अपने बंगाल (West Bengal) दौरे पर गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने बंगाल की भूमि में जन्मे महापुरुषों को नमन किया. बंगाल चुनाव (West Bengal Assembly Election 2021) में बीजेपी (BJP) की रणनीति यही है कि वो ये साबित करने की कोशिश करेगी कि बंगाल के महापुरुषों को तृणमूल कांग्रेस की सरकार में उचित सम्मान नहीं मिला.
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नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल (West Bengal) में जीत का परचम लहराने के लिए बीजेपी की रणनीति क्या है, ये अब धीरे-धीरे साफ हो रहा है. पश्चिम बंगाल के महापुरुषों के साथ हुए भेदभाव का मुद्दा हमेशा मुखर करने वाली बीजेपी (BJP) बंगाल चुनाव (West Bengal Assembly Election 2021) में महापुरुषों की बात कर बीजेपी (BJP) बंगाली अस्मिता से खुद को जोड़ती है जिसका फायदा विधान सभा चुनावों में हो सकता है.
इसी बानगी में कल यानी 24 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शांतिनिकेतन (Shantiniketan) में विश्व भारती यूनिवर्सिटी (Visva Bharati University) के शताब्दी समारोह ( Centenary Celebrations) को संबोधित करेंगे. उससे पहले बंगाल की धरती पर विजय गाथा लिखने के लिए मैदान में उतरी बीजेपी (BJP) इस मिट्टी के गौरव को एक एक कर नमन कर रही है.
अपने बंगाल दौरे पर गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने बंगाल की भूमि में जन्मे महापुरुषों को नमन किया. बंगाल चुनाव में बीजेपी की रणनीति यही है कि वो ये साबित करने की कोशिश करेगी कि बंगाल के महापुरुषों को तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सरकार में उचित सम्मान नहीं मिला. BJP का आरोप है ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) 2011 में सत्ता में आईं, लेकिन बंगाली और बाहरी का भेद बढ़ाने वाली नेता ने बंगाली पहचानों को ही नजरअंदाज कर दिया. यही वजह है कि अमित शाह के दौरे पर खुदीराम बोस के परिवार ने कहा कि उन्हें पहली बार किसी पार्टी ने सम्मान दिया है.
इसका संकेत इसी से मिलता है कि अमित शाह जब 19 और 20 दिसंबर को दो दिवसीय पश्चिम बंगाल दौरे पर पहुंचे तो वह शांति निकेतन (Shantiniketan) जाने से पहले स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) को श्रद्धांजलि देने के लिए रामकृषण मिशन भी गए. रामकृष्ण मिशन और स्वामी विवेकानंद के विचारों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाता जगजाहिर है. इसके बाद शाह महान स्वतंत्रता सेनानी अमर शहीद खुदीराम बोस के मेमोरियल भी गए. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी रामकृष्ण मिशन का दौरा कर चुके हैं.
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बंगाल में पहुंचने के साथ अमित शाह ने मंदिरों से लेकर बंगाल से जुड़े महापुरुष के अहम स्थानों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. ये सॉफ़्ट हिन्दुत्व के साथ-साथ बंगाल के वोटरों से खुद को जोड़ने की कवायद थी, ये कोशिश ये दिखाने की है कि बीजेपी का चरित्र पश्चिम बंगाल के चरित्र से अलग नहीं है. बीजेपी की नज़र पश्चिम बंगाल के हिन्दू मतदाता पर है.