आजादी के 23 साल बाद भी गोवा क्यों नहीं बन सका था भारत का हिस्सा? जानें सेना ने कैसे पुर्तगालियों को खदेड़ा
Advertisement
trendingNow11227056

आजादी के 23 साल बाद भी गोवा क्यों नहीं बन सका था भारत का हिस्सा? जानें सेना ने कैसे पुर्तगालियों को खदेड़ा

ZEE News Time Machine: आजादी के 14 साल बाद 1961 में दहेज निषेध अधिनियम यानी THE DOWRY PROHIBITION ACT बनाया गया था. दहेज विरोधी कानून का उद्देश्य दहेज देने या इसे लेने से रोकना था.

आजादी के 23 साल बाद भी गोवा क्यों नहीं बन सका था भारत का हिस्सा? जानें सेना ने कैसे पुर्तगालियों को खदेड़ा

Time Machine on Zee News: ज़ी न्यूज की स्पेशल टाइम मशीन में हम आपको बताएंगे साल 1961 के उन किस्सों के बारे में जिसके बारे में आप शायद ही जानते होंगे. ये वही साल है जब पुणे में बांध फटने से हजार से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी. इसी साल जवाहर लाल नेहरू ने गोवा को पुर्तगालियों से आजाद कराया था. 1961 में ही ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने भारत का दौरा किया था. इसी साल नंदू नाटेकर को देश का पहला अर्जुन अवॉर्ड दिया गया था. आइये आपको बताते हैं साल 1961 की 10 अनसुनी अनकही कहानियों के बारे में.

भारत में जन्में सानिया के चाचा पाकिस्तान में जाकर खेले

आसिफ इकबाल पाकिस्तान के ऐसे क्रिकेटर हैं जिनका जन्म तो भारत में हुआ लेकिन वो खेले पाकिस्तान में जाकर. हैदराबाद में जन्मे और सानिया मिर्जा के रिश्तेदार आसिफ इकबाल कई वर्षों तक भारत में क्रिकेट खेलते रहे. उन्होंने हैदराबाद की टीम का प्रतिनिधित्व भी किया. 1960-61 में जब पाकिस्तान ने भारत का दौरा किया, तब आसिफ भारत में ही थे और मध्यम गति के गेंदबाज के तौर पर रणजी ट्रॉफी खेल रहे थे. उस दौरान उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ मैच खेले थे. तब आसिफ इकबाल ने साउथ जोन को रिप्रेजेंट किया था. 1961 में उनका पूरा परिवार पाकिस्तान में जा बसा. आसिफ ने भी पाकिस्तान की तरफ से मैच खेलना शुरू कर दिया. उन्होंने हैदराबाद, कराची, कैंट, नेशनल बैंक ऑफ पाकिस्तान और पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस की टीम के लिए मैच खेले. पाकिस्तान जाने के बाद वो टीम के मुख्य गेंदबाज बने. आसिफ एक ऑलराउंडर थे जिन्होंने 1975 के क्रिकेट विश्व कप में पाकिस्तान टीम की कमान संभाली थी.

बांध फटने से 1000 लोगों की गंवाई जान

पुणे का पंशेत बांध जिसे तानाजी सागर बांध भी कहते हैं. क्या आप जानते हैं इस बांध ने वर्षों पहले ऐसी तबाही मचाई थी, जिसे भुलाए नहीं भुलाया जा सकता. पूणे से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित पंशेत बांध का निर्माण 1950 के दशक में हुआ था. इस बांध को इलाके में सिंचाई और पानी सप्लाई की जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाया गया था. लेकिन वर्ष 1961 में यहां एक ऐसा हादसा हुआ, जिसने हजार से भी ज्यादा लोगों की जान ले ली. 12 जुलाई 1961 के दिन पंशेत बांध की एक दीवार टूट गई और वहां पानी का सैलाब आ गया. उस वक्त बांध का निर्माण कार्य चल रहा था और बड़ी तादाद में मजदूर लगे हुए थे. लेकिन अचानक बांध फटने से वो पानी के बहाव की चपेट में आ गए. बताया जाता है कि बांध फटने से एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. साथ ही आसपास बसे गांवों के सैकड़ों घर भी इस तबाही की भेंट चढ़ गए थे.

451 साल बाद गोवा हुआ आजाद

गोवा आज देश के सबसे बड़े टूरिस्ट प्लेस में से एक है. देश-विदेश से लोग गोवा में छुट्टियां मनाने पहुंचते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं आजादी के कई साल बाद तक गोवा भारत का हिस्सा नहीं था. गोवा पर करीब 450 वर्षों तक पुर्तगालियों का राज रहा. कहा जाता है कि आजादी के बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पुर्तगालियों से गोवा छोड़ने की मिन्नतें की थीं, लेकिन उन्होंने नेहरू की बात नहीं मानी. आखिरकार 1961 में भारतीय सेना ने गोवा पर हमला बोल दिया. दोनों तरफ से जमकर गोलाबारी हुई. भारत की भारी-भरकम फौज के आगे 6000 पुर्तगाली टिक नहीं पाए. भारतीय सेना ने जमीनी, समुद्री और हवाई हमले कर पुर्तगाली बंकरों को तबाह कर दिया. भारतीय सेना ने 2 दिसंबर को 'गोवा मुक्ति' अभियान शुरू किया था और 19 दिसंबर, 1961 को तत्कालीन पुर्तगाली गवर्नर मेन्यू वासलो डि सिल्वा ने भारत के सामने समर्पण समझौते पर दस्तखत कर दिए. उसके बाद गोवा पुर्तगालियों से आजाद होकर भारत का हिस्सा बन गया. 30 मई, 1987 को गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा भी मिल गया.

ब्रिटिश महारानी का भारत दौरा!

आजादी के बाद से ही भारत और ब्रिटेन के रिश्ते सुधरने शुरू हो गए थे. शायद यही वजह थी कि ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने 1952 में राजगद्दी संभालने के बाद 1961 में पहली बार भारत का दौरा किया था. 1961 में जब महारानी अपने पति प्रिंस फिलिप के साथ भारत के दौरे पर पहुंचीं तो उनके जोरदार स्वागत किया गया. तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के निमंत्रण पर 21 जनवरी 1961 को क्वीन एलिजाबेथ अपने पति प्रिंस फिलिप के साथ भारत आईं. राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू उनकी अगवानी के लिए पालम एयरपोर्ट पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया. ब्रिटेन की महारानी उस वर्ष 26 जनवरी की परेड की मुख्य अतिथि थीं. भारत दौरे पर उन्होंने अपने पति प्रिंस फिलिप के साथ कई शहरों का दौरा भी किया था. इसके अलावा ब्रिटिश महारानी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में एक बड़ी रैली को भी संबोधित किया था, जिसमें उनको देखने और सुनने के लिए लाखों लोग जुटे थे.

गायतोंडे की पेंटिंग 40 करोड़ में बिकी!

वासुदेव गायतोंडे... चित्रकारी की दुनिया का वो नाम, जिन्होंने अपने ही रिकॉर्ड तोड़ डाले. भारत के मशहूर ऐब्सट्रैक्ट चित्रकारों में एक हैं वासुदेव गायतोंडे, ऐब्स्ट्रैक्ट आर्ट यानी अमूर्त कला को अपनाने और इसे अलग पहचान देने का श्रेय गायतोंडे को ही जाता है. साल 1961 में उन्होंने एक बेनाम नीले रंग की ऑयल पेंटिंग बनाई थी. इस पेंटिंग के चर्चे भी खूब हुए. जेन फिलॉसफी और आध्यात्मिक शिक्षाओं से प्रेरित होकर उन्होंने ये पेंटिंग बनाई थी. 11 मार्च 2021 को गायतोंडे की ये पेटिंग सैफ्रॉन आर्ट स्प्रिंग लाइव ऑक्शन में 39.98 करोड़ रुपये में नीलाम हुई. ये किसी भी भारतीय कलाकार की अब तक की सबसे महंगी पेंटिंग में शुमार है और वासुदेव गायतोंडे की इस कलाकृति ने ना केवल उनको प्रसिद्धि दिलाई, बल्कि भारतीय कला और कलाकार की सबसे महंगी कलाकृति का विश्व रिकॉर्ड भी बनाया.

कछुआ खाने से पसरा मौत का मातम!

कछुआ... वो जानवर जिसकी खरगोश के साथ रेस की कहानियां सबने सुनी होंगी. हिंदू धर्म में कछुए को बहुत शुभ माना जाता है और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु का एक अवतार कछुआ भी था. कहा जाता है कि जहां कुछआ होता है, वहां लक्ष्मी का आगमन होता है. लेकिन वर्ष 1961 में कछुए से जुड़ा एक ऐसा हादसा हुआ था जो इतिहास के पन्नों में दर्ज है. दरअसल 1961 में कछुओं के खाने से करीब 32 लोगों की मौत हुई थी. ये घटना केरल में कोल्लम जिले की शक्तिकुलंगारा गांव की है. बताया जाता है कि 29 मई 1961 के दिन भारी बारिश के दौरान समुद्र किनारे बसे शक्तिकुलंगारा गांव के लोगों को एक विशाल कछुआ मिला था. बड़े से कछुए को देखकर गांव वाले खुश हो गए कि इससे बहुत से लोगों की भूख मिट जाएगी. गांव लाकर कछुए का मांस पकाया गया, लेकिन कछुए का मांस खाने से 32 गांववालों की मौत हो गई थी.

पहले अर्जुन अवॉर्ड विजेता थे नंदू नाटेकर!

1947 में आजादी मिलने के 14 साल बाद भारत दुनिया में अपनी नई पहचान बनाने में जुटा था. आर्थिक और सामाजिक मोर्चों के साथ खेलों की दुनिया में भारतीय खिलाड़ी अपने झंडे गाड़ रहे थे. ऐसे ही एक खिलाड़ी थे नंदू नाटेकर. जिन्होंने बैडमिंटन की दुनिया में भारत का नाम रौशन किया था और नंदू नाटेकर ही वो खिलाड़ी थे, जिन्हें 1961 में देश का पहला अर्जुन अवॉर्ड दिया गया था. नंदू नाटेकर ने 15 साल लंबे अपने करियर में 1954 में ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप के क्वॉर्टर फाइनल में जगह बनाई और 1956 कुआलालंपुर में सेलांगर अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट जीतकर अंतरराष्ट्रीय खिताब जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने. उन्होंने 1951 से 1963 के बीच थॉमस कप में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने 16 में से 12 सिंगल्स और 16 में से 8 डबल्स मुकाबले जीते थे.

दहेज विरोधी कानून लागू

भारत में दहेज प्रथा से जुड़े नियम-कायदे वर्षों पहले बन गए थे. लेकिन आज भी ये कुरीति समाज में मौजूद है. आजादी के 14 साल बाद 1961 में दहेज निषेध अधिनियम यानी THE DOWRY PROHIBITION ACT बनाया गया था. दहेज विरोधी कानून का उद्देश्य दहेज देने या इसे लेने से रोकना था. 1 मई 1961 को दहेज विरोधी कानून पारित किया गया था. इस कानून के तहत देश में दहेज देना और लेना पूरी तरह वर्जित है. ये भारत में दहेज से जुड़ा पहला राष्ट्रीय कानून है. दहेज निषेध अधिनियम को साल 1961 में दो बार संशोधित भी किया गया था. दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 2 के मुताबिक, शादी के दौरान प्रत्यक्ष-अप्रत्य़क्ष रूप से दी गई या ली गई संपत्ति दहेज मानी जाएगी. धारा 3 के तहत दहेज लेने या देने पर कम से कम पांच साल की सजा और 15,000 रुपये जुर्माने का प्रावधान है. बदलते वक्त के साथ दहेज विरोधी कानून में कई जरूरी संशोधन भी किए जा चुके हैं.

सैनिक स्कूल का देश में शुभारंभ!

देश के पहले सैनिक स्कूल की शुरुआत 1961 में ही हुई थी. रक्षा मंत्रालय के तहत पहला सैनिक स्कूल खोला गया था. 1961 में देश के तत्कालीन रक्षा मंत्री वी के कृष्ण मेनन ने भारतीय सेना में शामिल होने वाले को मानसिक और शारीरिक तौर पर मजबूत बनाने के उद्देश्य से इसकी स्थापना करवाई थी. रक्षा मंत्री वीके कृष्ण मेनन का उद्देश्य था कि सैनिक स्कूल के जरिए NDA की प्रवेश परीक्षा के लिए खुद को तैयार कर सकें और बुनियादी प्रशिक्षण भी हासिल कर सकें. पहला सैनिक स्कूल 1962 में महाराष्ट्र के सतारा में खोला गया था. आंकड़ों के मुताबिक 1961 से 2021 तक देश में करीब 33 सैनिक स्कूल बन चुके हैं. सैनिक स्कूलों के स्थापना की प्रेरणा रॉयल इंडियन मिलिट्री कॉलेज यानि RIMC और रॉयल इंडियन मिलिट्री स्कूल (जिसे अब राष्ट्रीय सैन्य स्कूल या RMS कहा जाता है) से मिली थी. इन दोनों कॉलेजों ने भारत को कई सेना प्रमुख दिए हैं.

देश में आयकर अधिनियम का निर्माण 

टैक्स या कर... मतलब हर तरह की आय पर सरकार को दिया जाने वाला एक छोटा सा हिस्सा. भारत में कर प्राचीन काल से ही लगाए जाते रहे हैं. चाणक्य के ‘अर्थशास्त्र’ और ‘मनु-स्मृति’ में कर का संदर्भ है, जिसे दुनिया का पहला संविधान माना जाता है. भारत मे आयकर आय पर लगाया जाता है. आयकर दो शब्दों के मिलकर बना है- "आय" और "कर"... इससे साफ है कि किसी भी व्यक्ति या संस्था की आय पर लगने वाला कर ही आयकर है. हर आयकरदाता अपनी कमाई के अनुसार सरकार को कर देता है और कर की दर केंद्र सरकार तय करती है. आयकर से जुड़ा कानून आयकर अधिनियम साल 1961 में बना था. भारत में आयकर, आयकर अधिनियम 1961 के तहत ही लगाया जाता है. यह अधिनियम 1 अप्रैल, 1962 से प्रभाव में आया था. इस अधिनियम में कुल 298 धाराएं और 14 अनुसूचियां शामिल हैं. संसद द्वारा पारित होने वाले बजट में हर साल आयकर की दर में घटाव या बढ़ाव किया जा सकता है.

यहां देखें VIDEO:

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news