉस बॉर्डर (सीमापार व्यापार) जैसे मापदंड शामिल हैं. एक 11वां पैमाना ‘श्रम बाजार के नियम’ भी होता है. लेकिन देशों की रैंकिंग तय करते समय इसके मूल्य को नहीं जोड़ा जाता.

4. बहुराष्ट्रीय कंपनियां किसी देश में निवेश से पहले वहां की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखकर निर्णय लेती हैं. परिस्थितियों के हिसाब से वेयरहाउस बनाने में लगने वाली समय अवधि, लागत, प्रक्रिया, निवेशकों की सुरक्षा, टैक्स भुगतान, टैक्स की संरचना आदि को भी ध्यान में रखा जाता है.

5. बिजनेस की शुरुआत, नये बिजनेस की शुरुआत में समय, न्यूनतम पैसा व प्रक्रिया को लेकर अध्ययन किये जाते हैं. देश से बाहर आयात और निर्यात को लेकर क्या नियम हैं, इन सबके अतिरिक्त क्रेडिट, पारदर्शिता समेत कई ऐसे पैमाने हैं, जिनके आधार पर ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की कसौटी पर खरे उतरने वाले देशों की रैंकिंग तय की जाती है.

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