Mystery of Chand Raja's Stepwell: राजस्थान के दौसा में चांद राजा की रहस्यमयी बावड़ी है. कहते हैं कि उस बावड़ी का निर्माण जिन्नों ने कराया था. क्या यह वाकई सच है या यह अफवाह मात्र है.
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Secret of Rajasthan Chand Raja Bawdi: विज्ञान की नजर में रहस्यमयी शक्तियों का दुनिया में कोई वजूद नहीं है..जो कुछ भी इस दुनिया में हो रहा है उसका वैज्ञानिक कारण है. लेकिन कई बार कुछ ऐसे रहस्य सामने आते हैं जिसका विज्ञान भी ठीक ठीक जवाब नहीं दे पाता.रहस्य की ये कहानियां किवदंतियों के रूप में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचती हैं और कई बार रहस्यों की उम्र सदियों से लंबी हो जाती है.
राजस्थान के दौसा में प्रसिद्ध बावड़ी
आज हम एक ऐसे ही रहस्य को सुलझाने की कोशिश करेंगे, जो 1300 साल पुराना है. ये रहस्य है राजस्थान के दौसा में मौजूद विश्व प्रसिद्ध चांद राजा की बावड़ी का रहस्य, जिसके बारे में कहा जाता है उसे कुछ रहस्यमयी शक्तियों ने चमत्कारिक रूप से रातों रात तैयार कर दिया. कौन सी थीं वो रहस्यमयी शक्तियां. क्या उनके प्रमाण आज भी चांद बावड़ी में मौजूद हैं. इस रिपोर्ट को बहुत ध्यान से पढ़िएगा क्योंकि ये 1300 साल के रहस्य को खोलने वाली रिपोर्ट है.
जब सूरज ढल जाता है और चांद आसमान में छाए बादलों के बीच लुकाछिपी खेलने लगता है..तो कई बार रहस्यों की ऐसी परतें खुलती हैं जिनके बारे में सिर्फ सुनकर उन पर भरोसा नहीं होता. एक ऐसा ही रहस्य दिल्ली से 250 किलोमीटर दूर राजस्थान के दौसा में पिछले 1000 से ज्यादा सालों से मौजूद है. ये रहस्य 100 फीट से ज्यादा गहरा है और 13 मंजिल ऊंचा है. 17 किलोमीटर लंबी गुफा से गुज़रता है. 3500 सीढ़ियों पर चलता है और आठवीं शताब्दी में आकार सिर्फ एक रात में आकार लेता है.
जुड़ी हुई हैं कई रहस्यमयी कहानियां
इस रहस्य से जुड़ी कहानियां इस इलाके में हजारों सालों से कही और सुनी जा रही हैं. ये रहस्य है राजस्थान के आभानेरी की चांद बावड़ी का रहस्य, जिसके निर्माण को लेकर जो कहानियां कही जाती हैं उन पर भरोसा करना आसान नहीं. इतनी विशाल बावड़ी सिर्फ एक रात में बन जाए..आज के दौर में भी ऐसा सोचा नहीं जा सकता. लेकिन ऐसा मानने वालों की कोई कमी नहीं है..हजारों सालों से लोग चांद बावड़ी के बारे में यही कहते हैं ये सिर्फ एक रात में बनी...लेकिन कैसे.
इस बावड़ी के हर कोने में एक रहस्य नज़र आता है. जिससे जुड़ी कहानियां यहां पर सदियों से कही और सुनी जाती रही हैं. जी न्यूज़ की टीम भी जब इस बावड़ी के अंदर पहुंची तो एक जगह से दूसरी जगह तक जाने के दौरान लगा यहां कुछ तो ऐसा मौजूद है जिसे महसूस तो कर सकते हैं लेकिन बयान करना मुश्किल है. देश के बड़े इतिहासकार भी इन रहस्यों को अचरज भरी निगाहों से देखते हैं.
सीढ़ियों से उतर गए तो वापस नहीं आता
लोगों के अंदर ये बात क्यों बैठी है कि चांद बावड़ी को जिन्नों ने बनाया. इस सवाल का जवाब भी हमने इस रहस्यमयी बावड़ी के अंदर तलाश करने की कोशिश की तो हमें कुछ ऐसी चीजों के बारे में मालूम चला जो हैरान करने वाली थीं. यहां की सीढ़ियां 6 शेप में बनी हैं..इनके बारे में कहा जाता है...कोई व्यक्ति एक बार किसी एक सीढ़ी से उतर जाता है वो उसी सीढ़ी से वापस नहीं जा सकता है. इसीलिए इस पूरी बावड़ी को भूलभुलैया तक का नाम दिया है.
दावा तो यहां तक किया जाता है अगर कोई सिक्का रखकर भी इन सीढ़ियों से उतरकर नीचे तक जाता है तो भी उन्हीं सीढ़ियों से वापस नहीं आ सकता है. ऐसी कोशिशें आज से पहले कई बार की गईं..लेकिन इन सीढ़ियों के तिलस्म को कोई नहीं तोड़ पाया. इस रहस्यमयी बावड़ी में हॉलीवुड और बॉलीवुड की कुछ बेहद सफल फिल्मों की शूटिंग हुई है और कई फिल्मस्टारों ने भी सीढ़ियों के इस तिलिस्म को स्वीकार किया है.
बावड़ी को माना जाता है शापित
कहा तो ये भी जाता है यहां पर मौजूद जिन्नों की वजह से ऐसा करना नामुमकिन है. लेकिन बावड़ी से जुड़े रहस्य यहीं पर नहीं ख़त्म होते. रात के वक्त इस बावड़ी में आना मना है. ऐसा बावड़ी की सुरक्षा और लोगों की सुरक्षा दोनों के लिए जरूरी है. रात में यहां से अजीबोगरीब आवाज़ें सुनने का दावा भी किया गया है. यहां पर लगी घंटियां ज़ोर जोर से बजने लगती हैं. स्थानीय लोग तो मानते हैं इस जगह की सुरक्षा कुछ ऐसी शक्तियां करती हैं जिनका इंसानों से कुछ लेना देना नहीं है.
हालांकि ऐसे संरक्षित स्थानों पर रात में आने की इजाज़त प्रशासन भी नहीं देता. इस बावड़ी के बारे में जो कहानियां प्रचलित हैं उन्हें सुनने के बाद वैसे भी यहां पर आने का साहस कोई नहीं करता. शाम होने के साथ ही यहां पर सन्नाटा पसर जाता है. चांद बावड़ी के बारे में कहा जाता है कि यहां पर जो नीचे पानी तक जाता है वो कभी वापिस नहीं आता है . दंतकथा तो ये भी है कि यहां पर एक बारात आकर रुकी थी बारात में सैंकड़ो लोग थे वो नीचे तो गए लेकिन नीचे जाने के बाद वो कभी उपर नहीं आ पाए. इसीलिए इस बावड़ी को शापित भी माना जाता है .
बावड़ी के पास बना है हर्षद माता का मंदिर
कहा ये भी जाता है इस रास्ते का इस्तेमाल उस दौर में इस राज्य के राजा और उनके सैनिक किया करते थे लेकिन वो दौर बीतने के बाद कोई इस रास्ते का इस्तेमाल नहीं करता. प्रशासन ने इस रास्ते का इस्तेमाल करने की इजाज़त किसी को दी भी नहीं है. हमने स्थानीय लोगों से पूछा तो मालूम चला उनको भी पता है अंधेरी उजाली गुफा में उतरना बेहद खतरनाक है. ये बावड़ी किस राजा ने बनवाई..क्यों बनवाई...कब बनवाई..इतिहास में इसके बारे में क्या लिखा है इसके बारे में भी आप जान लीजिए.
मन वंश के एक शासक थे चांद या चंद जिनकी बनवाई हुई बावड़ी और हर्षद माता का मंदिर है और दोनों ही स्थापत्य और वास्तुशिल के दृष्टि से बेहद अद्भुत शिल्प है. यह जरूर कहा जाता है कि वहां के लोगों में यह क्यों जानती है कि ऐसी बातचीत वह करते हैं कि की जिन्होंने या देवी निर्माण है ऐसे अचानक एक रात में जिन्होंने बना दिया एक ही रात में.
क्या जिन्नों ने किया बावड़ी का निर्माण?
राजा चंद के नाम पर ही इस बावड़ी का नाम चांद बावड़ी पड़ा है. राजा चांद के नाम पर बनी इस बावड़ी के निर्माण में जिन्नों के हाथ बात कहां से शुरू हुई इस पर अलग अलग मत हैं. लेकिन ये भी सच है राजा चंद ने जब बावड़ी बनवाई तो यहां पर मंदिर भी बनवाए गए..जो आज तक मौजूद हैं. राजा ने बावड़ी के साथ एक महल भी बनवाया था..इसकी वजह भी इस बावड़ी के साथ जिन्नों का नाम जुड़ने को बताया जाता है
बावड़ी के ठीक सामने नीचे की तरह एक मंदिर है . मंदिर के अंदर भगवान की मूर्ति है मंदिर के उपर राजमहल हे कहा जाता है जिस वक्त ये बावड़ी बन रही थी उसी वक्त राजा ने इसके उपर अपना महल भी बनवाया था . ताकि ये बावड़ी शापित ना हो...क्योंकि इसे जिन्नों ने बनाया था इसलिए कई लोगों को मानना है कि इसके अगर कोई नीचे तक जाता है तो वो कभी वापिस नहीं आता है .