दरअसल, मुख्य सचिव ने सीएम कार्यालय के अधिकारियों की मंडलीय और जिसा स्तर पर रैंडम जांच की. जांच में उन्हें लापरवाही देखने को मिली, जिसमें बिना नोडल अधिकारी का अनुमोदन लिए अन्य संदर्भ में शिकायतें दर्ज की जा रही थीं.
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लखनऊ: उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का साफ निर्देश है कि जन शिकायतों को लेकर किसी तरह की लापरवाही माफ नहीं की जाएगी. इसके बावजूद, लखनऊ में जन शिकायतों के निस्तारण में बड़े पैमाने पर लापरवाही देखने को मिली है. इसके चलते मुख्य सचिव आर.के. तिवारी ने लापरवाही करने वाले अफसरों मंडलायुक्त, आईजी, डीआईजी, डीएम, एसएसपी को नाम सहित चिह्नित किया है. साथ ही, एक हफ्ते में कार्रवाई कर रिपोर्ट देने के भी निर्देश दिए हैं.
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आरोप- अधिकारी नहीं करते सही कार्रवाई
दरअसल, मुख्य सचिव ने सीएम कार्यालय के अधिकारियों की मंडलीय और जिसा स्तर पर रैंडम जांच की. जांच में उन्हें लापरवाही देखने को मिली, जिसमें बिना नोडल अधिकारी का अनुमोदन लिए अन्य संदर्भ में शिकायतें दर्ज की जा रही थीं. वहीं, शिकायती पत्रों पर आवेदकों का मोबाइल नंबर भी दर्ज नहीं किया जा रहा था. जांच में 19 जिलों के डीएम, गौतमबुद्ध नगर के पुलिस आयुक्त और 6 जिलों के एसएसपी निर्देशों का पालन नहीं करते हुए पाए गए.
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मिला 80% निगेटिव फीडबैक
आपको बता दें, शिकायतों का निस्तारण करने के मामले में 80 फीसदी फीडबैक निगेटिव ही मिला है. इसमें लखनऊ, गोंडा, बाराबंकी, बहराइच, अयोध्या, सीतापुर, रायबरेली और अमेठी समेत 30 जिलों के डीएम, लखनऊ पुलिस कमिश्नर की लापरवाही सामने आई है.18 में से 17 मंडलों के आयुक्त, 18 परिक्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक, महानिरीक्षक 53 जिलों के डीएम व 44 जिलों के एसएसपी के लापरवाह रवैये को देखते हुए मुख्य सचिव ने जांच कर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं.
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