बीरभूम में हत्याओं के पीछे का असली कारण क्या? घटना स्थल पर CM ममता का जोरदार स्वागत
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बीरभूम में हत्याओं के पीछे का असली कारण क्या? घटना स्थल पर CM ममता का जोरदार स्वागत

पश्चिम बंगाल के बीरभूम में जब सीएम ममता बनर्जी पीड़ित परिवारों से मिलने गईं तो TMC कार्यकर्ताओं ने उनका ऐसे स्वागत किया, जैसे वो वहां शोक जताने के लिए नहीं बल्कि चुनाव प्रचार या किसी चुनावी रैली के लिए पहुंची हों. 

बीरभूम में हत्याओं के पीछे का असली कारण क्या? घटना स्थल पर CM ममता का जोरदार स्वागत

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के बीरभूम में जब सीएम ममता बनर्जी पीड़ित परिवारों से मिलने गईं तो ये एक शोक सभा कम और चुनाव प्रचार ज्यादा लग रहा था. उनके इस दौरे के दौरान इलाके के TMC कार्यकर्ताओं ने उनका ऐसे स्वागत किया, जैसे वो वहां शोक जताने के लिए नहीं बल्कि चुनाव प्रचार या किसी चुनावी रैली के लिए पहुंची हों. 

  1. घटना स्थल पर पहुचीं सीएम ममता बनर्जी
  2. TMC कार्यकर्ताओं ने ममता का किया जोरदार स्वागत
  3. आक्रोशित लोगों ने ममता से की TMC कार्यकर्ताओं की शिकायत

TMC कार्यकर्ताओं ने ममता का किया जोरदार स्वागत

घटना स्थल की तरफ जाने वाली सड़क पर ममता बनर्जी की तस्वीर वाले स्वागत द्वार बनाए गए थे, जिस पर लिखा था, ममता बनर्जी का बहुत-बहुत स्वागत है. सोचिए, जिस जगह 8 लोगों को निर्ममता से जिंदा जला कर उन्हीं के घरों में मार दिया गया, वहां TMC के नेता ममता बनर्जी का स्वागत कर रहे थे. हमें लगता है कि ये इस हत्याकांड में मारी गई महिलाओं और बच्चों के साथ एक भद्दा मजाक है. जिसका वहां के लोगों में भी गुस्सा है.

आक्रोशित लोगों ने ममता से की TMC कार्यकर्ताओं की शिकायत

आज जब ममता बनर्जी पीड़ित परिवारों से मिलने के लिए इस गांव में पहुंची तो लोगों ने उनसे TMC नेताओं की शिकायत की. इन लोगों में TMC के स्थानीय नेताओं के खिलाफ इतना गुस्सा था कि ममता बनर्जी वहां मुश्किल से 20 मिनट भी नहीं रुकी. हालांकि इस दौरान कुछ तस्वीरें में वो पीड़ित परिवारों की हिम्मत बढ़ाते हुए दिखी और उन्होंने एक व्यक्ति के आंसू भी पोछे. लेकिन इसके बावजूद वहां मौजूद लोग यही पूछते रहे कि क्या सरकार उन्हें इंसाफ दिलाएगी? क्योंकि इस मामले में जो आरोपी हैं, वो TMC के ही कार्यकर्ता हैं. एक और बात, ममता बनर्जी ने पीड़ित परिवारों से तो मुलाकात की लेकिन वो पार्टी नेता भादु शेख के परिवार से नहीं मिलीं, जिनकी हत्या से ये पूरा मामला शुरू हुआ था.

TMC का दोहरा चरित्र

आज बीजेपी के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी बीरभूम में जाकर पीड़ित परिवारों से मिलने की कोशिश की, लेकिन इस दौरान उन्हें रोक लिया गया. वर्ष 2020 में जब TMC नेताओं का एक ऐसा ही प्रतिनिधिमंडल उत्तर प्रदेश के हाथरस में गैंगरेप पीड़ित के परिवार से मिलने के लिए गया था और उसे वहां जाने से पुलिस ने रोक दिया था तो ममता बनर्जी ने इसे असंवैधानिक बताया था. लेकिन आज पश्चिम बंगाल में जब बीजेपी नेताओं को रोका गया तो इस पर ममता बनर्जी की पार्टी चुप है. हालांकि काफी हंगामे के बाद आज बीजेपी नेताओं ने इन पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की.

ये है हत्याओं की असली वजह

आपको बता दें कि इन हत्याओं के पीछे असली कारण तोलाबाजी है. पश्चिम बंगाल में तोलाबाजी उस अवैध वसूली को कहते हैं, जो TMC के कार्यकर्ता, राज्य के व्यापारियों और आम लोगों से करते हैं. भारत के बाकी हिस्सों में इसे हफ्ता वसूली भी कहा जाता है. लेकिन पश्चिम बंगाल में अब ये एक प्रचलित बिजनेस मॉडल बन गया है, जिसके बारे में पुलिस से लेकर सरकार तक सबको पता है और अब ये TMC कार्यकर्ताओं की एक तरीके से मासिक पेंशन बन चुकी है.

झारखंड से लगती है बीरभूम की सीमा

ये पूरा मामला बीरभूम जिले के रामपुरहाट का है. ये जिला झारखंड की सीमा से लगता है और यहां रेत खनन और चट्टानों की खुदाई का काम बड़े पैमाने पर होता है. यानी यहां प्राकृतिक संसाधन हैं और इसके साथ ही इस क्षेत्र में काफी पैसा भी है और इस हत्याकांड की जड़ें भी इसी पैसे में मिली हुई है. 

यहां से शुरू हुआ पूरा बवाल

ये पूरा मामला TMC के एक नेता की हत्या से शुरू हुआ था, जिसका नाम था भादु शेख. भादु शेख रामपुरहाट के जिस बोग-टुई गांव का रहने वाला था, उसी गांव में उसकी हत्या के बाद TMC के उग्र कार्यकर्ताओं पर 6 महिलाओं और दो बच्चों को जिंदा जला कर मारने का आरोप है. यानी ये पूरी कहानी एक ही गांव की है. जब गांव के लोगों से बातचीत के जरिए पता किया गया पता चला कि TMC के जिस नेता की हत्या हुई, और उसकी हत्या के बाद जिन लोगों के घरों को जलाया गया, वो सभी गांव में तोलाबाजी का नेटवर्क चलाते थे और ये सभी TMC से जुड़े हुए थे.

तोलाबाजी का मतलब है, अवैध वसूली. आसान भाषा में कहें तो इस गांव के पांच से 10 किलोमीटर के दायरे में जो भी ट्रक रेत और पत्थर लेकर गुजरता था, उनसे TMC के ये नेता और कार्यकर्ता अवैध वसूली करते थे. क्योंकि भादु शेख, वहां की ग्राम पंचायत का उप प्रधान भी था, इसलिए उसने अपने समर्थकों के साथ गांव में अलग-अलग जगहों पर चेक Points बनाए हुए थे और यहां से जब भी कोई गाड़ी रेत और दूसरा सामान लेकर निकलती थी तो उसे एक तय रकम TMC के इन लोगों को चुकानी होती थी. इसे पश्चिम बंगाल में टैक्स भी कहा जाता है.

पश्चिम बंगाल में कानून है?

सोचिए, पश्चिम बंगाल में टैक्स के नाम पर TMC कार्यकर्ता अवैध वसूली करते हैं और ये पूरा सिस्टम ऐसे चल रहा है, जैसे वहां पुलिस और कानून है ही नहीं. इस हत्याकांड से पहले इस गांव में अवैध वसूली का ये कारोबार सही से चल रहा था. लेकिन बाद में TMC नेता भादु शेख का उसके सहयोगियों के साथ झगड़ा हो गया और TMC के ही कुछ लोग भादु शेख से अलग हो गए और उन्होंने भी गांव से आने जाने वाले ट्रकों से अवैध वसूली शुरू कर दी. इन लोगों में संजू शेख नाम का TMC कार्यकर्ता भी था, जिसके घर को इस हिंसा में आग लगा दी गई और पुलिस के मुताबिक जो 8 लोग मारे गए हैं, उनमें सात केवल संजू शेख के परिवार से थे.

अब क्योंकि भादु शेख ग्राम पंचायत में उप प्रधान था और उसकी पुलिस में अच्छी खासी जान पहचान थी इसलिए संजू शेख और बाकी के TMC के कार्यकर्ता ज्यादा ट्रकों से अवैध वसूली नहीं कर पा रहे थे और आरोप है कि इसी के बाद इन लोगों ने भादु शेख पर बम से हमला कर दिया और उसकी हत्या कर दी. इसी हत्या का बदला लेने के लिए दूसरे गुट के लोगों के 12 घर जला दिए गए, जिनमें 6 महिलाएं और दो बच्चे तड़प-तड़प कर मर गए.

बंगाल में कटमनी का धंधा जोरों पर

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में TMC के नेता कटमनी का भी नेटवर्क चलाते हैं. कटमनी का मतलब है कि, अगर कोई व्यक्ति कोई जमीन खरीदना चाहता है, तो उसे एक निश्चित रकम उस इलाके के सबसे बड़े TMC नेता को पहुंचानी होगी. इसी तरह अगर कोई व्यक्ति किसी सरकारी योजना का लाभ लेना चाहता है तो उसे इसके लिए सरकार से मिलने वाली मदद का कुछ हिस्सा TMC के नेताओं और कार्यकर्ताओं के घर पहुंचाना होगा.

इसी तरह कोई कारोबारी फैक्ट्री लगाना चाहता है, तो उसे जमीन से लेकर Transportation तक हर काम के लिए रिश्वत देनी पड़ती है. यानी ये सब कुछ बहुत ही व्यवस्थित तरीके से होता है. आप कह सकते हैं कि पश्चिम बंगाल में TMC के नेताओं की अनुमति के बिना सांस लेना भी मुश्किल है.

इस मामले में पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं. क्योंकि जिन घरों में महिलाओं और बच्चों को जिंदा जला कर मार दिया गया, वहां से पुलिस स्टेशन सिर्फ दो किलोमीटर दूर है. अगर घटना के दौरान पुलिसवाले पैदल चल कर भी इन घरों तक पहुंचने की कोशिश करते तो उन्हें 10 मिनट का भी समय नहीं लगता. लेकिन पुलिस वहां कई घंटे तक नहीं पहुंची. इसके अलावा इलाके के लोगों का कहना है कि आगजनी के दौरान घर से महिलाओं के चीखने चिल्लाने की आवाजें आ रही थीं. लेकिन आरोपियों ने इन घरों पर बाहर से ताला लगा दिया था, इसलिए कोई भी अपनी जान नहीं बचा पाया.

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