देश में ब्लैकआउट का खतरा गहराया? केंद्र ने कहा- बिजली संकट पर जबरदस्ती फैलाई जा रही दहशत
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देश में ब्लैकआउट का खतरा गहराया? केंद्र ने कहा- बिजली संकट पर जबरदस्ती फैलाई जा रही दहशत

केंद्र सरकार दावा कर रही है कि देश में कोई बिजली संकट (Power Crisis) नहीं है और कोयले का भरपूर स्टॉक है तो दूसरी तरफ कई राज्यों से आ रही खबरों इस बात का संकेत दे रही हैं कि ब्लैकआउट (Blackout) का खतरा गहराता जा रहा है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली: क्या देश में वाकई बिजली का संकट (Power Crisis) आने वाला है? या फिर बिजली संकट के नाम पर देश को डराने का खेल खेला जा रहा है? केंद्र सरकार कह रही है कि देश में कोई बिजली संकट नहीं है और बिजली संकट को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है. तो दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) केंद्र पर गलत जानकारी देने का आरोप लगा रहे हैं.

  1. बिजली उत्पादन पर कोयले की कमी का असर पड़ा है
  2. महाराष्ट्र में 3330 मेगावाट बिजली आपूर्ति ठप
  3. केंद्र ने कहा- बिजली संकट पर फैलाई जा रही दहशत
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देश में ब्लैकआउट का खतरा गहराया?

एक तरफ केंद्र सरकार दावा कर रही है कि देश में कोई बिजली संकट नहीं है और कोयले का भरपूर स्टॉक है तो दूसरी तरफ कई राज्यों से आ रही खबरों इस बात का संकेत दे रही हैं कि ब्लैकआउट का खतरा गहराता जा रहा है. महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली और तमिलनाडु समेत कई राज्यों में बिजली उत्पादन पर कोयले की कमी का असर पड़ा है. यूपी में नोएडा पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने भी लोगों को मैसेज भेजकर बिजली कम इस्तेमाल करने की अपील की है.

महाराष्ट्र में 3330 मेगावाट बिजली आपूर्ति ठप

महाराष्ट्र सरकार लोगों से बिजली बचाने की अपील कर रही है, क्योंकि राज्य की 13 बिजली यूनिट बंद हो गई हैं. बताया जा रहा है कि इसकी वजह कोयले की कमी है. ये यूनिट MSEDCL को बिजली आपूर्ति करते थे. इस वजह से महाराष्ट्र में 3330 मेगावाट बिजली आपूर्ति ठप हो गई है. MSEDCL ने उपभोक्ताओं से डिमांड और सप्लाई को संतुलित करने के लिए सुबह 6 बजे से 10 बजे तक और शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक बिजली का कम इस्तेमाल करने की अपील की है. गर्मी की वजह से महाराष्ट्र में बिजली की मांग बढ़ी है. लिहाजा राज्य सरकार खुले बाजार से बिजली खरीद रही है. इसके अलावा, कोयना बांध के साथ-साथ अन्य छोटे जल विद्युत संयंत्रों और गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से बिजली सप्लाई की जा रही है.

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बिजली पर सियासी 'करंट'

यूपी में नोएडा पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने लोगों से बिजली बचाने की अपील की तो समाजवादी पार्टी ने योगी सरकार पर तंज करते हुए कहा कि सीएम योगी बिजली पर इसलिए ध्यान नहीं देते, क्योंकि वो बिजली प्लांट के नाम नहीं ले सकते. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, 'बिजली पर इसलिए ध्यान नहीं देते, क्योंकि वह प्लांटों के नाम नहीं ले सकते. जब मुख्यमंत्री जी यहां आए तो उनसे कहना कि प्लांट का नाम बता दो.'

बिजली संकट पर फैलाई जा रही दहशत: केंद्र

हालांकि केंद्र ने कहा है कि देश में बिजली संकट के नाम पर जबरदस्ती दहशत फैलाई जा रही है. ऊर्जा मंत्रालय ने कहा है कि कोयला की सप्लाई पावर प्लांट को बढ़ाया जा रहा है. मंत्रालय के मुताबिक कोल इंडिया के पास 24 दिन का कोयला स्टॉक है, जहां तक राज्यों में पावर स्टेशनों की बात है तो उनके पास 17 दिन का नहीं, लेकिन 4-4 दिन का स्टॉक जरूर उपलब्ध है और इसमें रोज सप्लाई हो रही है. ऊर्जा मंत्रालय ने ये भी कहा कि दिल्ली को जितनी बिजली की जरूरत होगी सप्लाई की जाएगी. हालांकि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया है कि सरकार कोयला संकट पर गलत जानकारी दे रही है. उन्होंने कहा कि केंद्र की आंखें बंद करने की नीति खतरनाक है.

ऑक्सीजन कमी की तरह त्राही-त्राही मचेगी: सिसोदिया

जैसे ऑक्सीजन संकट में लोग मरे थे, वैसे यहां भी त्राही-त्राही मचेगी. आंखे बंद करने की जो नीति है वो बहुत खतरनाक है. उन्होने कहा, 'पूरे देश से आवाज उठ रही है कि कोयला संकट है. और ये कोयला संकट अंत में बिजली संकट में तब्दील हो सकता है. जिसका बहुत बड़ा संकट देश को झेलना होगा. देश ठप हो जाएगा. देश का सिस्टम ठप हो जाएगा.

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कैसे फैली बिजली संकट को लेकर अफवाह?

ऊर्जा मंत्रालय ने कहा है कि दिल्ली में टाटा पावर की ओर से ग्राहकों को मैसेज भेजे जाने से बेवजह का डर फैला है. ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि ऐसा भ्रम असल में GAIL के एक गलत मैसेज की वजह से फैला, क्योंकि गेल ने दिल्ली के डिस्कॉम को एक मैसेज भेज दिया कि वो बवाना के गैस स्टेशन को गैस सप्लाई एक या दो दिन बाद बंद करेगा. ये मैसेज इसलिए भेजा गया, क्योंकि उसका कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो रहा है और इस संबंध में अफवाह फैलाने को लेकर टाटा पावर को चेतावनी भी दी गई है.

बिजली संयंत्रों में क्यों हुई कोयले की कमी?

साफ है कि बिजली संकट को लेकर राज्य सरकारें और केंद्र के दावे अलग-अलग हैं. इस मुद्दे पर तमाम राजनीतिक दल और गैर-बीजेपी शासित राज्य सरकारें केंद्र को घेरने में लगी है, जहां तक सवाल कोयले की कमी है तो केंद्र ने कोयले का आयात कम किया है. सितंबर महीने में कोयले की खदान वाले क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण कोयले के उत्पादन पर असर पड़ा. बाहर से आने वाले कोयले की कीमतों में काफी इजाफा हुआ है. मॉनसून की शुरुआत में पर्याप्त मात्रा में कोयले का स्टॉक नहीं हो पाया. उम्मीद की जानी चाहिए कि अब केंद्र के वादे के मुताबिक बिजली संयंत्रों को कोयले की सप्लाई में फिर से तेजी आएगी और स्थिति सामान्य हो जाएगी.

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