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मुक्तसर: किसी भी देश का भविष्य उस देश के युवाओं पर निर्भर करता है. इस लिहाज से देखें तो पंजाब (Punjab) का भविष्य खतरे में है. पंजाब के आधे से ज्यादा युवा विदेश (Foreign) जाने का सपना देख रहे हैं. हर साल तकरीबन 1 लाख युवा इस सपने को साकार करने के लिए विदेश चले भी जाते हैं. पंजाब के ऐसे बहुत से गांव हैं जिन्हें अब NRI वाला गांव कहा जाता है. समझने वाली बात है कि पंजाब के युवा अपने देश में टिकना क्यों नहीं चाहते हैं?
गांव हरियाली से खुशहाल तो है लेकिन वीरान पड़ा है. घरों में आंगन तो हैं लेकिन खाली हैं. चूल्हे पर साग और मक्के की रोटी पक रही है लेकिन इसका स्वाद लेने वाले बच्चे नहीं हैं. पंजाब के NRI वाले गांव का कुछ ऐसा हाल है. मुक्तसर (Muktsar) जिले के इस छोटे से गांव में करीब 200 परिवार हैं लेकिन यहां ज्यादातर बुजुर्ग ही रह रहे हैं. युवा विदेशों में जाकर बस गए हैं.
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पंजाब के ज्यादातर गांवों का यही हाल है. विदेश भेजने की स्कीम्स के बोर्ड हर गांव में मिल जाएंगे. गांव में खेती-बाड़ी की कोई कमी नहीं है. समृद्ध किसान हैं लेकिन युवा पीढ़ी खेती करना नहीं चाहती और पंजाब में रोजगार के इतने अवसर नहीं हैं तो बच्चे विदेशों का रुख करते हैं.
पंजाब के गांवों में विदेश जाना एक तरह का चैन रिएक्शन भी है एक घर का बच्चा विदेश गया तो दूसरे घर का बच्चा भी वहीं बसना चाहता है. हर किसी को बड़ी नौकरी नहीं मिलती, हर कोई बहुत पढ़ने-लिखने के मकसद से भी नहीं जाता. बहुत लोग वहां ड्राइवर हैं तो कई फूड डिलीवरी कर रहे हैं.
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लोक सभा में पिछले साल आंकड़े दिए गए कि 2016 से अब तक यानी 5 सालों में पंजाब से 5 लाख लोग विदेश जाकर बस गए हैं. 5 साल में पंजाब से 2 लाख 62 हजार बच्चे पढ़ने के लिए विदेशों का रुख कर चुके हैं. हालांकि विदेश भेजने के कारोबार में लगे एक्सपर्ट्स के आंकलन के मुताबिक ये आंकड़े बेहद कम बताए गए हैं.
अनुमान के मुताबिक, पंजाब से हर साल 27 हजार करोड़ रुपये बच्चों को विदेश भेजने और पढ़ाने में खर्च हो रहे हैं. हर साल तकरीबन सवा लाख युवा विदेश जा रहे हैं. जिसमें से 1 लाख कनाडा और तकरीबन 25 हजार अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों का रुख करते हैं.
चूल्हे पर खाना पकाती महिलाएं पंजाब के स्वाद को बरकरार रख रही हैं. परंपराओं को सहेज कर रखने की कोशिश जारी है. लेकिन पंजाब के वर्तमान और भविष्य यानी युवा पीढ़ी को संभाल कर रखना अब मुश्किल हो गया है.
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