50,000 कबायलियों की मदद से जब PAK ने हथियाना चाहा J&K, जानें कश्मीर के भारत का हिस्सा बनने की कहानी
Advertisement
trendingNow11730972

50,000 कबायलियों की मदद से जब PAK ने हथियाना चाहा J&K, जानें कश्मीर के भारत का हिस्सा बनने की कहानी

India-Pakistan War 1947-48: पाकिस्तान और भाड़े के कबायलियों द्वारा जम्मू और कश्मीर राज्य पर हमला ऑपरेशन गुलमर्ग नामक एक योजना का हिस्सा था. हालांकि पाकिस्तान को बेरंग लौटना क्योंकि भारतीय सेना के हाथों उसे करारी हार मिली. 

50,000 कबायलियों की मदद से जब PAK ने हथियाना चाहा J&K, जानें कश्मीर के भारत का हिस्सा बनने की कहानी

First Kashmir War: पाकिस्तान द्वारा उन आतंकवादियों को भेजने का सिलसिला जारी है जिन्हें कथित तौर पर पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में घुसपैठ करने में मदद करते हैं. हालांकि यह कोई नई बात नहीं है क्योंकि भारतीय सशस्त्र बलों के साथ-साथ सीमा सुरक्षा बल 1947 से पाकिस्तान आधारित घुसपैठ का मुकाबला कर रहे हैं.

22 अक्टूबर, 1947 को, पीर पंजाल पर्वत पर भोर होने से ठीक पहले, पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों की कमान में आभाड़े के सैनिकों को ले जा रहे न्य ट्रकों की गर्जना मुजफ्फराबाद की ओर बढ़ रही थी.

अफगानिस्तान की सीमा से सटे देश के उत्तर पश्चिम से लश्कर कहे जाने वाले कुल 50,000 कबायली पाकिस्तानी सेना के साथ थे. आक्रमणकारियों ने जल्द ही मुजफ्फराबाद, मीरपुर, उरी और बारामूला पर कब्जा कर लिया.

पाकिस्तान और भाड़े के कबायलियों द्वारा जम्मू और कश्मीर राज्य पर हमला ऑपरेशन गुलमर्ग नामक एक योजना का हिस्सा था.

26 अक्टूबर, 1947 को, महाराजा हरि सिंह भारत के साथ विलय पत्र हस्ताक्षर किए और अगले दिन भारतीय सेना श्रीनगर हवाई अड्डे पर पहुंचने लगी. उस समय भारत में उड़ान भरने वाले सभी कॉर्मशियल विमान भारतीय सेना को हिमालय के युद्धक्षेत्र में ले जाने के काम में लगाए गए.

ऑपरेशन के मुख्य आदमी ने खुद बताया था पूरा सच
मेजर जनरल मोहम्मद अकबर खान,  इस ऑपरेशन का मुख्य व्यक्ति था. ब्रिगेडियर (रिटार्यड) ए आर सिद्दीकी को दिए गए और डिफेंस जर्नल में प्रकाशित एक इंटरव्यू में, मोहम्मद अकबर खान ने विस्तार से खुलासा किया कि योजना को कैसे लागू किया जाना चाहिए था.

इंटरव्यू में अकबर खान ने बताया, ‘बंटवारे के कुछ हफ्ते बाद मुझे लियाकत अली खान (पाकिस्तान के प्रधानमंत्री) की ओर से मियां इफ्तिखारुद्दीन ने कश्मीर में कार्रवाई की योजना तैयार करने के लिए कहा. मैंने पाया कि सेना के पास सिविल पुलिस के लिए 4,000 राइफलें थीं. यदि ये स्थानीय लोगों को दिए जा सकते थे, तो कश्मीर में एक सशस्त्र विद्रोह का आयोजन उपयुक्त स्थानों पर किया जा सकता था, मैंने इस आधार पर एक योजना तैयार की और इसे मियां इफ्तिखारुद्दीन को दिया, मुझे लाहौर में लियाकत अली खान के साथ एक बैठक में बुलाया गया जहां योजना को स्वीकार किया गया, जिम्मेदारियां तय गईं और आदेश जारी किए गए. सेना से सब कुछ गुप्त रखना था. सितंबर में विभिन्न स्थानों पर 4,000 राइफलें जारी की गईं और महाराजा के सैनिकों के साथ पहली गोलियों का आदान-प्रदान हुआ और आंदोलन ने जोर पकड़ लिया.’

24 अक्टूबर को मुजफ्फराबाद पर हमला हुआ
अकबर खान के मुताबिक, ‘24 अक्टूबर को एक  कबायली लश्कर ने मुजफ्फराबाद पर हमला कर उस पर सफलतापूर्वक कब्जा कर लिया. अगले दिन वे आगे बढ़े और उरी पर कब्जा कर लिया. 26 तारीख को उन्होंने बारामूला पर कब्जा कर लिया. उस शाम लियाकत अली खान ने लाहौर में एक बैठक की जिसमें मुझे आमंत्रित किया गया था. यह विचार करना था कि कश्मीर में अपेक्षित भारतीय हस्तक्षेप को देखते हुए क्या कार्रवाई की जाए. मैंने प्रस्ताव दिया कि एक आदिवासी लश्कर को जम्मू पर हमला करना चाहिए, क्योंकि यह केंद्र बिंदु था जिसके माध्यम से भारतीय सैनिक कश्मीर जा रहे थे.’

अकबर खान ने बताया, ‘युद्ध भड़कने के डर से इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया गया. उस शाम, कायद-ए-आजम भी लाहौर में थे और मिशन विद माउंटबेटन में एलन कैंपबेल के अनुसार,  उन्होंने आदेश दिया था कि जम्मू पर सेना द्वारा हमला किया जाना चाहिए. लेकिन आदेश पर अमल नहीं हुआ.’

कबायलियों को नहीं मिल सकी कोई मदद
अकबर खान ने कहा, ‘दो दिन बाद अपनी पहल पर मैं यह देखने के लिए श्रीनगर के सामने गया कि कबाइली कैसे काम कर रहे हैं. वे श्रीनगर से चौथे मील के पत्थर पर थे,  वहां उनका रास्ता रोका गया था. मैंने पूरी तरह से टोह लिया और देखा कि शहर पानी से घिरा हुआ था, जिसने बाहर से एंट्री गेट को ब्लॉक कर दिया था. मैं पिंडी पहुंचा और जल्द ही पाया कि कर्नल मसूद तीन बख़्तरबंद कारों के साथ सादे कपड़ों में एक स्वयंसेवक के रूप में जाने को तैयार थे. फिर मैंने कराची को फोन किया और अनुमति मांगने के लिए राजा गजनफर (एसआईसी) अली खान (कश्मीर मामलों के मंत्री) से बात की. अनुमति अस्वीकार कर दी गई थी. इस प्रकार कबायली को कोई मदद नहीं मिली और वे मील के पत्थर पर रुके रहे.‘

अकबर खान ने कहा, ‘एक हफ्ते बाद, अपनी रणनीति के लिए सही हालात नहीं देखते हुए वे, उरी चले गए, जहां से उन्होंने एबटाबाद वापस जाने की धमकी भी दी. एक भारतीय ब्रिगेड श्रीनगर से आगे बढ़ी और बारामूला पर कब्जा कर लिया. इसी समय मुझसे उरी जाने और लड़ाई बहाल करने को कहा गया.’

मोहम्मद अकबर खान ने कहा, ‘कबायली लश्कर का प्रदर्शन अच्छा रहा था. यह कहना सही नहीं है कि जब वे श्रीनगर के सामने थे, तब उन्होंने अपनी सेना को तोड़ दिया और लूटपाट के लिए चले गए. यह मुस्लिम लीग नेशनल गार्ड्स के मेजर खुर्शीद अनवर के साथ उनके समझौते का हिस्सा था जो उनके नेता थे. उनके पास कोई अन्य पारिश्रमिक नहीं था. मेजर खुर्शीद अनवर एक आपातकालीन कमीशन अधिकारी थे. खुर्शीद अनवर को उत्तरी सेक्टर का कमांडर नियुक्त किया गय था. खुर्शीद अनवर फिर पेशावर चला गए और खान कय्यूम खान की स्पष्ट मदद से,  लश्कर को बनाया, जो एबटाबाद में इकट्ठा हुआ और जिसने 24 अक्टूबर, 1947 को मुजफ्फराबाद में प्रवेश किया, बारामूला पहुंचा, जहां उसने किसी अज्ञात कारण से लश्कर को दो दिनों के लिए रोक दिया.’

मोहम्मद अकबर खान ने कहा, ‘दो हफ्ते बाद, उसने नवंबर के पहले सप्ताह में लश्कर के साथ उरी से प्रस्थान करते हुए कश्मीर मोर्चा छोड़ दिया. इसके बाद मैं मौके पर पहुंचा और अभियान फिर शुरू हुआ जहां से कबाइली लोग चले गए थे. खान अब्दुल कय्यूम खान ने जाहिरा तौर पर सीमा पर लश्कर को खड़ा करने में मेजर खुर्शीद अनवर की मदद की थी. इसके बाद उन्होंने कश्मीर में सक्रिय रुचि लेना जारी रखा और कश्मीर ऑपरेशंस के माध्यम से कबायली लश्कर की मदद की.’

यह इंटरव्यू पाकिस्तानी सैन्य कमांडर का है जो ऑपरेशन गुलमर्ग के प्रभारी थे. यह इंटरव्यू भविष्य के युद्ध अपराध न्यायाधिकरण को इकबालिया बयान के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है.

आक्रामकात का युद्ध आज भी जारी है
यह स्पष्ट रूप से बताता है कि जम्मू कश्मीर राज्य पर हमला पूर्व नियोजित था और यह एक संप्रभु क्षेत्र पर आक्रमण का अकारण युद्ध था. आक्रामकता का वह युद्ध आज भी जारी है जबकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पाकिस्तान को काबू में रखने में विफल रही है.

(इनपुट - ANI)

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news