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नई दिल्ली: उत्तराखंड में अगले साल होने वाले विधान सभा चुनाव (Uttarakhand Assembly Election 2022) से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) को बड़ा झटका लगा है और राज्य के परिवहन मंत्री यशपाल आर्य भाजपा छोड़कर अपने विधायक बेटे संजीव आर्य के साथ सोमवार को कांग्रेस में शामिल हो गए. वहीं जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस को झटका लगा है और पार्टी छोड़ने वाले देवेंद्र राणा पार्टी व सुरजीत सिंह सलाथिया भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं.
यशपाल आर्य और उनके बेटे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं हरीश रावत, के सी वेणुगोपाल और रणदीप सुरजेवाला की मौजूदगी में अपने समर्थकों के साथ नई दिल्ली में कांग्रेस में शामिल हुए. इससे पहले उन्होंने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से उनके आवास में मुलाकात की थी. यशपाल आर्य 2007 से 2014 तक कांग्रेस की उत्तराखंड इकाई के अध्यक्ष थे और रावत के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री और विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं. वह उत्तराखंड में विधान सभा चुनाव से पहले 2017 में भाजपा में शामिल हो गए थे. यशपाल राज्य की मुक्तेश्वर विधान सभा सीट और संजीव आर्य नैनीताल विधान सभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं.
नेशनल कॉन्फ्रेंस से इस्तीफा देने के एक दिन बाद पार्टी की जम्मू इकाई के पूर्व प्रमुख देवेंद्र राणा पार्टी और सुरजीत सिंह सलाथिया सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए. राणा और सलाथिया ने केंद्रीय मंत्रियों धर्मेंद्र प्रधान, हरदीप सिंह पुरी और जितेंद्र सिंह की उपस्थिति में दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में पार्टी की सदस्यता ली.
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के छोटे भाई और पूर्व विधायक देवेंद्र राणा जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला के राजनीतिक सलाहकार रह चुके हैं. जम्मू कश्मीर के लिए भाजपा के प्रभारी महासचिव तरुण चुग और पार्टी की जम्मू कश्मीर इकाई के अध्यक्ष रवींद्र रैना ने दोनों नेताओं का पार्टी में स्वागत किया.
राणा अनेक राजनीतिक, सामाजिक और कारोबारी संगठनों की संयुक्त घोषणा के रूप में ‘जम्मू घोषणापत्र’ जारी किए जाने की वकालत करते रहे हैं, जिसमें मुख्य रूप से जम्मू क्षेत्र के लिए राज्य का दर्जा बहाल करने और पूरे जम्मू कश्मीर के लिए यह दर्जा बहाल नहीं करने की मांग शामिल है. केंद्र सरकार ने 2019 में जम्मू कश्मीर के पूर्ण राज्य के दर्जे को समाप्त कर दिया था और उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित कर दिया था.
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