ZEE जानकारी: जानें कैसे मिली भारत को आजादी
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ZEE जानकारी: जानें कैसे मिली भारत को आजादी

अंग्रेज़ों ने भारत को आज़ाद करने का फैसला इसलिए लिया था क्योंकि दूसरे विश्व युद्ध में लड़ने की वजह से ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था बहुत कमज़ोर हो गई थी .

ZEE जानकारी: जानें कैसे मिली भारत को आजादी

आज पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ़ अल्वी ने भी लोगों से कहा है कि वो सोशल मीडिया पर भारत के ख़िलाफ़ जंग छेड़ दें. उन्होंने जिहाद करने की बात कही है. इससे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि कश्मीर को लेकर झूठ फैलाने वाली ब्रिगेड को आदेश कहां से मिल रहा है. 

अंग्रेज़ों ने पाकिस्तान का निर्माण इसलिए किया था ताकी भारत, पाकिस्तान से ही लड़कर अपनी ऊर्जा को नष्ट कर दे और कभी विकसित देश नहीं बन पाए .

आज भी ब्रिटेन का सरकारी मीडिया और ब्रिटेन के रणनीतिकार हमेशा पाकिस्तान का समर्थन करते हैं . क्योंकि वो ये जानते हैं कि पाकिस्तान जितना मजबूत होगा, भारत के लिए परेशानी उतनी ही बड़ी होगी . ये अंग्रेज़ों की वो राजनीति है जिसको Decode करना आज बहुत ज़रूरी है . 

अंग्रेज़ इतने चालाक थे कि उन्होंने भारत की आज़ादी का श्रेय भी खुद लेने की कोशिश की . 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम से लेकर वर्ष 1947 तक आज़ादी के लिए लड़ते हुए लाखों भारतीय लोगों ने अपनी जान दी . लेकिन अंग्रेज़ों ने इस बलिदान का मज़ाक उड़ाते हुए अपनी संसद में एक कानून पारित करके भारत को आज़ादी दी . इस कानून का नाम था... Indian Independence Act 1947. 

कल सुबह पूरा देश स्वतंत्रता दिवस के जश्न में डूब जाएगा. इससे पहले हम ये सवाल पूछना चाहते हैं कि आज़ादी कागज़ के एक टुकड़े से मिली थी या फिर क्रांतिकारियों और बलिदानियों के खून से मिली थी ? 

अंग्रेज़ों ने भारत को आज़ाद करने का फैसला इसलिए लिया था क्योंकि दूसरे विश्व युद्ध में लड़ने की वजह से ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था बहुत कमज़ोर हो गई थी . 200 वर्षों में अंग्रेज़ भारत को लूट कर कंगाल बना चुके थे . अब भारत, ब्रिटेन पर एक बोझ से ज्यादा और कुछ भी नहीं था . 

विश्व युद्ध में ब्रिटेन की प्रशासनिक व्यवस्था इस तरह ध्वस्त हो गई थी कि वो अपना देश चला पाने में भी सक्षम नहीं थे . ऐसी स्थिति में भारत को आज़ाद करने के अलावा अंग्रेज़ों के पास कोई विकल्प नहीं था . लेकिन ब्रिटेन ने भारत को आज़ादी इस तरह दी जैसे वो भारत पर कोई अहसान कर रहा हो . 

भारत को किस साल में आज़ादी दी जाए ये भी अंग्रेज़ों ने ही तय किया था . वर्ष 1947 में भारत को आज़ाद करने की ज़िम्मेदारी ब्रिटिश साम्राज्य ने Lord Louis Mountbatten को सौंपी थी . जो गुलाम भारत के आखिरी Viceroy और आजाद भारत के पहले Governar General थे . 

आप जो तस्वीरें इस वक्त देख रहे हैं वो वर्ष 1947 की हैं . जब Lord Mountbatten भारत आए तो आज के राष्ट्रपति भवन और उस वक्त के उस वक्त के Viceroy House में एक भव्य समारोह किया गया . इस समारोह की Video Recording की गई थी . 

उस वक्त Lord Mountbatten भारत के बड़े नेताओं के साथ बैठकर तस्वीरें Photo खिंचवा रहे थे . आप इस ऐतिहासिक Video में देख सकते हैं . Lord Mountbatten बड़ी शान से बीच में बैठे हुए थे .  और उनके एक तरफ पंडित जवाहर लाल नेहरू और दूसरी तरफ मौलाना अबुल कलाम आज़ाद बैठे थे . 

इन तस्वीरों को देखकर यकीन करना मुश्किल है कि ये वही अंग्रेज़ थे जिन्होंने भारत में ये Board लगवा दिए थे कि Dogs and Indians are not Allowed.

ये अंग्रेज़ों की राजनीति थी . अंग्रेज़ों ने उदारता और महानता का खूब नाटक किया और अपने नकली बड़प्पन की Marketing की .

अंग्रेज़ों ने पूरी दुनिया को ये दिखाने की कोशिश की थी, कि ब्रिटेन की महारानी बहुत उदार हैं और वो भारत को उसी तरह सत्ता सौंप रही हैं .जैसे पंछी को पिंजरे का दरवाज़ा खोलकर आज़ाद कर दिया जाता है . 

आज़ादी के बाद अंग्रेज़ों के स्वामि-भक्त इतिहासकारों ने भी अंग्रेज़ों की इसी छवि का खूब प्रचार-प्रसार किया . ये उस दौर के बुद्धिजीवी थे जिन्होंने ये Propaganda फैलाया कि भारत के पास अपनी कोई विरासत नहीं है . भारत की हर विरासत अंग्रेज़ों की देन है . लेकिन आज इन बुद्धिजीवियों का Propaganda Zee News ने Flop कर दिया . अंग्रेज़ों की 72 वर्ष पुरानी चालाकी और राजनीति को आज हमने पूरे देश के सामने Expose कर दिया . 

महात्मा गांधी अंग्रेज़ों की इस राजनीति को समझ रहे थे . इसीलिए उन्होंने आज़ादी के जश्न में शामिल नहीं होने का फैसला किया .

महात्मा गांधी ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया लेकिन 15 अगस्त 1947 को जब आज़ादी मिली तो महात्मा गांधी बहुत दुखी थे . क्योंकि देश बंट चुका था और दंगों में लोग मारे जा रहे थे . 

बहुत कम लोगों को ये बात पता होगी कि जब पूरा देश पहली बार आज़ादी का जश्न मना रहा था तो महात्मा गांधी उपवास कर रहे थे. 

महात्मा गांधी, आज़ादी के दिन...दिल्ली से हज़ारों किलोमीटर दूर बंगाल के नोआखली में थे . जहां वो हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए अनशन कर रहे थे .

जब ये तय हो गया कि भारत 15 अगस्त को आज़ाद होगा, तब पंडित नेहरू और सरदार पटेल ने महात्मा गांधी को चिट्ठी लिखी . जिसमें लिखा गया था कि 15 अगस्त का दिन हमारा पहला स्वाधीनता दिवस होगा. आप राष्ट्रपिता हैं . आप इसमें शामिल हों और अपना आशीर्वाद दें . 

महात्मा गांधी ने इस चिठ्ठी का जवाब भिजवाया, जिसमें लिखा था, कि "जब कलकत्ते में हिंदू और मुस्लिम एक दूसरे की जान ले रहे हैं. ऐसे में मैं जश्न मनाने के लिए कैसे आ सकता हूं . मैं दंगे रोकने के लिए अपनी जान दे दूंगा "

भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल महात्मा गांधी के इस दर्द को बहुत अच्छी तरह समझ रहे थे . लेकिन उनके मन में भारत के भविष्य को लेकर बहुत चिंता थी . इसीलिए उन्होंने अपना सारा ध्यान भारत को एकता के सूत्र में पिरोने पर लगाया और भारत की 565 से ज्यादा रियासतों का भारत में विलय करवाया . 

अगस्त 1948 को जब भारत आज़ादी की पहली वर्षगांठ मना रहा था, सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देश के नाम एक संदेश जारी किया था . इसी संदेश में उन्होंने महात्मा गांधी के योगदान की चर्चा की है . आज पूरे देश को सरदार वल्लभ भाई पटेल का ये 71 वर्ष पुराना संदेश ज़रूर सुनना चाहिए . 

15 अगस्त को हम हर वर्ष तिरंगा फहराते हैं लेकिन आज हमने ये भी पता लगाया है कि आज़ादी के बाद पहली बार तिरंगा कब और कहां फहराया गया ? शायद आप सोच रहे होंगे कि पहली बार तिरंगा लाल किले पर फहराया गया होगा लेकिन ऐसा नहीं है . 

कुछ इतिहासकारों के मुताबिक पहली बार तिरंगा 15 अगस्त 1947 को संसद भवन में फहराया गया था . लेकिन कुछ विद्वान ये भी मानते हैं कि 15 अगस्त 1947 को पहली बार तिरंगा इंडिया गेट के पास शाम 6 बजे फहराया गया था .

दूसरे विश्व युद्ध का दुनिया पर बहुत बड़ा असर हुआ था. दुनिया में सबसे ज्यादा उपनिवेश, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, सोवियत संघ, इटली और जापान के थे . जब इन देशों के बीच महायुद्ध हुआ तो आपस में लड़ने की वजह से इनकी आर्थिक शक्ति बहुत कम हो गई. उसी वक्त 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई थी . तब वर्ष 1945 से 1960 के बीच ब्रिटेन ने भारत समेत 10 से ज़्यादा देशों को आज़ाद कर दिया था.

इनमें से बहुत से देश ऐसे भी थे, जिनके पास महात्मा गांधी जैसे कद का एक भी लोकप्रिय नेता नहीं था, फिर भी दुनिया की महाशक्तियों ने इन देशों को आज़ाद करके, अपने देश के निर्माण की तरफ ध्यान लगाया .

1945 से 1960 के बीच वियतनाम, मोरक्को, ट्यूनिशिया, कंबोडिया, लाओस और सीरिया को फ्रांस से आज़ादी मिली थी

भारत, जॉर्डन, सूडान, घाना, मलेशिया, श्रीलंका, सोमालिया, बर्मा, साइप्रस और नाइज़ीरिया को ब्रिटेन से आज़ादी मिली . ब्रिटेन की मदद से उस दौरान इज़राइल का निर्माण भी हुआ था.

फिलीपींस, अमेरिका से आजाद हुआ

इंडोनेशिया, नीदरलैंड से आज़ाद हुआ

और कोरिया, जापान की गुलामी से आज़ाद हुआ .

इसके अलावा Ottoman Empire के खत्म होने के बाद Middle East के कुछ देशों को भी आज़ादी मिली थी .

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