Ghazwa e Hind: भारत से हिंदू धर्म का अस्तित्व मिटाने का ख्वाब, जानें क्या है गजवा-ए हिंद?
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Ghazwa e Hind: भारत से हिंदू धर्म का अस्तित्व मिटाने का ख्वाब, जानें क्या है गजवा-ए हिंद?

क्या 2 साल पहले CAA के खिलाफ हुए प्रोटेस्ट और अब कर्नाटक में हिजाब विवाद के बहाने हो रहे प्रदर्शनों के पीछे बड़ी साजिश है. क्या इनके बहाने भारत में 1300 साल पुराने गजवा-ए-हिंद (Ghazwa e Hind) के ख्वाब को पूरा करने की कोशिश हो रही है. 

प्रतीकात्मक तस्वीर

Ghazwa e Hind: क्या 2 साल पहले CAA के खिलाफ हुए प्रोटेस्ट और अब कर्नाटक में हिजाब विवाद के बहाने हो रहे प्रदर्शन भारत में गजवा-ए-हिंद (Ghazwa e Hind) करने की दिशा में आगे बढ़ने की साजिश है. वह अधूरा ख्वाब, जो इस्लामिक कट्टरपंथियों की आंखों में पिछले 1300 सालों से लगातार बसा हुआ है. 

  1. मोहम्मद बिन कासिम था पहला मुस्लिम हमलावर
  2. दो हिस्सों में बंटी है मुस्लिम दुनिया 
  3. भारत में इस्लामी शासन की साजिश 

मोहम्मद बिन कासिम था पहला मुस्लिम हमलावर

सातवीं शताब्दी में मोहम्मद बिन कासिम के भारत पर किए गए आक्रमण के दौरान देशभर में इस्लाम को फैलाने की कोशिश की गई. हालांकि वह सफल नहीं हो पाया. उसके बाद दूसरे देशों से आए विदेशी मुस्लिम हमलावरों ने भी इस्लाम फैलाने के लिए भयंकर मार-काट मचाई, जिसके बाद डर के चलते काफी लोगों ने अपना धर्म बदल लिया. फिर भी देश की बहुत बड़ी आबादी अपने मूल धर्म पर टिकी रही. उसी बड़ी आबादी को इस्लाम में कन्वर्ट करने के लिए भारत में गजवा-ए-हिंद (Ghazwa e Hind) करना कट्टरपंथियों का पुराना ख्वाब रहा है. 

दो हिस्सों में बंटी है मुस्लिम दुनिया 

मुस्लिम धर्म के सिद्धांतों के अनुसार दुनिया दो भागों में विभाजित है. पहला हिस्सा दारुल इस्लाम कहा जाता है. इसमें वह देश आते हैं, जहां मुस्लिम रहते हैं और मुस्लिमों का ही शासन है. जबकि भाग दूसरा दारुल हर्ब कहा जाता है, जहां मुस्लिम रहते हैं, लेकिन शासन गैर-मुस्लिम करते हैं. इस्लामी सिद्धांत के मुताबिक भारत भी ऐसा ही एक दारुल हर्ब है. जिसे दारुल इस्लाम करने की जरूरत है. इस दारुल इस्लाम में भूमि मुसलमानों की तो हो सकती है लेकिन हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, यहूदी और पारसियों की नहीं हो सकती. 

भारत में इस्लामी शासन की साजिश 

इस्लामी सिद्धांतों की मान्यता है कि भारत को ‘दारुल इस्लाम’ बनाने के लिए भारत के मुस्लिमों का ‘जिहाद’ की घोषणा करना न्यायसंगत है. इसका मतलब यह है कि भारत को दारुल इस्लाम बनाने के लिए ही ‘गज़वा-ए-हिन्द’ (Ghazwa e Hind) करना होगा. गजवा-ए-हिन्द का मतलब है कि हिंदुस्तान पर अटैक कर गैर-मुस्लिमों में मार-काट मचाकर उन पर जीत हासिल करना, जिससे वे मुस्लिम बनने के लिए मजबूर हो जाएं. काफिरों को जीतने के लिए किये जाने वाले ऐसे ही युद्ध को गजवा कहते हैं और जो इस युद्ध में विजयी रहता है उसे गाजी कहा जाता है. चूंकि यह युद्ध हिंद यानी हिंदुस्तान के खिलाफ होगा, इसलिए उसे गजवा-ए-हिंद कहा गया है. जिसे पूरा करना कट्टरपंथियों का सैकड़ों साल पुराना ख्वाब रहा है. 

तो इसलिए नहीं हो पाया गजवा-ए-हिंद!

 कट्टर इस्लाम को मानने वाले कहते हैं कि इतने वर्षों में गजवा-ए-हिंद (Ghazwa e Hind) इसलिए नहीं हो पाया क्योंकि इससे पहले भारत पर जितने भी मुसलमान आक्रमणकारियों ने हमला किया था वो इस्लाम की कट्टर विचारधारा से तो प्रेरित थे, लेकिन उनका असली सपना भारत के धन और दौलत को लूटना था. वहीं अगली बार जो लोग गजवा-ए-हिंद करेंगे वो भारत को लूटने नहीं बल्कि उसे एक इस्लामिक राष्ट्र में बदलने के इरादे से हमला करेंगे. 

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भारत के आसपास मजबूत हो रहे कट्टरपंथी

गजवा-ए-हिंद (Ghazwa e Hind) की थ्योरी के मुताबिक भारत को मुस्लिम मुल्क के रूप में बदलने से पहले मुसलमानों को उसके आसपास के देशों में मजबूत होना पड़ेगा. जिससे उस पर चारों ओर से शिकंजा कस सकेगा और वक्त आने पर इस्लामी ताकतें चारों ओर से उस पर हमला कर भारत में गजवा-ए-हिंद कर सकेंगी. भारत के पड़ोस में पाकिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव और अफगानिस्तान का उदाहरण सामने है, जहां पर कट्टरपंथी ताकतें इतनी मजबूत हैं कि इस्लाम के नाम पर किसी का भी गला काट सकती हैं. 

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