DNA Analysis: हिंदुओं की संपत्ति छीनने का औजार बना वक्फ एक्ट 1995? इस राज्य में 6 गांवों की जमीन पर वक्फ बोर्ड ने किया कब्जा
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DNA Analysis: हिंदुओं की संपत्ति छीनने का औजार बना वक्फ एक्ट 1995? इस राज्य में 6 गांवों की जमीन पर वक्फ बोर्ड ने किया कब्जा

Waqf Act 1995: क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में वर्ष 1995 मे मुस्लिमों के लिए एक ऐसा वक्फ कानून बनाया गया था, जो किसी की भी संपत्ति छीनने का अधिकार देता है. इस काले कानून की वजह से देश में अब तक हिंदुओ की हजारों एकड़ जमीन छीनी जा चुकी है.

DNA Analysis: हिंदुओं की संपत्ति छीनने का औजार बना वक्फ एक्ट 1995? इस राज्य में 6 गांवों की जमीन पर वक्फ बोर्ड ने किया कब्जा

Tamil Nadu Waqf Board: अगर आप अपनी कोई जमीन या मकान बेचने के लिए रजिस्ट्रॉर दफ्तर जाएं और वहां पता चले कि आपकी जमीन तो आपकी है ही नहीं. उस जमीन पर तो किसी और का कब्जा हो चुका है तो हमारा दावा है कि आपके पैरों तले की जमीन खिसक जाएगी.  

यही हुआ है तमिलनाडु में त्रिची जिले के तिरुचेंथुरई गांव के रहने वाले राजगोपाल नाम के व्यक्ति के साथ. जो अपनी एक एकड़ जमीन बेचने के लिए रजिस्ट्रॉर दफ्तर पहुंचे तो उन्हें पता चला कि जिस जमीन को बेचने के के बारे में वो सोच रहे हैं वो उनकी नहीं रही, वक्फ की हो चुकी है और अब उसका मालिक तमिलनाडु वक्फ बोर्ड है. बात बढ़ी तो रजिस्ट्रॉर दफ्तर से पता चला कि तमिलनाडु वक्फ बोर्ड (Tamil Nadu Waqf Board) ने राजगोपाल की जमीन समेत पूरे गांव की जमीन पर अपना दावा किया हुआ है. जिसमें उस गांव में बना करीब 1500 साल पुराना मंदिर भी आता है.

वक्फ बोर्ड ने कर लिया हिंदू गांव की जमीन पर कब्जा

आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है, ऐसा तो हो ही नहीं सकता? जब हमने ये खबर सुनी तो हमें भी यकीन नहीं आया. लेकिन फिर हमने इस दावे की सच्चाई जानने के लिए त्रिची के तिरुचेंथुरई गांव जाने का फैसला किया. फिर जो सच्चाई सामने आई, वो तमिलनाडु वक्फ बोर्ड की अवैध कब्जा नीति का जीता-जागता सबूत है. 

65 वसंत देख चुके राजगोपाल को जब त्रिची के लैंड रजिस्ट्रॉर ने अपनी जमीन बेचने के लिए चेन्नई जाकर तमिलनाडु वक्फ बोर्ड (Tamil Nadu Waqf Board) से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लाने के लिए कहा तो उन्हें अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ. जब राजगोपाल के हाथ में नोटिस आया तो उनकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया.

असल में राजगोपाल अपनी बेटी की शादी के लिए जमीन बेचना चाहते हैं. लेकिन शादी रुक गई है क्योंकि वह इसका खर्च उठाने में असमर्थ हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं आत्महत्या करना चाहता था. मैं अस्वस्थ हूं. 

राजगोपाल की जमीन ही नहीं तिरुचेंथुरई गांव के सारे खेत-खलिहान गांव की जमीनें-मकान. सब पर तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने कब्जा कर लिया है. गांव के लोग ठगा महसूस कर रहे हैं. पुरखों की जमीन को अपना समझते आए थे वो पता चला कि उनकी नहीं है. 

1500 साल पुराने मंदिर को भी बताया अपना

इस गांव में 95 प्रतिशत आबादी हिंदुओं की है. वर्ष 1985 में 22 मुस्लिम परिवार जरूर यहां आकर बसे हैं. लेकिन पूरा गांव हिंदू बाहुल्य है. करीब पंद्रह हजार की आबादी वाले इस गांव के आसपास करीब 369 एकड़ की संपत्ति है. गांव में एक प्राचीन मंदिर भी है. जो 1500 साल पुराना बताया जाता है. यानी इस्लाम धर्म से भी पहले का.

तमिलनाडु वक्फ बोर्ड (Tamil Nadu Waqf Board) की इस कारस्तानी पर सवाल उठाने के बजाय रजिस्ट्रॉर कार्यालय गांव वालों को ही नोटिस दे रहा है और घोषणा कर रहा है कि गांव की सारी संपत्ति तमिलनाडु वक्फ बोर्ड के अधीन है. वक्फ बोर्ड की अनुमति के बगैर कोई संपत्ति ना खरीदी जा सकती है और ना बेची.

सवाल ये है कि एक हिंदू बाहुल्य गांव को वक्फ बोर्ड अपनी प्रापर्टी कैसे घोषित कर सकता है. आखिर कौन से कानून में वक्फ बोर्ड को इस मनमानी की इजाजत मिली है. जो वक्फ बोर्ड को इतनी असीमित ताकतें देता है. अब पूरा तिरुचेंथुरई गांव ये सोच-सोचकर परेशान है कि वक्फ के कब्जे से अपनी जमीनों और संपत्तियों को कैसे छुड़ाएं. 

ये सिर्फ एक गांव का मामला नहीं है, जिस पर तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने अपना मालिकाना हक घोषित कर दिया है. बल्कि अकेले त्रिची जिले में कम से कम 6 ऐसे गांव हैं, जिन्हें वक्फ बोर्ड ने अपनी संपत्ति घोषित किया हुआ है.

तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने हिंदुओं को भेजा नोटिस

इसका सबूत है तमिलनाडु वक्फ बोर्ड (Tamil Nadu Waqf Board) का वो दस्तावेज है जिसमें त्रिची जिले में वक्फ बोर्ड की सारी संपत्तियों की डिटेल्स हैं. जिसका ब्यौरा त्रिची के रजिस्ट्रार दफ्तर को भेजा गया था. इस दस्तावेज पर 18 अगस्त 2022 की तारीख पड़ी है. ये बीस पन्नों का दस्तावेज है. जिसमें बोल्ड अक्षरों में लिखा है कि वक्फ की संपत्ति को बेचना, अदला-बदली करना, किराये पर देना या ट्रांसफर करना वक्फ एक्ट 1995 के तहत गैरकानूनी है. इस दस्तावेज में त्रिची में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का ब्यौरा दिया गया है.

लेकिन त्रिची के एक हिंदू बाहुल्य गांव पर वक्फ बोर्ड ने अपना मालिकाना हक जताकर कई सवाल पैदा कर दिए हैं. जिन्हें समझने के लिए आपको पहले ये समझना होगा कि आखिर वक्फ होता क्या है और वक्फ बोर्ड कैसे काम करता है. 

वक्फ, अरबी भाषा का शब्द है जिसका मतलब होता है - वो संपत्ति, जो अल्लाह के नाम पर दान दी गई हो. वक्फ, पैसे या संपत्ति का हो सकता है, जिसका इस्तेमाल गरीबों की भलाई के लिए हो सके. इसके अलावा अगर किसी संपत्ति को लंबे समय तक इस्लाम धर्म के काम में इस्तेमाल किया जा रहा हो, तो उसे भी वक्फ माना जा सकता है. अगर कोई एक बार किसी संपत्ति को वक्फ कर देता है तो उसे फिर वापस नहीं लिया जा सकता.

क्या होती हैं वक्फ संपत्ति

वक्फ में मिली संपत्तियों और पैसों के मैनेजमेंट के लिए वक्फ बोर्ड होते हैं. जिन्हें आप धरती पर अल्लाह के खजांची यानी अकाउंटेंट भी कह सकते हैं. दरअसल जब कोई मुस्लिम अपनी संपत्ति दान कर देता है तो उसकी देखरेख का जिम्मा वक्फ बोर्ड के पास ही होता है. वक्फ बोर्ड के पास दान दी गई किसी भी संपत्ति पर कब्जा रखने या उसे किसी और को देने का अधिकार होता है. 

भारत में वक्फ संस्थाओं का वजूद 800 साल से है. जिसकी शुरुआत मुस्लिम बादशाहों द्वारा दान की गई जमीनों की देखभाल करने से हुई. इस समय भारत में एक केंद्रीय वक्फ बोर्ड और 32 राज्य वक्फ बोर्ड हैं. जिन्हें रेगुलेट करने के लिए वक्फ बोर्ड एक्ट 1995 है. अब इसी कानून के आईने में तमिलनाडु वक्फ बोर्ड की कारस्तानी का DNA टेस्ट करते हैं.

पॉइंट नंबर वन 
वक्फ एक्ट (Waqf Act 1995) के नियमों के मुताबिक, वक्फ बोर्ड सिर्फ उस संपत्ति पर दावा कर सकता है जो इस्लाम धर्म को मानने वाले किसी शख्स ने धार्मिक काम के लिए दान में दी हो. तो फिर तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने पूरे गांव को अपनी संपत्ति कैसे घोषित कर दिया?

पॉइंट नंबर टू 

वक्फ कानून के मुताबिक वक्फ बोर्ड के पास गैर मुस्लिमों की संपत्ति पर दावा करने का अधिकार नहीं है. तो फिर एक हिंदू बाहुल्य गांव पर वक्फ बोर्ड ने दावा कैसे कर दिया?

पॉइंट नंबर थ्री 

वक्फ बोर्ड एक्ट 1995 में कहीं नहीं लिखा कि वक्फ बोर्ड, किसी निजी प्रॉपर्टी पर अपना दावा ठोक सकता है. तो फिर तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने राजगोपाल नाम के हिंदू शख्स की जमीन पर दावा कैसे ठोक दिया?

चौथा और सबसे बड़ा पॉइंट 

वक्फ एक्ट 1995 (Waqf Act 1995) के ही सेक्शन 3 में वक्फ की परिभाषा है जिसके मुताबिक कोई भी ऐसी चल या अचल संपत्ति, जो मुस्लिम लॉ द्वारा मान्यता प्राप्त किसी धार्मिक या चैरिटेबल काम के लिए पूरी तरह से दान में दी गई हो, वो वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी होगी. सवाल ये है कि त्रिची के जिस गांव को तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने अपनी संपत्ति बताया है, उसे किसने दान में दिया ?

इन सवालों के जवाब तमिलनाडु वक्फ बोर्ड को देने हैं लेकिन वो सवाल पूछे जाने पर सीधा जवाब देने के बजाय बातों को गोल-गोल घुमा रहा है और वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर अवैध कब्जों को लेकर ज्यादा चिंतित नजर आ रहा है.

वक्फ बोर्ड को दे दिए गए असीमित अधिकार

आसान भाषा में कहें तो वक्फ बोर्ड के पास असीमित अधिकार हैं कि वो मुस्लिम चैरिटी के नाम पर संपत्तियों पर हक जता सके. लेकिन उसे ये हक कैसे मिला, इसे समझने के लिए हमें इतिहास के पन्नों को पलटना होगा.

दरअसल बंटवारे के बाद पाकिस्तान से जो हिंदू भागकर हिंदुस्तान आए, पाकिस्तान में उनकी संपत्तियों पर मुसलमानों और पाकिस्तान सरकार ने कब्जा कर लिया . लेकिन भारत से पाकिस्तान जा चुके मुसलमानो की जमीन को भारत सरकार ने वक्फ बोर्ड को दे दिया. जिसके बाद वर्ष 1954 में वक्फ बोर्ड एक्ट बना. लेकिन वर्ष 1995 में वक्फ बोर्ड एक्ट में बदलाव कर वक्फ बोर्ड्स को जमीनों के अधिग्रहण के असीमित अधिकार दे दिए गए. जिसके बाद वक्फ बोर्ड की संपत्ति में दिन दोगुनी, रात चौगुनी रफ्तार से इजाफा होने लगा.

देश में तीसरे नंबर पर सबसे ज्यादा संपत्तियां

वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक इस वक्त वक्फ बोर्ड्स के पास कुल 8 लाख 54 हजार 509 संपत्तियां हैं जो आठ लाख एकड से ज्यादा जमीन पर फैली हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि सेना और रेलवे के बाद सबसे ज्यादा जमीन वक्फ बोर्ड्स के पास है. सेना के पास करीब 18 लाख एकड़ जमीन पर संपत्तियां हैं. जबकि देश में रेलवे की चल-अचल संपत्तियां करीब 12 लाख एकड़ में फैली हैं.

वर्ष 2009 में वक्फ बोर्ड की संपत्तियां चार लाख एकड़ जमीन पर फैली थी. जो अब बढ़कर दोगुनी से भी ज्यादा हो चुकी हैं. जबकि देश में जमीन उतनी ही है जितनी पहले थी. फिर भी वक्फ बोर्ड की जमीन कैसे बढ़ रही है? आरोप लगते हैं कि वक्फ बोर्ड, देश में जहां भी कब्रिस्तान की चारदीवारी करवाता है, उसके आसपास की जमीन को भी वक्फ अपनी संपत्ति मान लेता है. इसी तरह अवैध मजारों और मस्जिदों को धीरे-धीरे वक्फ बोर्ड, अपनी संपत्ति घोषित कर देता है. आसान भाषा में इसे लोग अतिक्रमण कहते हैं और वक्फ बोर्ड को इस अतिक्रमण का अधिकार 1995 का वक्फ बोर्ड कानून देता है.

किसी की भी संपत्ति छीन सकते हैं वक्फ बोर्ड

वक्फ एक्ट (Waqf Act 1995) का सेक्शन 3 बताता है कि अगर वक्फ सोचता है कि जमीन किसी मुस्लिम से संबंधित है, तो वह वक्फ की संपत्ति है. यहां ध्यान दीजियेगा कि वक्फ का सिर्फ सोचना ही काफी है, उसे इसके लिए किसी सबूत की जरूरत नहीं है. अगर वक्फ ने ये मान लिया कि आपकी संपत्ति, आपकी नहीं, बल्कि वक्फ बोर्ड की है तो फिर आप अदालत भी नहीं जा सकते. आप वक्फ की ट्रिब्यूनल कोर्ट में जा सकते हैं.

वक्फ एक्ट का सेक्शन 85 कहता है कि अगर वक्फ बोर्ड ट्रिब्यूनल को आप संतुष्ट नहीं कर पाते कि ये आपकी ही जमीन है तो आपको जमीन खाली करने का आदेश दे दिया जाएगा. ट्रिब्यूनल का फैसला ही अंतिम होगा. कोई सिविल कोर्ट, वक्फ ट्रिब्यूनल कोर्ट के फैसले को बदल नहीं सकती है.

वक्फ एक्ट का सेक्शन 40 कहता है कि जब वक्फ बोर्ड किसी शख्स की जमीन पर दावा करता है तो जमीन पर दावा सिद्ध करने की जिम्मेदारी वक्फ बोर्ड की नहीं होती है बल्कि जमीन के असली मालिक को अपनी जमीन पर मालिकाना हक साबित करना होता है.

यानी अगर वक्फ बोर्ड किसी जमीन पर दावा कर दे तो समझो वो जमीन उसकी हो गई. तमिलनाडु में भी यही हुआ है. दिल्ली हाई कोर्ट में इसी साल अप्रैल में एक याचिका दायर की गई है जिसमें वक्फ एक्ट के प्रावधानों को चुनौती दी गई है.

वर्ष 1995 में बनाया गया था यह कानून

एक सेकुलर देश में एक धार्मिक एक्ट (Waqf Act 1995) लागू है. ये अपने आप में हैरानी की बात है क्यों हिंदुओं, ईसाईयों और सिखों के लिए ऐसा कोई एक्ट नहीं है? केवल मुस्लिमों को लिए ही क्यों है? विडंबना देखिये कि वर्ष 1991 में Places of Worship Act बना जो कहता है कि देश की स्वतंत्रता के समय जो धार्मिक स्थल जिस स्वरूप में था, उसे वैसे ही बरकरार रखा जाएगा. वहीं 1995 में वक्फ एक्ट लागू होता है जो देशभर में वक्फ बोर्ड को ये अधिकार देता है कि वो किसी भी संपत्ति पर अपना हक जता सकता है और इसके खिलाफ पीड़ित पक्ष देश की किसी अदालत में गुहार तक नहीं लगा सकता.

किसी भी मुस्लिम देश में नहीं है ऐसा विधान

ये सुनने में ही अजीब लगता है कि एक धर्मनिरपेक्ष देश में ऐसा एक्ट है. जबकि किसी मुस्लिम देश में ऐसा कोई एक्ट नहीं है. तुर्की, लीबिया, इजिप्ट, सुडान, लेबनान, सीरिया, जोर्डन और इराक जैसे मुस्लिम देशों में ना तो कोई वक्फ बोर्ड है और ना ही कोई वक्फ कानून. हमारा मानना है कि भारत में भी वक्फ एक्ट की कोई जगह नहीं होनी चाहिए. सरकार को वक्फ एक्ट को रद्द कर देना चाहिए और सभी धर्मों के लिए एक जैसा एक्ट बनाया जाना चाहिए.

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