Kuno National Park को ही विदेशी चीतों को छोड़ने के लिए क्यों चुना गया? ये है खासियत
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Kuno National Park को ही विदेशी चीतों को छोड़ने के लिए क्यों चुना गया? ये है खासियत

Namibia Cheetah: कुनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए चीतों को छोड़ दिया गया है. आइए जानते हैं कि कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में ही चीतों को क्यों रखा गया है.

कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए चीते.

Kuno National Park Cheetah: नामीबिया (Namibia) से भारत लाए गए चीतों (Cheetahs) को मध्य प्रदेश (MP) के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में पीएम मोदी ने छोड़ दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के जन्मदिन (17 सितंबर) के मौके पर भारत में चीता प्रोजेक्ट (Cheetah Project) का उद्घाटन हुआ है. इस बीच ये सवाल चर्चा का विषय बना हुआ है कि विदेशी चीतों के पुनर्वास के लिए कूनो नेशनल पार्क को ही क्यों चुना गया है. भारत में और भी नेशनल पार्क हैं वहां नामीबिया से लाए गए चीते क्यों नहीं रखे गए. आइए जानते हैं कि कूनो नेशनल पार्क की खासियत क्या है और वहां विदेशी चीतों को क्यों छोड़ा गया है.

चीतों के लिए कूनो नेशनल पार्क का चयन क्यों?

विदेशी चीतों के लिए कूनो नेशनल पार्क का चयन ही क्यों किया गया, इसका जवाब है कि यहां का वातावरण चीतों के अनुकूल है. यहां घने जंगल हैं. घास के मैदान हैं. पर्याप्त पानी है और पहाड़ियां भी हैं. चीते छोटे हिरण और सुअर के शिकार पर जिंदा रहते हैं, जिनकी संख्या कूनो नेशनल पार्क में काफी ज्यादा है. कूनो नेशनल पार्क में 20 से 25 हजार चीतल, नीलगाय, सांभर, चौसिंघा और चिंकारा हैं. इसके अलावा मोर जैसे पक्षी भी काफी संख्या में कूनो नेशनल पार्क में हैं जो चीतों के लिए आसान शिकार हैं. कूनो नेशनल पार्क में चीतों की 1 महीने तक मॉनिटरिंग की जाएगी. इसके लिए चीतों के गले में सैटेलाइट रेडियो कॉलर पहनाया गया है. सभी 8 चीतों के मूवमेंट और अपडेट देने के लिए 8 लोगों की एक टीम बनाई गई है.

चीतों को पंसद आएगा कूनो का घना जंगल

अधिकारियों को उम्मीद है कि कूनो नेशनल पार्क का विशाल फैला हुआ जंगल नामीबिया के चीतों को पंसद आएगा. कूनो नेशनल पार्क और इसके बफर जोन को मिलाकर 1235 वर्ग किलोमीटर का घना जंगल है. इससे सटा हुआ श्योपुर का 3000 वर्ग किमी का टेरिटोरियल फॉरेस्ट है. कूनो नेशनल पार्क के बीच से कूनो नदी बहती है जिससे यहां कभी पानी का संकट नहीं होता.

चीतों को दी गई ये खास सुविधा

इसके अलावा पार्क के अंदर भी फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने पीने के पानी के इंतजाम किए हैं. जिस बाड़े के अंदर शुरुआत के हफ्तों में चीता रखे जाएंगे उनके भीतर कई जगह पीने के पानी के ऐसे कई टैंक बनाए गए हैं जो चीता के काम भी आएंगे और उन दूसरे जानवरों के भी जिनके साथ चीता का जीवन जुड़ा हुआ है. बाड़े के अंदर ही चीता पहली बार भारतीय जंगल के हिसाब से खुद को ढालना और शिकार करना सीखेगा.

कूनो नेशनल पार्क में चीते को चुनौती अगर किसी से मिल सकती है तो वो हैं तेंदुए. यहां 96 तेंदुए रहते हैं. चीते और तेंदुए के बीच टकराव की आशंका को देखते हुए वन प्रशासन ने कुछ तेंदुओं को दूसरी जगह पर शिफ्ट किया है.

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