राज्य का दर्जा बहाल होने तक जम्मू कश्मीर में विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ूंगा : उमर अब्दुल्ला
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राज्य का दर्जा बहाल होने तक जम्मू कश्मीर में विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ूंगा : उमर अब्दुल्ला

पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद, से ही नाराज़ चल रहे पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा  है कि वो राज्य का दर्जा बहाल होने तक विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे.

फाइल फोटो

श्रीनगर: पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद, से ही नाराज चल रहे पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा  है कि वो राज्य का दर्जा बहाल होने तक विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्र में मंत्री रह चुके उमर ने इस दौरान ये भी कहा कि वह अपनी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस और जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए काम करते रहेंगे. आपको बता दें कि कई दशकों बाद बदले हालातों में अब परिसीमन प्रक्रिया के बाद ही इस केंद्रशासित प्रदेश में चुनाव हो पाएंगे. गौरतलब है कि पिछले साल जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेश में बांट दिया गया था.

  1. सूबे की जनता को उमर अब्दुल्ला का आश्वासन
  2. पार्टी की भलाई के लिए करते रहेंगे काम
  3. चुनाव नहीं लड़ना निजी फैसला - उमर अबदुल्ला

उन्होने कहा कि  ‘‘मैं राज्य की विधानसभा का नेता रहा हूं, कभी ये सबसे मजबूत विधानसभा थी जो अब यह देश की सबसे शक्तिहीन विधानसभा बन चुकी है इसलिए मैं इसका सदस्य नहीं बनूंगा.’’

उमर अब्दुल्ला ने ये भी कहा कि यह कोई धमकी या ब्लैकमेल नहीं है, यह किसी निराशा का इजहार भी नहीं है. यह वो सामान्य स्वीकारोक्ति है कि जिसमें वो किसी कमजोर विधानसभा, या केंद्रशासित प्रदेश की विधानसभा का हिस्सा बनना नहीं चाहते. उमर ने खुद को लोकतंत्र और शांतिपूर्ण विपक्ष में विश्वास रखने वाला नेता बताते हुए अपनी इस नई रणनीति का एलान किया.

विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने के अपने फैसले पर उन्होंने अपनी पार्टी के भीतर चर्चा की है क्या, इस बारे में पूछे जाने पर उमर ने कहा, ‘‘यह मेरी निजी राय है और यह मेरा फैसला है. मेरी इच्छा के विरूद्ध कोई भी चुनाव लड़ने के लिए मुझपर जोर नहीं डाल सकता.’’

जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा परिसीमन कवायद के बारे में पूछे जाने पर उमर ने कहा, ‘‘नेशनल कॉन्फ्रेंस पिछले साल पांच अगस्त के बाद के घटनाक्रम और फैसलों को चुनौती देने के लिए सभी कानूनी विकल्पों को खंगाल रही है और आगे भी यही करेगी.’’ संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त किए जाने के मुखर आलोचक रहे  उमर ने कहा कि विशेष दर्जा खत्म करने के लिए कई कारण गिनाए गए थे, उनका दावा था कि किसी भी तर्क की कोई जांच नहीं की गयी. नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष ने पिछले साल पांच अगस्त को विशेष दर्जा देने वाले प्रावधानों को निरस्त किए जाने की आलोचना की थी और पहले ही कह दिया था कि उनकी पार्टी उच्चतम न्यायालय में इसका विरोध करेगी.

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