कौन हैं स्‍वामी अड़गड़ानंद जी महाराज, 23 साल में ही बन गए थे संन्यासी
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कौन हैं स्‍वामी अड़गड़ानंद जी महाराज, 23 साल में ही बन गए थे संन्यासी

Swami Adgadanand Ji Maharaj:  महाभारत के युद्ध के समय जब अर्जुन अपने ही लोगों को रण में सामने खड़ा पाते हैं तो वो हथ‍ियार डाल देते हैं. उसी वक्त उनके सारथी बने भगवान कृष्ण उन्हें उपदेश देते है. उन्हें कर्म व धर्म के सच्चे ज्ञान से अवगत कराते है. गीता देश दुनिया की अनमोल धरोहर में से एक है. वहीं, स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज ने गीता को सरल भाषा में लिखा है. 

Adgadanand Ji Maharaj

Swami Adgadanand Ji Maharaj: गीता आज भी अध्यात्म और जीवन दर्शन का सबसे उत्तम सामंजस्‍य माना जाता है. महाभारत के युद्ध के समय जब अर्जुन अपने ही लोगों को रण में सामने खड़ा पाते हैं तो वो हथ‍ियार डाल देते हैं. उसी वक्त उनके सारथी बने भगवान कृष्ण उन्हें उपदेश देते हैं. उन्हें कर्म व धर्म के सच्चे ज्ञान से अवगत कराते है. गीता देश दुनिया की अनमोल धरोहर में से एक है. वहीं, स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज ने गीता को सरल भाषा में लिखा है. इसे यथार्थ गीता नाम दिया गया. स्‍वामी अड़गड़ानंद जी महाराज का आश्रम मीरजापुर में है. तो आइये जानते है स्‍वामी अड़गड़ानंद जी महाराज से जुड़ी रोचक कहानियां. 

सत्‍य की खोज 
स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज 23 वर्ष की आयु में सत्य की खोज में परमहंस जी के पास आ गए थे. बता दें कि परमानंद जी का आश्रम चित्रकूट में अनुसुइया, सतना, मध्य प्रदेश में जंगली जानवरों से भरे घने जंगलों के बीच था. वह सिद्ध ऋषि थे. बताया जाता है कि परमहंस जी को स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज के आने की सूचना कई साल पहले ही प्राप्‍त हो गई थी. 

यथार्थ गीता का व्‍याख्‍यान 
स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज ने 'यथार्थ गीता' का साधारण शब्दों में व्याख्यान किया है. स्‍वामी जी ने श्रीमदृभागवत गीता पर आधारित एक ग्रंथ 'यथार्थ गीता' की रचना की है, जो काफी लोकप्रिय है. कोरोना काल के दौरान स्‍वामी अड़गड़ानंद जी महाराज संक्रमित हो गए तो खुद प्रधानमंत्री ने फोन कर उनका हाल जाना था. स्‍वामी जी से मिलने के लिए यूपी ही नहीं देशभर के बड़े-बड़े राजनेता उनके आश्रम पहुंचते हैं. स्‍वामी जी का आश्रम मिरजापुर के सक्‍तेशगढ़ में है. 

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