Who Are Shankracharya: कैसे बनते हैं शंकराचार्य, कौन करता है इनका चयन और सनातन धर्म में कितना महत्व?
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Who Are Shankracharya: कैसे बनते हैं शंकराचार्य, कौन करता है इनका चयन और सनातन धर्म में कितना महत्व?

Sanatan Hindu Dharm Shankracharaya on Ram Mandir: देश की चार पीठों में चार शंकराचार्य होते हैं. हिंदू धर्म के प्रचार प्रसार और रक्षा के लिए शंकराचार्य सर्वोच्च गुरु होते हैं. सनातन धर्म में इनका विशेष महत्व माना जाता है.

 

Sanatan Hindu Dharm Shankracharaya

Who Are Shankracharya: इन दिनों पूरे देश की नजर अयोध्या पर टिकी हुई हैं. सदियों बाद एक बार फिर राम लला को उनका स्थान वापस मिलेगा.  22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पूरी हुई. देश के कुछ मुख्य  राजनेता. अभिनेता और धर्मगुरु इस कार्यक्रम का हिस्सा बने. हालांकि कुछ शकंराचार्यों ने इस प्रोग्राम में हिस्सा नहीं लिया. विपक्ष ने इसे बड़ा मुद्दा भी बनाया. जानें शंकराचार्य कौन होते हैं और इनका हिन्दू धर्म में क्या स्थान हैं यहां पढ़ें.

सर्वोच्च धर्मगुरु 
शंकराचार्य पद की शुरुआत आदि शंकराचार्य से हुई. आदि शंकराचार्य एक हिंदू दार्शनिक और धर्मगुरु थे. आदि शंकराचार्य केरल के एक गांव में पैदा हुए थे. इन्हें जगदगुरु के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू धर्म में और हिंदू धर्मग्रंथों की व्याख्या करने के लिए शंकराचार्य सर्वोच्च गुरु होते हैं. भारत में चार पीठों में चार शंकराचार्य होते हैं. इन पीठों को मठ भी कहा जाता है. आदि शंकराचार्य ने भारत में चार मठों की स्थापना की थी. इन चारों मठों में उत्तर के बद्रिकाश्रम का ज्योर्तिमठ, दक्षिण का शृंगेरी मठ, पूर्व में जगन्नाथपुरी का गोवर्धन मठ और पश्चिम में द्वारका का शारदा मठ शामिल है. आदि शंकराचार्य ने अपने बाद अपने चार प्रमुख शिष्यों को ये जिम्मेदारी सौंपी. तभी से भारत में शंकराचार्य परंपरा की स्थापना हुई है. 

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कौन बन सकता है शंकराचार्य 
शंकराचार्य के पद पर बैठने वाले व्यक्ति को त्यागी, दंडी सन्यासी, संस्कृत, चतुर्वेद, वेदांत ब्राहम्ण, ब्रहम्चारी और पुराणों का ज्ञान होना अनिवार्य है. शंकराचार्य बनने के लिए ब्राह्मण होना अनिवार्य  शर्त है. इसके अलावा तन मन से पवित्र, जिसने अपनी इंद्रियों को जीत लिया हो, चारों वेद और छह वेदांगों का ज्ञाता हो. 

भारत में कौन कौन हैं शंकराचार्य 
भारत के चारों मठों के चार शंकराचार्यों का विशेष महत्व है. भारत के संत समाजों में सबसे ऊपर ये चार शंकराचार्य आते हैं, ओडिशा के पुरी में गोवर्धन मठ, जिसके शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती हैं. गुजरात में द्वारकाधाम में शारदा मठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती हैं. उत्तराखंड के बद्रिकाश्रम में ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद हैं और चौथे शंकराचार्य दक्षिण भारत के रामेश्वरम् में श्रृंगेरी मठ, जिसके शंकराचार्य जगद्गुरु भारती तीर्थ हैं.

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