हमारा विचार ये है कि अब वक़्त आ गया है.. जब भारत को इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल पर ये दबाव डालना चाहिए कि वो पाकिस्तान का बहिष्कार करे.
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भारत के क्रोध से पाकिस्तान बहुत घबराया हुआ है. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की पुलिस ने जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय को अपने कब्ज़े में ले लिया है. जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय, बहावलपुर में मौजूद है, और कुछ दिन पहले हमने आपको उस मुख्यालय की तस्वीरें भी दिखाई थीं. अब वहां पर पाकिस्तान ने अपने सुरक्षाकर्मी तैनात कर दिए हैं . और पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा.. LOC के चक्कर लगा रहे हैं. हम पाकिस्तान की इस घबराहट वाली कूटनीति का भी विश्लेषण करेंगे, लेकिन उससे पहले आपको एक महत्वपूर्ण सवाल पर विचार करना चाहिए.
भारत क्रिकेट का वर्ल्ड कप जीत ले, तब आपको ज़्यादा खुशी होगी ? या भारत, एक राष्ट्र के तौर पर, युद्ध में पाकिस्तान पर विजय प्राप्त कर ले.. तब आपको ज़्यादा खुशी होगी ? आज इस सवाल का जवाब ही आपके अपने देश भारत का भविष्य तय करेगा. आज पूरे देश में इस बात पर बहस चल रही है कि भारत को क्रिकेट वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ मैच खेलना चाहिए या नहीं. लेकिन आज हम इससे एक कदम आगे की बात करना चाहते हैं.
हमारा विचार ये है कि अब वक़्त आ गया है.. जब भारत को इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल पर ये दबाव डालना चाहिए कि वो पाकिस्तान का बहिष्कार करे. सिर्फ ICC ही नहीं.. भारत को दूसरे देशों पर भी ये दबाव डालना चाहिए कि वो पाकिस्तान को वर्ल्ड कप से बाहर कर दें. अगर ICC और अन्य देश ऐसा नहीं करते हैं तो भारत को कुछ समय के लिए इस खेल-कूद को भूल जाना चाहिए.
आपमें से बहुत से लोग 16 जून का इंतज़ार कर रहे होंगे. 16 जून कोई ऐतिहासिक तारीख नहीं है, बल्कि ये वो दिन है, जब England के Manchester में भारत और पाकिस्तान की क्रिकेट टीमें World Cup में एक दूसरे से मुकाबला करेंगी.
उस दिन रविवार है और आप में से बहुत से लोगों ने अभी से ही ये मैच देखने के Plans बना लिए होंगे. आप इस मैच का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे होंगे. लेकिन ये मैच देश को रोमांच नहीं... बल्कि दुख और शर्मिंदगी देने वाला है. क्योंकि खेल-कूद शांतिकाल में होती है, युद्धकाल में नहीं. इंसानी सभ्यता के इतिहास में खेलों का सबसे पुराना प्रमाण 4 हज़ार ईसा पूर्व में चीन में मिलता है. यानी आज से करीब 6 हज़ार साल पहले. तैराकी और मछली पकड़ने जैसे खेल खेले जाते थे.
इसके बाद यूनान में प्राचीन ओलंपिक्स के प्रमाण मिलते हैं. और ये बात है आठवीं शताब्दी की. आधुनिक ओलंपिक्स गेम्स पहली बार 1896 में यूनान यानी Greece में ही खेले गए थे. क्रिकेट के खेल की शुरुआत 16वीं शताब्दी में इंग्लैंड में हुई थी. अंग्रेज़ों ने अपने मनोरंजन के लिए इस खेल को शुरू किया था. क्योंकि उस ज़माने में मनोरंजन के ऐसे साधन नहीं थे, जैसे आज हैं. और इसीलिए Time Pass के लिए क्रिकेट के खेल को शुरू किया गया.
हर खेल मनोरंजन के लिए ही खेला जाता है और क्रिकेट का आविष्कार भी मनोरंजन के लिए ही हुआ. लेकिन आज भारत में जो माहौल है, उसमें मनोरंजन नहीं हो सकता. एक तरफ बॉर्डर पर पाकिस्तान हमारे सैनिकों को शहीद कर रहा है. और ऐसे में हमारे क्रिकेटर्स का पाकिस्तान के साथ मैच खेलना... अनैतिक है. ये मनोरंजन का नहीं बल्कि युद्ध और आक्रोश का वक्त है. इसीलिए हम ये कह रहे हैं कि भारत को वर्ल्ड कप में पाकिस्तान का बहिष्कार करना चाहिए. पाकिस्तान के साथ कोई मैच नहीं खेलना चाहिए. बल्कि International Cricket Council के सामने ये शर्त रख देनी चाहिए कि पाकिस्तान को बाहर किए बिना.. भारत वर्ल्ड कप नहीं खेलेगा. हम जानते हैं कि इससे हमारे खिलाड़ियों का नुकसान होगा, क्रिकेट के Sponsors चले जाएंगे, फोटो शूट और विज्ञापन बंद हो जाएंगे, लेकिन देश से बड़ा कुछ नहीं होता.
आज इसी मुद्दे पर BCCI की बैठक हुई.
और इस बैठक में वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के साथ खेलने का फैसला सरकार पर छोड़ दिया गया है. BCCI की तरफ से कहा गया है कि इस विषय में सरकार से सलाह मशविरे के बाद ही वो कोई फैसला लेंगे.
हालांकि BCCI की तरफ से ICC को आज एक Mail किया गया है, जिसमें BCCI ने अपने खिलाड़ियों और Fans की सुरक्षा को लेकर चिंता ज़ाहिर की है.
साथ ही BCCI की तरफ से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट समुदाय से आतंक पैदा करने वाले मुल्कों को अलग-थलग की मांग की गई है.
हमें लगता है कि BCCI को देशहित के बारे में सोचना चाहिए. BCCI एक स्वतंत्र संस्था है और दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड है. लेकिन आज की परिस्थितियां ऐसी हैं जिनमें BCCI को अपनी कमाई से ज़्यादा देशहित पर ध्यान देना चाहिए.
सोचिए जब 16 जून को भारत और पाकिस्तान के मैच के दौरान दोनों टीमों के खिलाड़ी एक दूसरे से हाथ मिलाएंगे, या हो सकता है कि गले भी मिलें तो फिर क्या होगा? उन शहीदों के घरवालों पर क्या गुज़रेगी जिनके अपनों की जान पाकिस्तान की वजह से गई? वो लोग क्या सोचेंगे जिनके अपनों को पाकिस्तान के आतंकवादियों ने मारा है . एक तरफ पाकिस्तान के खिलाफ ये आक्रोश और दूसरी तरफ से उनके खिलाड़ियों के साथ क्रिकेट मैच खेलना.. ये दोनों काम एक साथ नहीं हो सकते.
देश में जब ऐसी कोई घटना होती है तो हमें बहुत गुस्सा आता है. हममें से ज्यादातर लोग Facebook या Twitter पर अपना गुस्सा भी दिखाते हैं. पाकिस्तान को खूब बुरा भला कहते हैं. अपनी DP यानी Display Picture बदलकर तिरंगा लगा लगा लेते हैं और पाकिस्तान के साथ हर तरह के संबंध तोड़ने की वकालत करते हैं. जैसा कि अभी हो रहा है. लेकिन जब बात भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट मैच की आती है, तो हमारी इन देशभक्ति की भावनाओं पर चौके-छक्के हावी हो जाते हैं. भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट मैच को किसी Mega Event की तरह पेश किया जाता है. और लगातार एक-दूसरे की बुराई करने वाला भारतीय और पाकिस्तानी मीडिया... ऐसे किसी मैच के दौरान फायदा उठाने के लिए एक दूसरे के साथ Collaboration कर लेता है. हमारा सवाल है कि क्या ऐसे हालात में भारत और पाकिस्तान के बीच World Cup का ये मैच होना चाहिए?
ये बात सही है कि भारत और पाकिस्तान का मैच क्रिकेट की दुनिया का सबसे बाहुबली मैच होता है. और इस मैच से Sponsors की कमाई भी सबसे ज्यादा होती है. इस मैच पर भी Sponsors का बहुत सारा पैसा लगा हुआ है. लेकिन बात फिर वहीं आ जाती है कि क्या BCCI के लिए क्रिकेट की कमाई देशहित से ज्यादा ज़रूरी है ?
यहां BCCI को ये नहीं भूलना चाहिए ICC के World Cup जैसे Events भारत की वजह से ही चलते हैं. ICC के लिए भारतीय क्रिकेट टीम सोने की चिड़िया है. अभी ICC की जो भी कमाई होती है, उसमें से 80 प्रतिशत से ज़्यादा कमाई भारतीय दर्शकों और भारतीय टीम द्वारा खेले जाने वाले Matches के Media Rights की वजह से होती है. ICC के जिस Tournament में भारतीय क्रिकेट टीम खेलती है, उसकी लोकप्रियता सबसे ज्यादा हो जाती है. और उस Tournament के Broadcasting Rights सबसे महंगे बिकते हैं. और अगर भारत और पाकिस्तान के बीच मैच हो, तो फिर तो BCCI और ICC दोनों की चांदी हो जाती है.
इसका एक उदाहरण हम आपको देते हैं.
जानकारी के मुताबिक भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले इस मैच को देखने के लिए पहले से ही 4 लाख लोगों ने आवेदन किया हुआ है. जबकि स्टेडियम की क्षमता सिर्फ 25 हज़ार लोगों की है.
दूसरी तरफ वर्ल्ड कप में ही इंग्लैड और ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाले मैच को देखने के लिए 2 लाख 40 हज़ार आवेदन आए हैं.
और फाइनल के टिकट पाने के लिए भी सिर्फ 2 लाख 70 हज़ार आवेदन आए हैं.
यानी लोग भारत और पाकिस्तान के मैच का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं. वैसे भारत और पाकिस्तान के बीच जब भी कोई मैच होता है, तो वो BCCI और ICC के लिए किसी सुपरहिट मुकाबले से कम नहीं होता.
अभी तक ICC के जो 4 मैच सबसे ज्यादा देखे गए हैं, उनमें तीन भारत और पाकिस्तान के बीच खेले गए थे.
ICC का सबसे ज्यादा देखा गया मैच भारत और श्रीलंका के बीच 2011 के वर्ल्ड कप में हुआ फाइनल था, जिसमें भारत जीता था. इस मैच को 55.8 करोड़ लोगों ने देखा था.
इसी वर्ल्ड कप में भारत और पाकिस्तान के बीच सेमीफाइनल मैच हुआ था, उस मैच को करीब 50 करोड़ लोगों ने देखा था.
जबकि 2017 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए चैंपियंस ट्रॉफी के मुकाबले को 32.4 करोड़ लोगों ने देखा था.
और चौथे नंबर पर भी भारत और पाकिस्तान का ही मैच है. ये मैच 2015 के वर्ल्ड कप में खेला गया था. जिसे 31 करोड़ से ज्यादा लोगों ने देखा था.
लेकिन हमारा ध्यान इस बात नहीं होना चाहिए कि हमारे खिलाड़ियों के मैच को कितने ज्यादा लोग देखते हैं. बल्कि इस बात पर होना चाहिए कि हम अपने सैनिकों की शहादत का प्रतिशोध कैसे लेंगे? और उन्हें सम्मान कैसे देंगे?
हमें लगता है कि BCCI को देशहित के बारे में सोचना चाहिए. BCCI एक स्वतंत्र संस्था है और दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड है. लेकिन आज की परिस्थितियां ऐसी हैं जिनमें BCCI को अपनी कमाई से ज़्यादा देशहित पर ध्यान देना चाहिए.
सोचिए जब 16 जून को भारत और पाकिस्तान के मैच के दौरान दोनों टीमों के खिलाड़ी एक दूसरे से हाथ मिलाएंगे, या हो सकता है कि गले भी मिलें तो फिर क्या होगा? उन शहीदों के घरवालों पर क्या गुज़रेगी जिनके अपनों की जान पाकिस्तान की वजह से गई? वो लोग क्या सोचेंगे जिनके अपनों को पाकिस्तान के आतंकवादियों ने मारा है . एक तरफ पाकिस्तान के खिलाफ ये आक्रोश और दूसरी तरफ से उनके खिलाड़ियों के साथ क्रिकेट मैच खेलना.. ये दोनों काम एक साथ नहीं हो सकते.
देश में जब ऐसी कोई घटना होती है तो हमें बहुत गुस्सा आता है. हममें से ज्यादातर लोग Facebook या Twitter पर अपना गुस्सा भी दिखाते हैं. पाकिस्तान को खूब बुरा भला कहते हैं. अपनी DP यानी Display Picture बदलकर तिरंगा लगा लगा लेते हैं और पाकिस्तान के साथ हर तरह के संबंध तोड़ने की वकालत करते हैं. जैसा कि अभी हो रहा है. लेकिन जब बात भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट मैच की आती है, तो हमारी इन देशभक्ति की भावनाओं पर चौके-छक्के हावी हो जाते हैं. भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट मैच को किसी Mega Event की तरह पेश किया जाता है. और लगातार एक-दूसरे की बुराई करने वाला भारतीय और पाकिस्तानी मीडिया... ऐसे किसी मैच के दौरान फायदा उठाने के लिए एक दूसरे के साथ Collaboration कर लेता है. हमारा सवाल है कि क्या ऐसे हालात में भारत और पाकिस्तान के बीच World Cup का ये मैच होना चाहिए?
ये बात सही है कि भारत और पाकिस्तान का मैच क्रिकेट की दुनिया का सबसे बाहुबली मैच होता है. और इस मैच से Sponsors की कमाई भी सबसे ज्यादा होती है. इस मैच पर भी Sponsors का बहुत सारा पैसा लगा हुआ है. लेकिन बात फिर वहीं आ जाती है कि क्या BCCI के लिए क्रिकेट की कमाई देशहित से ज्यादा ज़रूरी है ?
यहां BCCI को ये नहीं भूलना चाहिए ICC के World Cup जैसे Events भारत की वजह से ही चलते हैं. ICC के लिए भारतीय क्रिकेट टीम सोने की चिड़िया है. अभी ICC की जो भी कमाई होती है, उसमें से 80 प्रतिशत से ज़्यादा कमाई भारतीय दर्शकों और भारतीय टीम द्वारा खेले जाने वाले Matches के Media Rights की वजह से होती है. ICC के जिस Tournament में भारतीय क्रिकेट टीम खेलती है, उसकी लोकप्रियता सबसे ज्यादा हो जाती है. और उस Tournament के Broadcasting Rights सबसे महंगे बिकते हैं. और अगर भारत और पाकिस्तान के बीच मैच हो, तो फिर तो BCCI और ICC दोनों की चांदी हो जाती है.
इसका एक उदाहरण हम आपको देते हैं.
जानकारी के मुताबिक भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले इस मैच को देखने के लिए पहले से ही 4 लाख लोगों ने आवेदन किया हुआ है. जबकि स्टेडियम की क्षमता सिर्फ 25 हज़ार लोगों की है.
दूसरी तरफ वर्ल्ड कप में ही इंग्लैड और ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाले मैच को देखने के लिए 2 लाख 40 हज़ार आवेदन आए हैं.
और फाइनल के टिकट पाने के लिए भी सिर्फ 2 लाख 70 हज़ार आवेदन आए हैं.
यानी लोग भारत और पाकिस्तान के मैच का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं. वैसे भारत और पाकिस्तान के बीच जब भी कोई मैच होता है, तो वो BCCI और ICC के लिए किसी सुपरहिट मुकाबले से कम नहीं होता.
अभी तक ICC के जो 4 मैच सबसे ज्यादा देखे गए हैं, उनमें तीन भारत और पाकिस्तान के बीच खेले गए थे.
ICC का सबसे ज्यादा देखा गया मैच भारत और श्रीलंका के बीच 2011 के वर्ल्ड कप में हुआ फाइनल था, जिसमें भारत जीता था. इस मैच को 55.8 करोड़ लोगों ने देखा था.
इसी वर्ल्ड कप में भारत और पाकिस्तान के बीच सेमीफाइनल मैच हुआ था, उस मैच को करीब 50 करोड़ लोगों ने देखा था.
जबकि 2017 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए चैंपियंस ट्रॉफी के मुकाबले को 32.4 करोड़ लोगों ने देखा था.
और चौथे नंबर पर भी भारत और पाकिस्तान का ही मैच है. ये मैच 2015 के वर्ल्ड कप में खेला गया था. जिसे 31 करोड़ से ज्यादा लोगों ने देखा था.
लेकिन हमारा ध्यान इस बात नहीं होना चाहिए कि हमारे खिलाड़ियों के मैच को कितने ज्यादा लोग देखते हैं. बल्कि इस बात पर होना चाहिए कि हम अपने सैनिकों की शहादत का प्रतिशोध कैसे लेंगे? और उन्हें सम्मान कैसे देंगे?
भारत क्रिकेट की महाशक्ति तो है, लेकिन हमारा देश दुनिया की महाशक्ति यानी सुपर पावर बनने की ख्वाहिश रखता है. और सुपरपावर बनने के लिए बहुत से कड़े फैसले लेने होते हैं. इसलिए अगर भारत ये चाहता है कि वो पाकिस्तान को इस वर्ल्ड कप से बाहर निकलवा दे, तो उसे ICC पर बड़ा दबाव डालना होगा. और भारत चाहे तो ये दबाव डाल भी सकता है.
क्योंकि भारत पूरी दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है. भारत की अर्थव्यवस्था में GDP की विकास दर 2017-18 में 6.7% थी, जो इस वर्ष बढ़कर 7.3% रहने का अनुमान है.
पूरी दुनिया में भारत, अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी और ब्रिटेन के बाद छठे नंबर की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है.
भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है. भारत की आबादी 135 करोड़ है.
और इसी बड़ी आबादी की वजह से भारत पूरी दुनिया में तीसरे नंबर का सबसे बड़ा उपभोक्ता बाज़ार है.
भारत का Stock Market दुनिया का सातवां सबसे बड़ा स्टॉक मार्केट है.
भारत के पास दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना है. इस वक्त भारत के पास 13 लाख 62 हज़ार की सेना है.
आज क्रिकेट हो या जीवन से जुड़ा कोई भी क्षेत्र हो, कोई भी भारत को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता. अगर भारत वाकई में सुपरपावर बनना चाहता है, तो भारत अपने आक्रोश की पटकथा खुद अपने हाथों से लिखनी होगी.
भारत चाहे तो सिर्फ क्रिकेट ही नहीं, बल्कि Olympics से भी पाकिस्तान को बाहर करवा सकता है.
फुटबॉल और हॉकी की सर्वोच्च संस्थाओं पर पाकिस्तान को बाहर करने का दबाव बना सकता है. दुनिया के हर बड़े मंच से पाकिस्तान को कूटनीतिक धक्का देकर गिरा सकता है
इसके लिए इच्छाशक्ति और कूटनीतिक तेज़ी की ज़रूरत है.
हमारे देश के खिलाड़ियों को कुछ समय के लिए सैनिकों की तरह कुर्बानी देनी पड़ेगी. क्योंकि कुर्बानी देने की ज़िम्मेदारी सिर्फ सैनिकों की नहीं है, समाज के बाकी वर्गों को भी अपने सुखों का बलिदान देना होगा, तभी भारत पाकिस्तान का विनाश कर पाएगा. अगर भारत आज ऐसा नहीं कर पाया तो आपकी आने वाली पीढ़ियों को पाकिस्तान परेशान करेगा. इसलिए इसे हल्के में मत लीजिए.
खेलों की दुनिया में ऐसे बहुत से उदाहरण हैं, जब कई देशों ने खेलों का बहिष्कार किया है. लेकिन किसी भी खेल या देश का बहिष्कार करवाने के लिए बहुत बड़ी इच्छाशक्ति की ज़रूरत होती है. और अमेरिका और रूस ऐसा कर चुके हैं.
1980 में Russia की राजधानी Moscow में Olympics हुए थे. ये दौर रूस और अमेरिका के बीच शीत युद्ध का दौर था. तब रूस को सोवियत संघ कहा जाता था. 1979 में सोवियत संघ ने अफगानिस्तान पर हमला किया था. और इसी के विरोध में अमेरिका ने 1980 के Moscow Olympics का बहिष्कार कर दिया था. अमेरिका की ताकत देखिए... इस ओलंपिक्स में अमेरिका के बहिष्कार के बाद 65 देशों ने हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था.
इसके 4 साल के बाद 1984 में अमेरिका के Los Angeles शहर में Olympics हुए. और तब सोवियत संघ ने इसका बहिष्कार किया. लेकिन तब सोवियत संघ के साथ सिर्फ 13 देशों ने ही Olympics का बहिष्कार किया था.
यानी अगर भारत चाहे तो ऐसे कदम उठा सकता है.