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नई दिल्ली: कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) सोमवार को राज्य सभा से रिटायर हो गए. उनके कार्यकाल के आखिरी दिन पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने जमकर तारीफ की, जिसके बाद उनके बीजेपी ज्वाइन करने को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं. अब गुलाम नबी आजाद ने खुद इस सवाल का जवाब दिया है और बताया है कि वह कब बीजेपी (BJP) ज्वाइन करेंगे.
हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने सभी अटकलों पर जवाब दिया. इसके साथ ही उन्होंने पीएम मोदी के साथ अपने रिश्ते पर भी विस्तार से बात की. उन्होंने कहा, 'हम एक दूसरे को 90 के दशक से जानते हैं, जब हम दोनों महासचिव थे और हम विभिन्न विचारों का प्रतिनिधित्व करने वाली टीवी बहसों में आते थे. हम बहस के दौरान वैचारिक लड़ाई लड़ते थे, लेकिन अगर हम जल्दी पहुंच जाते तो एक साथ चाय भी पीते थे और बातचीत करते थे. बाद में हम एक-दूसरे को मुख्यमंत्रियों की बैठक, प्रधानमंत्री की बैठकों में, गृह मंत्री की बैठकों में और ज्यादा जानने लगे. जब वे मुख्यमंत्री थे और मैं स्वास्थ्य मंत्री था. हम हर 10-15 दिन में अलग-अलग मुद्दों पर बात करते थे.'
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विदाई भाषण के दौरान राज्य सभा में गुलाम नबी आजाद और पीएम मोदी दोनों भावुक हो गए. इस पर गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'हम दोनों इसलिए नहीं रोए, क्योंकि हम एक-दूसरे को जानते थे, बल्कि इसका कारण यह था कि 2006 में एक गुजराती पर्यटक बस पर कश्मीर में हमला हुआ था और मैं उनसे बात करते हुए रोने लगा था. पीएम कह रहे थे कि यहां एक शख्स रिटायर हो रहा है, जो एक अच्छा इंसान भी है. वह कहानी को पूरा नहीं कर सके, क्योंकि वह भावुक हो गए. इसके बाद मैं इस कहानी को पूरा करना चाहता था, लेकिन मैं भी नहीं कर सका, क्योंकि मुझे लगा कि मैं 14 साल पहले उस पल में वापस आ गया था, जब हमला हुआ था.'
गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) से जब बीजेपी ज्वाइन करने की अटकलों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'मैं बीजेपी में तब शामिल होऊंगा, जब कश्मीर में काली बर्फ गिरेगी. भाजपा ही क्यों, उस दिन मैं किसी अन्य पार्टी में भी शामिल हो जाऊंगा. जो लोग यह कहते हैं या इस तरह की अफवाहों को फैलाते हैं, वे मुझे नहीं जानते हैं.'
गुलाम नबी ने आगे कहा, 'जब राजमाता विजया राजे सिंधिया विपक्ष की उपनेता थीं तो उन्होंने खड़े होकर मेरे बारे में कुछ आरोप लगाए. मैं उठा और कहा कि मैं आरोप को बहुत गंभीरता से लेता हूं और सरकार की ओर से मैं एक समिति का सुझाव देना चाहूंगा, जिसकी अध्यक्षता अटल बिहारी वाजपेयी करेंगे और उसमें राजमाता सिंधिया व लालकृष्ण आडवाणी सदस्य होंगे. मैंने कहा कि उन्हें 15 दिनों में रिपोर्ट पूरी करनी चाहिए और वे जो भी सजा का सुझाव देंगे, मैं उसे स्वीकार करूंगा. अपना नाम सुनते ही वाजपेयी जी मेरे पास आए और पूछा कि ऐसा क्यों. जब मैंने उनसे कहा तो उन्होंने खड़े होकर कहा- मैं सदन और गुलाम नबी आजाद से क्षमा मांगना चाहता हूं. शायद राजमाता सिंधिया उन्हें (आजाद) नहीं जानती, लेकिन मैं जानता हूं.